Muslim Personal Law Board में नाबालिग से शादी को लेकर क्या हैं नियम? नए निर्देश बाल विवाह रोकने में होंगे असरदार

By अभिनय आकाश | Oct 19, 2024

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने देश में बाल विवाह को रोकने के लिए कानूनी प्रवर्तन, न्यायिक उपायों तथा प्रौद्योगिकी आधारित पहलों पर जोर दिया। ‘कानूनी प्रवर्तन’ शीर्षक के अंतर्गत, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जिला स्तर पर बाल विवाह निषेध अधिकारी (सीएमपीओ) के रूप में कार्यों के निर्वहन के लिए पूरी तरह जिम्मेदार अधिकारियों की नियुक्ति करने का निर्देश दिया गया था। इसमें कहा गया है कि व्यक्तिगत जवाबदेही सुनिश्चित करने तथा बाल विवाह के किसी भी नियोजित आयोजन के विरुद्ध तत्काल निवारक उपाय सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सीएमपीओ की तिमाही रिपोर्ट अपनी आधिकारिक वेबसाइटों पर अपलोड करेंगे। प्रत्येक राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश के महिला और बाल विकास तथा गृह मंत्रालयों को सीएमपीओ तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों की तिमाही कामकाज समीक्षा करने का निर्देश दिया गया है। 

इसे भी पढ़ें: Yes Milord: पंजाब-हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी को SC का समन, सत्येंद्र जैन को बेल देते हुए लगाई गई कौन सी शर्तें, जानें कोर्ट में इस हफ्ते क्या हुा

बाल विवाह निरोधक कानून में कुछ कमी 

गौरतलब है कि हिंदू और मुस्लिम पर्सनल लॉ में नाबालिगों की शादी की इजाजत है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बचपन में कराए गए विवाह से बच्चों के जीवन साथी चुनने का अधिकार खत्म हो जाता है, और यह अधिकार चाइल्ड मैरिज के माध्यम से उल्लंघन होता है। कोर्ट ने बाल विवाह रोकने के लिए संबंधित अधिकारियों से कदम उठाने की अपील की और नाबालिगों को सुरक्षा प्रदान करने की आवश्यकता बताई। इसके साथ ही, कोर्ट ने कहा कि जो लोग इसके साथ ही, कोर्ट ने कहा कि जो लोग इस प्रथा के लिए जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि बाल विवाह निरोधक कानून में कुछ कमी है। 

बच्चों की सगाई मामले में हो कानूनी प्रावधान

सुप्रीम कोर्ट ने संसद से आग्रह किया है कि बच्चों की सगाई को गैरकानूनी बनाने के लिए चाइल्ड मैरिज प्रोहिबिशन एक्ट (पीसीएमए) में बदलाव पर विचार किया जाए। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान कानून बच्चों की सगाई को नहीं रोकता, जिससे इसे कानून से बचने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। शादी नाबालिग रहते हुए फिक्स किया जाता है और यह उनके पसंद के अधिकार का उल्लंघन करता है। अपने पार्टनर को चुनने के अधिकार को छीनता है।

इसे भी पढ़ें: दोनों बालिग लड़कियां अपनी मर्जी से आश्रम में रह रहीं, ईशा फाउंडेशन केस में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अपना फैसला

नए निर्देश बाल विवाह रोकने में होंगे असरदार 

केरल हाई कोर्ट ने 2022 में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम विवाह को प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसिस एक्ट (पॉक्सो) से बाहर नहीं रखा गया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शादी की आड़ में किसी बच्चे के साथ शारीरिक संबंध बनाना एक अपराध है। पॉक्सो कानून में भी 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ यौन संबंध को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। कानूनी दृष्टिकोण से, स्पष्ट है कि बाल विवाह को हतोत्साहित किया गया है, लेकिन यह अब भी जारी है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश बाल विवाह रोकने के प्रयासों में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।

प्रमुख खबरें

Maharashtra: तो 5 दिसंबर को होगा शपथ ग्रहण! अमित शाह के साथ बैठक के बाद भी नए CM पर सस्पेंस जारी

दिल्ली विधानसभा चुनाव में अकेले उतरेगी कांग्रेस, AAP के साथ गठबंधन नहीं करने का ऐलान

Redmi K80 के इस फोन की बढ़ी सेल, जानें गजब के फीचर्स और कीमत

घोड़ी पे चढ़कर आना फिल्म के ऑडिशन के लिए जेवर पहुंचे कलाकार