By अनन्या मिश्रा | Sep 07, 2024
आज यानी की भारतीय राजनेता सचिन पायलट अपना 47वां जन्मदिन मना रहे हैं। सचिन राजनीति का एक जाना-माना नाम है। सियासत में उपलब्धियां सचिन पायलट के लिए पहले से सजाकर रखी गई थीं। उनकी लोकप्रियता के आगे पार्टी के कई दिग्गज नेताओं की कुर्सियां खतरे में पड़ गई थीं। सचिन पायलट को कंट्रोल करने के लिए सोनिया गांधी को न जाने कितनी चालें चलनी पड़ी थीं। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर सचिन पायलट के सियासी सफर के बारे में...
जन्म और शिक्षा
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 07 सितंबर 1977 को सचिन पायलट का जन्म हुआ था। पायलट की शुरूआती शिक्षा दिल्ली के एयरफोर्स बाल भारती स्कूल से हुई थी। वहीं इसके बाद आगे की पढ़ाई उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पूरी की। फिर उन्होंने अमेरिका के पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी से प्रंबधन में उच्च शिक्षा प्राप्त की।
सियासय में यूं जमाए कदम
सचिन पायलट के लिए सियासत अजनबी जगह या कोई नई जगह नहीं थी। राजनीत में सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट एक बड़ा नाम थे। तो वहीं उनकी मां रमा पायलट भी विधायक और सांसद रह चुकी थीं। लेकिन 11 जून 2000 को सड़क हादसे में राजेश पायलट की मौत के बाद 23 साल के सचिन पायलट की जिंदगी की दिशा बदल गई।
राजनीतिक एंट्री
साल 2002 में सचिन पायलट ने कांग्रेस पार्टी का दामन थामा था। साल 2003 में वह कांग्रेस में सक्रिय रूप से शामिल हुए। वहीं अगले साल यानी की साल 2024 में सचिन राजस्थान के दौसा लोकसभा सीट से सांसद बन गए। उस दौरान पायलट की उम्र महद 26 साल थी। जिन उपलब्धियों के लिए नेताओं को सालों-साल इंतजार करना पड़ता था, वह सचिन पायलट ने कम उम्र में प्राप्त कर लिया था। 32 साल की उम्र में वह केंद्रीय मंत्री बन गए। वहीं 36 साल की उम्र में पायलट राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनें। फिर साल 2018 में सचिन को राज्य विधानसभा में जीत हासिल करने के बाद राजस्थान के उप मुख्यमंत्री बनाए गए।
सीएम बन जाते सचिन पायलट
अपने प्रखर राजनीतिक करियर में सचिन पायलट काफी तेजी से लोकप्रिय हुए। तो वहीं पार्टी के दिग्गज नेताओं की लोकप्रियता सचिन के सामने दिन-ब-दिन कम होती जा रही थी। वहीं राहुल गांधी भी सचिन पायलट को फुल सपोर्ट था, क्योंकि राहुल चाहते थे कि सचिन पायलट राजस्थान के सीएम बनें।
ऐसे बनें डिप्टी सीएम
सोनिया गांधी ने देखा कि पार्टी में दिग्गज नेताओं का कद छोटा होता जा रहा है, तो सोनिया ने सिचुएशन को संभालते हुए कई चालें चलनी पड़ीं। जिसके बाद अशोक गहलोत ने राजस्थान की कमान संभाली तो वहीं सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री के पद से ही संतोष करना पड़ा।
प्लेन उड़ाने का देखते थे ख्वाब
आपको बता दें कि बचपन से सचिन पायलट भारतीय वायुसेना के विमानों को उड़ाने का ख्वाब देखते आए थे। पायलट ने बताया था कि उन्हें जब पता चला कि उनकी आंखों की रोशनी कम है, तो सचिन का सपना टूट गया। क्योंकि वह बड़े होकर अपने पिता की तरह एयरफोर्स पायलट बनने का ख्वाब देखते थे। वहीं सचिन को स्कूल में बच्चे पायलट सरनेम को लेकर चिढ़ाया करते थे। ऐसे में उन्होंने अपनी मां तो जानकारी दिए बिना हवाई जहाज उड़ाने का लाइसेंस ले लिया।
मिली पिता की विरासत
सचिन पायलट पहले पायलट बनना चाहते थे। लेकिन उनका यह सपना उस दौरान चकनाचूर हुआ, जब उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभालना शुरू किया था। सचिन पायलट ने पिता के अंदाज में गाड़ी चलाकर गांव-गांव घूमना और लोगों के बीच अपनी पैठ बनानी शुरूकर दी। इस तरह से धीरे-धीरे वह लोकप्रिय होते चले गए।
वंशवाद का लगा आरोप
हालांकि सचिन पायलट के लिए यह सब इतना आसान नहीं था। पायलट को काफी आलोचनाएं भी झेलनी पड़ी। उनको कांग्रेस में शामिल होने के बाद डाइनैस्टिक लीडर होने यानी वंशवाद के कारण राजनीतिक लाभ मिलने जेसे तंज सुनने को मिले। पायलट ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि राजनीति सोने का कटोरा नहीं है, जिसको कोई आगे बढ़ा देगा। राजनीति में हर किसी को अपनी जगह बनाने के लिए खुद संघर्ष करना पड़ता है।