By नीरज कुमार दुबे | May 03, 2023
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर शरद पवार ने जो राजनीतिक धमाका किया था उससे भी बड़ा धमाका उनकी पुस्तक ने कर दिया है। दरअसल इस पुस्तक में उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति से संबंधित कई घटनाक्रमों का विश्लेषण भी किया है। खासकर उद्धव ठाकरे को जिस तरह पवार ने अनुभवहीन बताया है उससे एमवीए के भविष्य पर भी सवालिया निशान लग गया है। सवाल यह भी उठा है कि एक अनुभवहीन व्यक्ति के नेतृत्व में एमवीए महाराष्ट्र में आगे बढ़ेगा या नेतृत्व में बदलाव किया जायेगा? सवाल यह भी उठता है कि क्या एमवीए नेतृत्व में बदलाव को उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना स्वीकार करेगी?
हम आपको बता दें कि पुस्तक में जो बड़ी बातें लिखी गयी हैं उनके मुताबिक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार ने कहा है कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता उद्धव ठाकरे शिवसेना के भीतर असंतोष को शांत करने में नाकाम रहे और उन्होंने बिना संघर्ष किए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। शरद पवार ने अपनी आत्मकथा के संशोधित संस्करण में कहा है कि उन्होंने और अन्य लोगों ने भी उद्धव ठाकरे में राजनीतिक कौशल की कमी महसूस की, जिसकी एक मुख्यमंत्री को जरूरत होती है। हम आपको बता दें कि इस पुस्तक का विमोचन मंगलवार को किया गया।
पवार ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के बीच महा विकास आघाडी (एमवीए) का गठन केवल ‘‘सत्ता का खेल’’ नहीं था, बल्कि यह अन्य राजनीतिक दलों के महत्व को किसी भी तरह समाप्त करने की भाजपा की प्रवृत्ति का भी कड़ा जवाब था। उन्होंने कहा कि ऐसी आशंका थी कि एमवीए सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन ‘‘हमने यह अनुमान नहीं लगाया था कि उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के कारण शिवसेना के भीतर ही तूफान आ जाएगा।’’ शरद पवार ने लिखा, ‘‘शिवसेना का नेतृत्व इस असंतोष को शांत करने में विफल रहा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उद्धव ने (जून 2022 में एकनाथ शिंदे और शिवसेना के अन्य विधायकों द्वारा उनके खिलाफ बगावत किए जाने के बाद) बिना संघर्ष किए इस्तीफा दे दिया, जिसके कारण एमवीए सत्ता से बाहर हो गई।’’ उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे का स्वास्थ्य उनके लिए एक बाधा बन गया है। राकांपा नेता शरद पवार ने कहा कि एक मुख्यमंत्री को ‘‘राजनीतिक कौशल’’ की आवश्यकता होती है और उसे राजनीतिक गतिविधियों के बारे में पूरी तरह अवगत रहना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी ने महसूस किया कि इन चीजों की कमी थी।’’ उन्होंने इसके लिए उद्धव ठाकरे की अनुभवहीनता को जिम्मेदार ठहराया। शरद पवार ने लिखा कि मध्यम वर्ग ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान फेसबुक लाइव के माध्यम से लोगों के साथ उद्धव ठाकरे की बातचीत को पसंद किया, लेकिन यह यह समझ पाना मुश्किल है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में केवल दो ही बार सरकार के मुख्यालय- मंत्रालय का दौरा क्यों किया?
देखा जाये तो राजनीति के चाणक्य शरद पवार की ओर से पुस्तक में लिखी गयी बातें वाकई दमदार हैं क्योंकि एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे के हाथ से सत्ता छीन ले गये और मुख्यमंत्री कुछ नहीं कर पाये। यही नहीं, एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से शिवसेना नाम और चुनाव चिह्न भी छीन लिया और उद्धव ठाकरे कुछ नहीं कर पाये। उद्धव ठाकरे में नेतृत्व की कमजोरियों को राज ठाकरे भी इंगित कर चुके थे और बाला साहेब ठाकरे को शिवसेना के भविष्य के प्रति अपनी चिंताएं जता चुके थे लेकिन शिवसेना की कमान आखिरकार उद्धव ठाकरे को मिली और उनकी अनुभवहीनता के चलते ठाकरे परिवार के हाथ से पार्टी भी चली गयी, सत्ता भी चली गयी और मातोश्री की राजनीतिक साख भी चली गयी। माना यह भी जाता है कि एमवीए सरकार के पतन का कारण उद्धव ठाकरे की अनुभवहीनता तो थी ही साथ ही संजय राउत जैसे अनुभवहीन व्यक्ति को उन्होंने अपना सबसे बड़ा राजनीतिक सलाहकार बनाकर जो गलती की थी उसके चलते भी एक के बाद एक ऐसे घटनाक्रम होते गये जोकि एमवीए को सत्ता से बाहर कर गये।