यूनिकॉर्न स्टार्टअप क्या है? इसमें भारत शीर्ष तीसरे स्थान पर कैसे पहुंचा?

By कमलेश पांडेय | Dec 27, 2021

क्या आपको पता है कि कैसे कोई छोटी सी आईडिया से शुरू हुई कंपनी आज के दिन अरबों डॉलर का बिज़नेस कर रही है? और इनको यूनिकॉर्न स्टार्टअप क्यों कहा जाता है? दरअसल, कोई भी प्राइवेट कंपनी जिसका वैल्यूएशन, एक बिलियन डॉलर से ज्यादा हो जाता है, उन कंपनी को फाइनेंशियल दुनिया में यूनिकोर्न स्टार्टअप कहते हैं। इसे सबसे पहले वेंचर कैपिटलिस्ट "ऐलीन ली" द्वारा दिया गया था।


बता दें कि इस क्षेत्र में भारत आज विश्व में एक अलग ही मुकाम हासिल कर चुका है। हमलोग इस बात के साक्षी हैं कि किस तरह बीते कुछ वर्षों में गुड गवर्नेंस और अच्छे सिस्टम के कारण अपने देश में सब कुछ बदल चुका है। आज की तारीख में भारत उस मुकाम पर पहुंचता जा रहा है जिसकी कल्पना कुछ समय पहले तक नहीं की जा सकती थी। आज यूनिकॉर्न स्टार्टअप के क्षेत्र में भारत सबसे अव्वल होने में ज्यादा दूर नहीं है, क्योंकि महज एक साल में वह चौथे से तीसरे स्थान पर पहुंच चुका है।

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# दुनिया के टॉप 3 देशों में शामिल हुआ भारत


भले ही भारत में स्टार्ट अप कल्चर काफी विलम्ब से शुरू हुआ। लेकिन जैसे ही यह शुरू हुआ, वैसे ही काफी तीव्रता पूर्वक इसने गति भी पकड़ ली। और अब आलम यह है कि यह रूकने का नाम ही नहीं ले रहा है। यदि हमलोग मौजूदा वक्त की बात करें तो आज की तारीख में भारत विश्व के टॉप तीन देशों में शुमार किया जा रहा है, जिसमें पहले नम्बर पर संयुक्त राज्य अमेरिका, दूसरे नम्बर पर रिपब्लिक ऑफ चीन और तीसरे नम्बर पर खुद भारत है। 


बता दें कि यूनिकॉर्न वो स्टार्टअप कम्पनियां हैं जिनकी वैल्यू 1 बिलियन डॉलर से अधिक यानी साढ़े 7 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा की हो चुकी है। ऐसी कम्पनियां अमेरिका में 487, चीन में 301 और भारत में 54 है। उल्लेखनीय है कि पहले तीसरे नम्बर पर इंग्लैंड हुआ करता था, लेकिन भारत ने इंग्लैंड को पछाड़ कर यह स्थान हासिल कर लिया है। दरअसल, ये कम्पनियां इस बात की प्रतीक समझी जाती हैं कि विश्व में किस देश की कम्पनियां कितनी अधिक समृद्ध हैं।


# केंद्र सरकार के सपोर्ट और स्कीम्स से कमाल कर रही हैं ये कम्पनियां 


कहना न होगा कि अपने देश में प्रतिभा की कमी नहीं है। यह काफी लम्बे समय से यहां मौजूद रही है, लेकिन उन्हें सही ढंग से सरकारी सपोर्ट न मिल पाने के कारण उससे जुड़ी समस्याएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। हालांकि, बीते पांच वर्षों में हालात बदले हैं। इसमें डिजिटल गवर्नेंस के अलावा टेक्नोलॉजी का भी अहम रोल रहा है। इसके कारण ही भारत में स्टार्ट अप इकोसिस्टम इतना विकसित हुआ है। 


हालांकि, आज के समय में भारत में यह माना जा रहा है कि सिलिकॉन वैली की तरह ही यहाँ पर भी काफी कुछ विकसित हो सकता है। लेकिन अभी उसके लिए काफी प्रयास करने होंगे, तब जाकर ये सब कुछ साकार हो सकेगा। अमूमन भारत में बहुत सी कंपनियों को यूनिकॉर्न स्टार्टअप का टैग मिला हुआ है जिसमें सबसे ज्यादा निम्नलिखित कंपनियाँ हैं- पहला, डिजिटल पेमेंट कंपनी बिलडेस्क है जिसका इस्तेमाल भुगतान करने के लिए किया जाता है। दूसरा, पाइन लैब कम्पनी है जो भुगतान करने लिए सुविधाएं प्रदान करती है।


तीसरा, बायजुस है जो एक ऑनलाइन लर्निंग प्रोग्राम चलाती है। चौथा, ओयो है, जो एक ऐप है जिसके माध्यम से आप ऑनलाइन होटल बुक कर सकते हैं। यह होटल भी प्रोवाइड कराती है। पंचम, स्विग्गी है, जिसके ऐप के जरिये आप ऑनलाइन रूप से पसंदीदा फूड आर्डर करके अपने घर पर मंगा सकते हैं। छठा, जोमैटो है, जिसके ऐप की मदद से आप ऑनलाइन आर्डर करके फूड अपने घर पर मंगवा सकते हैं, यानी कि यह एक फूड डिलीवरी ऐप है। सातवां, पेटीएम मॉल है जो एक रिटेल बिज़नेस है।


# जानिए, स्टार्टअप के यूनिकॉर्न बनने से क्या होगा फायदा? 


जब कोई कंपनी अपना वैल्यूएशन एक बिलियन डॉलर से ज्यादा बना लेती है तब वह कंपनी यूनिकॉर्न की लिस्ट में आ जाती है। आशय यह कि तब कंपनी का ग्रोथ होने वाला होता है। जब किसी कंपनी की ग्रोथ तेजी से होने लगती है तब इन्वेस्टर उस कंपनी में अपना पैसा लगाना शुरू कर देता है। दरअसल किसी भी इन्वेस्टर का सीधा मकसद अधिकाधिक पैसा कमाना होता है। इसलिए इन्वेस्टर हमेशा यह देखता है कि कंपनी का बाजार कैसा है, कंपनी के ग्रोथ की सम्भावना कैसी हैं ताकि वह पैसा लगाकर ज्यादा से ज्यादा पैसा कमा सके।


# ये हैं इंडिया के सबसे बड़े यूनिकॉर्न स्टार्टअप:-


पेटीएम- पेटीएम भारत के सबसे बड़े यूनिकॉर्न स्टार्टअप में से एक है, जो भारत में डिजिटल पेमेंट की सेवा देने वाली कंपनियों में से एक है। जब पेटीएम 2015 में यूनिकॉर्न स्टार्टअप की सूची में शामिल हुआ, तब इसकी वैल्यूएशन 7 बिलियन डॉलर थी। इसका मुख्यालय नोएडा, उत्तरप्रदेश में है। यह एक ई-कॉमर्स फाइनेंस इंडस्ट्री है, जिसका संस्थापक विजय शेखर शर्मा है। इसे 2010 में बनाया गया था। 


ओयो- यह एक हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री है जो सस्ते दामों में रूम प्रोवाइड करती है। यह 21 साल के रितेश अग्रवाल के द्वारा 2013 में बनाया गया था। इसका मुख्यालय गुरुग्राम, हरियाणा में है।


बायजूस- यह एक एज्युकेशन टेक्नोलॉजी के आधार रखने वाली कंपनी है, जिसका संस्थापक "बीजू रवीन्द्रन" है। इस ऐप का इस्तेमाल दुनिया भर में 30 मिलियन से भी ज्यादा स्टूडेंट्स करते हैं और इसके पेड सब्सक्राइबर लगभग 20,00,000 हैं। इस कंपनी का वैल्यूएशन लगभग 20 बिलियन डॉलर है। इसका मुख्यालय बंगलुरू, कर्नाटक में है, जिसकी स्थापना 2011 में की गई थी।


स्विग्गी- यह एक बहुत ही मूल्यवान फूड ऑनलाइन डिलीवरी ऐप है जो मिनटों में फूड डिलीवर कर देता है। इसका स्थापना 2014 में नंदन रेड्डी, श्रीहर्ष मेजेस्टी और राहुल जैमिनी के द्वारा किया गया था। आज स्विग्गी का एप्लीकेशन 1 करोड़ लोगों के द्वारा इनस्टॉल किया गया है, जिसका मुख्यालय बंगलुरू में है।


जोमैटो- यह ऐप भी एक फूड डिलीवरी ऐप है जो रेस्त्रों से खाना सीधा हमारे घर तक पहुँचवाता है। इसकी स्थापना दिपेन्द्र गोयल और पंकज चड्डा के द्वारा 2008 में किया गया था। इसका मुख्यालय गुरुग्राम, हरियाणा में है।


बिग बास्केट- यह भारत का सबसे बड़ा ग्रोसरी दुकान है जिसे हरि मेनन, वी.एस. सुधाकर, विपुल पारेख, अभिनय चौधरी और वी.एस. रमेश ने मिलकर 2011 में शुरू किया था। इस कंपनी में रोजाना 1,50,000 आर्डर आते हैं। इसका मुख्यालय बंगलुरू में है।


यूएनअकादमी- यह एक ऐसी कंपनी है जो 2020 में यूनिकॉर्न स्टार्टअप की सूची में शामिल हो गई थी। बस पांच सालों में यह ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफार्म है जो ज्यादातर सरकारी नौकरी और विशेष करके यूपीएससी का तैयारी करवाता है। यह 2015 में गौरव मुंजाल, हिमेश सिंह, रोमन सैनी और सचिन गुप्ता के द्वारा स्थापित किया गया।

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# 2020 में भारत में था 21 यूनिकार्न स्टार्टअप, जो था चीन के दसवें हिस्से के बराबर


बता दें कि एक साल पहले भारत में यूनिकॉर्न स्तर के स्टार्टअप की संख्या करीब 21 थी, जो पड़ोसी देश चीन के  दसवें हिस्से के बराबर है। भारतीय निवेशकों की 40 से अधिक ऐसी कंपनियां विदेशों में स्थापित हैं। हुरुन की वैश्विक यूनिकॉर्न सूची में 21 भारतीय यूनिकॉर्न कंपनियों का कुल मूल्यांकन 73.2 अरब डॉलर है। तब अमेरिका, चीन और ब्रिटेन के बाद भारत इस सूची में चौथे स्थान पर था। 


# चीन में यूनिकॉर्न की संख्या 227 है जो भारत से है तीन गुणा ज्यादा 


हुरुन की तत्कालीन रपट के अनुसार, चीन में यूनिकॉर्न की संख्या 227 है। ऐसे में भारत में यूनिकॉर्न स्टार्टअप की संख्या उसके दसवें हिस्से के बराबर है। इतना ही नहीं, भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले निवेश को विभिन्न नियमों के दायरे में लाये जाने की खबरों के बीच यह बात भी उल्लेखनीय है कि घरेलू 21 यूनिकॉर्न में से 11 में चीन के तीन निवेशकों का बड़ा हिस्सा है। 


# भारत से बाहर भारतीय मूल के लोगों द्वारा स्थापित यूनिकॉर्न की संख्या है करीब 40


वहीं, भारत से बाहर भारतीय मूल के लोगों द्वारा स्थापित यूनिकॉर्न की संख्या करीब 40 है, जबकि चीनी मूल के लोगों ने अपने देश से बाहर मात्र 16 ऐसे कारोबार स्थापित किए हैं। खास बात यह कि भारतीय समुदाय द्वारा विदेशों में स्थापित यूनिकॉर्न का कुल मूल्यांकन 99.6 अरब डॉलर है। इसमें सबसे अधिक मूल्यांकन वित्त प्रौद्योगिकी कंपनी रॉबिनहुड का है जो करीब 8.5 अरब डॉलर है। हुरुन रपट के चेयरमैन और मुख्य अनुसंधानकर्ता रुपर्ट हूगवर्फ ने कहा कि भारतीयों द्वारा स्थापित 61 यूनिकॉर्न में से करीब दो-तिहाई विदेशों में मुख्य तौर पर अमेरिका के सिलिकॉन वैली में हैं। जबकि मात्र 21 यूनिकॉर्न ही देश में काम कर रही हैं।


# दुनिया के 29 देशों के 145 शहरों में काम करती हैं 586 यूनिकॉर्न कंपनियां 


तब की रपट में कहा गया था कि दुनिया के 29 देशों के 145 शहरों में 586 यूनिकॉर्न कंपनियां काम करती हैं। भारत में काम कर रही 21 यूनिकॉर्न कंपनियों में से अधिकतर ई-वाणिज्य क्षेत्र की हैं। बेंगलुरू (कर्नाटक) को भारत की यूनिकॉर्न कम्पनियों की राजधानी समझा जाता है, क्योंकि इनमें से आठ कंपनियां बेंगलुरू में ही स्थित हैं। देश की सबसे नयी यूनिकॉर्न कंपनियों में ओला इलेक्ट्रिक, उड़ान और स्विगी हैं। विश्लेषक बताते हैं कि भारत में किसी भी स्टार्टअप को यूनिकॉर्न के स्तर तक पहुंचने में तकरीबन सात साल का वक्त लगता है, जबकि चीन में यह  साढ़े पांच साल और अमेरिका में साढ़े छह साल है।


- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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