इमरान खान के लिए शर्म से डूब मरने वाली बात, आतंकी संगठन टीटीपी ने सरकार से कर दी वादाखिलाफी

By नीरज कुमार दुबे | Dec 11, 2021

प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), पाकिस्तान सरकार के साथ हुए महीने भर के संघर्ष विराम समझौते का विस्तार नहीं करेगा। यह घोषणा आतंकी समूह ने की है और यह प्रधानमंत्री इमरान खान के समूह के साथ शांति समझौते के प्रयासों को एक बड़ा झटका है। हम आपको बता दें कि पिछले 14 वर्षों में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और नागरिकों पर हुए कई बड़े हमलों के पीछे पाकिस्तान तालिबान रहा है। इन हमलों में 2014 में पेशावर में एक सैनिक स्कूल पर हमला भी शामिल है, जिसमें 150 से अधिक व्यक्तियों की मौत हो गई थी। मारे गए व्यक्तियों में अधिकतर बच्चे थे।

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टीटीपी ने एक बयान में पाकिस्तान सरकार पर लड़ाकों की रिहाई सहित फैसलों का सम्मान करने में विफल रहने का आरोप लगाया गया है। ‘डॉन’ समाचारपत्र ने बताया कि टीटीपी ने 25 अक्टूबर, 2021 को ‘‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’’ (आईईए) के तत्वावधान में सरकार के साथ हुए छह-सूत्रीय समझौते की जानकारी दी। समझौते के अनुसार, दोनों पक्षों ने यह स्वीकार किया था कि आईईए मध्यस्थ की भूमिका निभाएगा और दोनों पक्ष पांच-पांच सदस्यीय समितियां बनाएंगे, जो मध्यस्थ की देखरेख में प्रत्येक पक्ष के कार्रवाई के अगले कदम और मांगों पर चर्चा करेंगी। बयान के अनुसार, सरकार न केवल दोनों पक्षों के बीच हुए फैसलों को लागू करने में विफल रही, बल्कि इसके विपरीत, सुरक्षा बलों ने डेरा इस्माइल खान, लक्की मारवात, स्वात, बाजौर, स्वाबी और उत्तरी वजीरिस्तान में छापेमारी की और आतंकवादियों को मार गिराया और हिरासत में लिया। टीटीपी ने कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में संघर्ष विराम को आगे बढ़ाना संभव नहीं है।’’ इससे पहले एक ऑडियो संदेश में टीटीपी प्रमुख मुफ्ती नूर वली महसूद ने संघर्षविराम की समाप्ति की घोषणा की और अपने लड़ाकों से 12 बजे के बाद हमले फिर से शुरू करने को कहा। खबर में कहा गया है कि संघर्षविराम नौ नवंबर को लागू हुआ था।

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कौन है टीटीपी?


हम आपको बता दें कि टीटीपी अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर सक्रिय एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है। यह एक दशक से अधिक समय में पाकिस्तान में कई हमलों को अंजाम दे चुका है, जिनमें हजारों लोगों की मौत हुई है। यह संगठन कथित तौर पर अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवादी हमलों की साजिश रचने के लिए करता है। पाकिस्तान सरकार ने अफगानिस्तान में तालिबान के प्रभाव का इस्तेमाल टीटीपी के साथ शांति समझौता करने और हिंसा को रोकने की कोशिश करने के लिए की थी। हालांकि इस्लामिक जिहादी संगठन टीटीपी के आगे घुटने टेकने से इमरान खान की सरकार की चारों ओर आलोचना हो रही थी पर सरकार ने अपने इस फैसले का बचाव किया था लेकिन अब जबकि टीटीपी ने खुद ही समझौता आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया है तो इमरान खान की सरकार की जबरदस्त किरकिरी हुई है। टीटीपी ने सरकार से समझौता कर जेल में बंद अपने आतंकवादियों को छुड़वा लिया और बाद में समझौते से पीछे हट गयी ऐसे में शर्म से डूबे इमरान को अब समझ नहीं आ रहा है कि अपना मुँह कहाँ जाकर छिपाएं।

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