भारतीय मूल के अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार विवेक रामास्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की है और उन्होंने भारत प्रशांत क्षेत्र में चीन को रोकने में भारत की भूमिका पर जोर दिया है। विवेक रामास्वामी ने कहा कि जो बाइडेन के कार्यकाल के दौरान भारत के साथ विश्वसनीयता थोड़ा कम रहा है, जिसे वो राष्ट्रपति बनने के बाद बढ़ाएंगे। विवेक रामास्वामी ने कहा है कि वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक समझौते पर बातचीत करना चाहते हैं। विवेक रामास्वामी ने फॉक्स न्यूज से कहा कि वह यूक्रेन को नाटो में शामिल होने से तभी रोकेंगे जब रूस चीन के साथ सैन्य संबंध बचाएगा। उन्होंने वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पर भी तंज कसते हुए दावा किया कि अमेरिका ने रूस को चीन की गोद में धकेल दिया है।
चीन और रूस दो विरोधी
चीन और रूस स्पष्ट रूप से अभी दो रणनीतिक चुनौती, विरोधी हैं। इनसे निपटने के लिए भारत के साथ संबंध काफी महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं। मुझे लगता है कि चीन और रूस हमेशा आगे नहीं बढ़ेंगे और वहां अवसर हैं लेकिन कुल मिलाकर हमें इस पर नजर रखनी चाहिए कि वे क्या कर रहे हैं। अमेरिकी सांसद ने कहा कि अमेरिका को यह उम्मीद नहीं रखनी चाहिए कि चीन के साथ संघर्ष के दौरान भारत मलक्का जलसंधि अवरुद्ध कर देगा लेकिन वह बीजिंग के ताइवान पर हमला करने पर दो मोर्चों पर युद्ध शुरू करने के लिए लद्दाख तथा अरुणाचल प्रदेश में अपनी सीमाओं पर आक्रामक रुख अपना सकता है।
यूक्रेन युद्ध को कैसे रोकेंगे
रामास्वामी ने कहा जब उनसे पूछा गया कि वह यूक्रेन में युद्ध को कैसे रोकेंगे तो उन्होंने कहा कि बहुत स्पष्ट दृष्टि है। मैं एक ऐसा सौदा करूंगा जिसके लिए (व्लादिमीर) पुतिन हां कहेंगे लेकिन यह वास्तव में अमेरिकी हितों को आगे बढ़ाता है ताकि संयुक्त राज्य अमेरिका जीत जाए। मैं नियंत्रण की वर्तमान रेखाओं को स्थिर कर दूंगा। मैं आगे भी कड़ी प्रतिबद्धता जताऊंगा कि नाटो यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं करेगा। यह पुतिन को सौदा करने के लिए पर्याप्त है। लेकिन बदले में मुझे कुछ और भी बड़ा चाहिए होगा।