Naroda Gam Case में आया फैसला क्या दर्शाता है? Satya Pal Malik के आरोपों में कितनी सच्चाई?

By अंकित सिंह | Apr 24, 2023

प्रभासाक्षी का सप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह पर हमने देश-दुनिया के राजनीतिक विषयों पर चर्चा की। हालांकि, इस कार्यक्रम की शुरुआत हमने नरोदा कांड को लेकर 67 लोगों को जो बरी किया गया है, उससे ही की। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे। नीरज कुमार दुबे ने कहा कि 21 साल बाद लोगों को न्याय मिला है। नरोदा में 11 लोगों की मौत हुई थी। इस कारण इसे नरसंहार बोला गया। लेकिन इसके साथ ही नीरज दुबे ने कहा कि शायद जो अभियोजन पक्ष था या जांच एजेंसियां थी उससे कोई चूक हुई है या फिर कहां गलती हुई इसकी पड़ताल होनी चाहिए। अगर 11 लोग मरे तो क्यों मरे, यह बात साबित होनी चाहिए। लेकिन जो लोग भी बरी हुए हैं, वह भी निर्दोष हैं और अदालत ने यह बात कही है। जिन लोगों को इस मामले में दोषी बनाया गया था, उनके खिलाफ सबूत नहीं मिला, यह किसकी गलती है। 


नीरज दुबे ने यह भी कहा कि आज एक चलन बन गया है। आपके मुताबिक अगर फैसला नहीं आए तो आप अदालत पर सवाल उठा देते हैं। यह चलन इस मामले में भी देखा गया। लेकिन स्वर इतने तीखें नहीं थे। उन्होंने कहा कि इस मामले में कुल 86 लोगों को आरोपी बनाया गया था। 67 लोग बरी हुए हैं। एक व्यक्ति को पहले ही आरोप मुक्त किया जा चुका है। 18 लोगों की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई। नीरज दुबे ने साफ तौर पर सवाल किया कि उन 18 लोगों का क्या होगा जो अपने सीने पर दंगाई होने का दाग लेकर चले गए। उन लोगों को न्याय तो नहीं मिला। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि 21 साल इस मामले को लेकर सुनवाई हुई। कोर्ट ने हर पक्ष को जाना है। इसलिए इस पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए। इन 21 वर्षों में जिन लोगों पर आरोप लगाए गए थे उन्होंने तमाम कष्ट भी सही है। नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि यह गुजरात के लिए बड़ा फैसला है। बीजेपी सरकार के लिए बड़ा फैसला है।

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चाय पर समीक्षा कार्यक्रम में हमने सत्यपाल मलिक ने जो एक इंटरव्यू के दौरान पुलवामा हमले को लेकर सवाल उठाए थे, उस पर भी चर्चा की। सत्यपाल मलिक को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि सरकार पर सत्यपाल मलिक आरोप लगा रहे हैं तो वह खुद भी आरोपों से घिर रहे हैं। इसके साथ ही नीरज दुबे सवाल भी पूछा। दुबे ने साफ तौर पर कहा कि अगर सत्यपाल मलिक सही है, उनके दावे सही है तो राष्ट्रहित में उन्होंने यह बात अब तक क्यों नहीं बताई थी। इतने दिनों तक वह क्यों चुप रहे थे? क्या उन पर आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए? राज्यपाल पद से हटने के बाद वे ऐसा क्यों कह रहे हैं? क्या उनके लिए पद ही सब कुछ था? क्यों नहीं सत्यपाल मलिक ने उस समय अपने पद को तिलांजलि देते हुए राष्ट्र के समक्ष यह बातें कहीं? नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि राष्ट्री बड़ होता है, कोई पद बड़ा नहीं होता। 


अतीक अहमद को लेकर हो रही राजनीति पर नीरज दुबे ने कहा उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था फिलहाल बहुत अच्छी है। मुख्यमंत्री बार-बार यह कहते हैं कि वह जमाना चला गया, जब सूरज ढलते ही कानून व्यवस्था खत्म हो जाती थी। उद्योगपतियों को धमकाया जाता था, वह जमाना चला गया है। अब राज्य में भारी निवेश हो रहा है। अतीक अहमद को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि जो जैसा बोता है वैसा ही काटता है। नीरज दुबे ने कहा कि क्या लोगों को पता नहीं था कि अतीक अहमद का क्या हश्र होने वाला है? जैसे ही उसे साबरमती जेल से यूपी लाया गया, सबकी निगाहें टीवी पर थी कि कब गाड़ी पलटेगी। ऐसा इसलिए था क्योंकि सभी को पता था कि होना क्या है और यह बात अतीक अहमद को भी पता थी कि होना क्या है। नीरज दुबे ने कहा कि अतीक अहमद की हत्या किसने की, यह प्लान किसका था, यह जांच का विषय है और उत्तर प्रदेश सरकार लगातार जांच करवा रही है।

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