पांच प्रकार का होता है गंजापन, कुछ में इलाज संभव भी है

By वर्षा शर्मा | Jul 25, 2017

क्या आप बिना बालों के मानव की कल्पना कर सकते हैं? यकीनन आप में से अधिकांश का उत्तर होगा 'ऐसी कल्पना अटपटी और हास्यास्पद होगी'। सच भी है कि बाल इस तरह हमसे जुड़े हैं कि उनके बिना हमार व्यक्तित्व अधूरा लगता है। पाषाण युग में मानव के पूरे शरीर पर गोरिल्ला के समान बाल रहते थे। मानव के क्रमिक विकास के साथ−साथ ये बाल छोटे होते चले गए। वैज्ञानिकों का यह मानना है कि भविष्य में ऐसा समय आएगा कि मानव शरीर पर बाल होंगे ही नहीं यहां तक कि सिर पर स्थित बाल भी धीरे−धीरे लुप्त हो सकते हैं।

बाल हमारी त्वचा का अवयव हैं जो सर्दी, गर्मी तथा दुर्घटनाओं से उसकी रक्षा करने के साथ−साथ हमारे सौन्दर्य के परिचायक होते हैं। महिला हो या पुरुष गंजापन सभी को खलता है। कोई नहीं चाहता कि लोग उसे गंजा कहें। मगर आजकल गंजापन एक आम समस्या बनती जा रही है।

 

एक जवान पुरुष के शरीर पर लगभग पांच लाख रोमकूप होते हैं जिसमें से लगभग एक लाख केवल सिर पर तथा बाकी पूरे शरीर पर होते हैं ये आंकड़े महिलाओं तथा पुरुषों में लगभग समान होते हैं उम्र बढ़ने के साथ−साथ रोमकूप भी कम होते जाते हैं। बालों के विकास की तीन अवस्थाएं होती हैं। पहली स्थिति विकास की होती है जिसे एनायेन कहते हैं। यह लगभग तीन वर्ष चलती है। दूसरी स्थिति परिवर्तन की होती है जिसे केटोजन कहते हैं इसमें कोई गतिविधि नहीं होती। यह स्थिति लगभग दो सप्ताह तक चलती है। तीसरी स्थिति जो कुछ सप्ताह तक चलती है आराम की अवस्था होती है।

 

गंजेपन का अर्थ है जिस जगह अधिकतर बाल पाए जाते हैं उस जगह के बालों का झड़ जाना या गंजापन दो प्रकार का होता है चकत्तेदार और बिना चकत्तेदार। चकत्तेदार गंजेपन में त्वचा और बालों की जड़ इतनी क्षतिग्रस्त हो जाती है कि बालों का पुनः उगना लगभग असंभव हो जाता है। सिर पर गहरे घाव, जलने तथा किसी रसायन से बालों की जड़ें नष्ट होने से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। घुंघराले बालों को सीधा करने के लिए ज्यादा समय खींचने से भी बालों की जड़ें नष्ट हो जाती हैं। कई बीमारियों जैसे मस्तिष्क का कोशिका शोध, कुष्ठ, क्षय, फोड़े−फुसियां, पस भरे घाव में संक्रमण, हरपीस जोस्टर, स्कलेरोडर्मा, डिस्काई लूप्स, हरपीस सिप्लेक्स तथा एरिथीमेट्रस आदि चकत्तेदार गंजेपन का कारण होती हैं। मस्तिष्क में ट्यूमर तथा बालों की जड़ों में पिल्ली फोर्टी नामक असाधारण बीमारी होने पर भी गंजापन हो सकता है।

 

बिना चकत्तेदार गंजापन सिर की त्वचा में ऊपरी सतह पर हुए घाव के कारण होता है। इस प्रकार के गंजेपन में केवल बाल झड़ते हैं परन्तु बालों की जड़ सुरक्षित रहती हैं। इस तरह के गंजेपन से बालों की पुनः उत्पत्ति अपेक्षाकृत आसान होती है। प्रसव के बाद स्त्रियों में प्रायः इसी प्रकार का गंजापन देखा जाता है कभी−कभी नवजात शिशुओं में भी यह समस्या दृष्टिगत होती है।

 

पुरुषों के समान महिलाएं भी गंजेपन की शिकार होती हैं परन्तु उनमें यह प्रक्रिया बहुत धीमी होती है पुरुषों के समान ही महिलाओं में भी हारमोन, बढ़ती उम्र तथा वशंगत प्रवृत्ति ही गंजेपन के लिए उत्तरदायी होते हैं। पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों के बाल कम गिरते हैं क्योंकि महिलाओं में पुरुष हारमोन कम होते हैं। महिलाओं के बाल माथे और सिर के दोनों ओर से गिरते हैं। कुछ महिलाओं में पुरुष हारमोन्स ज्यादा स्रावित होने लगते हैं इसलिए बढ़ती उम्र में उनमें दाढ़ी और मूछों में भी थोड़े−थोड़े बाल आने लगते हैं।

 

शरीर में पुरुष हारमोन्स की उपस्थिति बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। महिलाओं में भी पुरुष हारमोन होते हैं परन्तु उनका असर तभी नजर आता है जबकि उम्र बढ़ने के साथ−साथ एस्ट्रोजन का असर कम हो जाता है।

 

पुरुषों में पांच प्रकार का गंजापन होता है। पहले प्रकार का गंजापन सिर के मध्य और दाएं तथा बाएं हिस्से में होता है यह सबसे पहले शुरू होता है। इसमें बाल कम झड़ते हैं। दूसरे प्रकार का गंजापन लंबा, चौरस या गोल आकार लिए होता है जिसमें मध्य भाग के साथ−साथ मध्य भाग के पीछे के बाल भी उड़ जाते हैं। तीसरे प्रकार के गंजेपन में सिर के मध्य भाग से लेकर पीछे तक के बाल तेजी से उड़ते जाते हैं। गंजेपन के चौथे प्रकार में सिर का बीच का भाग पूरी तरह गंजा हो जाता है और नीचे के बाल तीन हिस्सों में बंटे दिखाई देने लगते हैं। पांचवें प्रकार के गंजेपन में सिर के तीनों ओर बालों की पतली सी रेखा ही दिखाई पड़ती है।

 

विशेषज्ञों के अनुसार, रोज 20−25 बालों का झड़ना सामान्य सी बात है परंतु जब यही संख्या 100 या उससे ज्यादा हो जाए तो यह चिंता का विषय हो जाता है। गंजेपन को दूर करने वाली दवाइयां अक्सर कुछ ही समय के लिए बालों का झड़ना रोक पाती हैं। अनेक लोग इन दवाओं के दुष्प्रभाव के भी शिकार हो जाते हैं।

 

बढ़ती उम्र में चमड़ी में दुबारा बाल उगाने के लिए विश्व में फोलिक्युलर माइक्रो हेयर ग्राफि्ंटग तकनीक को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस तकनीक में इंसान के शरीर के आजीवन रहने वाले बालों की जड़ों को माइक्रो सर्जरी द्वारा प्रत्यारोपित किया जाता है। बुरी से बुरी हालत में भी 8 से 10 हजार बालों की जड़ें ऐसी होती हैं जो पुनः प्रत्यारोपित की जा सकती हैं। यह शल्क क्रिया चूंकि लोकल एनेस्थिेसिया के प्रभाव में होती है इसलिए मरीज पूरी तरह होश में रहता है परंतु उसे दर्द की अनुभूति नहीं होती। इस विधि से एक दिन में मरीज के बाल इच्छानुसार ग्राफ्ट किए जा सकते हैं जो बाद में उगते रहते हैं।

 

वे लोग जो गंजेपन का शिकार होते हैं वे तो इस तकनीक का लाभ उठा ही सकते हैं साथ ही वे लोग जिनमें किसी कारण से दाढ़ी, मूछ या भौहें कम हैं वे भी इसका प्रयोग कर सकते हैं। जिन लोगों में बचपन में चोट लगने या जलने की वजह से बाल चले गए हों वे भी तकनीक के प्रयोग से दुबारा बाल उगवा सकते हैं।

 

हेयर ग्राफि्टंग की यह तकनीक केवल विज्ञान ही नहीं कला भी है। इस तकनीक का 90 प्रतिशत लाभ चिकित्सक की कलात्मक योग्यता पर निर्भर करता है इसलिए अपना इलाज करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि चिकित्सक इस तकनीक के प्रयोग में माहिर है।

 

− वर्षा शर्मा

प्रमुख खबरें

Paralympics 2024: नवदीप ने भाला फेंक में निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से जीता सिल्वर, भारत की झोली में 29वां मेडल

Paris Paralympic 2024: सिमरन ने महिलाओं की 200 मीटर रेस में जीता ब्रॉन्ज मेडल, भारत की झोली में आया 28वां पदक

आखिरी बार अप्रैल 2023 में बजरंग पूनिया ने जीता था पदक, नौकरी छोड़ राजनीति में की एंट्री, देखें पहलवान की Networth

बृजभूषण सिंह ने विनेश फोगाट पर साधा निशाना, कहा- वह किसी दिन राहुल गांधी को भी फंसा सकती हैं...