By अंकित सिंह | May 26, 2023
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नई संसद भवन का उद्घाटन करने जा रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस सहित लगभग 21 दलों ने इसके बहिष्कार का फैसला लिया है। इन सब के बीच सेंगोल को इस बार संसद भवन में लगाया जाएगा। इसको लेकर भी आप राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस ने जहां इसको लेकर सवाल उठाए तो ही भाजपा अब उस पर पलटवार कर रही है। इन सबके बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि सेंगोल का अपमान भारतीय इतिहास का अपमान है। उन्होंने कहा कि संकुल परिवर्तन का प्रतीक है। कांग्रेस हताश होकर आरोप लगा रही है। सेंगोल भारतीय इतिहास का विशिष्ट अंग है। लेकिन गांधी परिवार ने हमेशा इसे एक छड़ी के रूप में देखा। उन्होंने कहा कि संघ और धर्म और न्याय प्रणाली का भी प्रतीक है।
संसद के उद्घाटन पर कांग्रेस के बहिष्कार पर कि उन्होंने तंज कसा। स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस का विरोध स्वाभाविक है। उनके लिए राजनीति का मतलब परिवारनीति है। उद्घाटन समारोह का बहिष्कार देशवासियों का अपमान है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के लिए कांग्रेस नेताओं ने क्या-क्या नहीं कहा। आज कांग्रेस राष्ट्रपति की दुहाई क्यों दे रही है? केंद्रीय मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि नई संसद का उद्घाटन देश का कार्यक्रम है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि क्या कांग्रेस महादेव और नंदी के विरोध में है? क्या कांग्रेस मानती है कि वह हिंदू विरोधी पार्टी है? इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कांग्रेस पर नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के निकट स्थापित किए जाने वाले रस्मी ‘राजदंड’ (सेंगोल) के महत्व को कमतर करके ‘‘चलते समय सहारा देने के काम आने वाली छड़ी’’ बना देने का आरोप लगाया तथा सवाल किया कि उसे भारतीय संस्कृति से इतनी नफरत क्यों है?
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार को दावा किया कि इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है जिससे यह साबित होता हो कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालाचारी और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ‘राजदंड’ (सेंगोल) को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत को सत्ता हस्तांतरित किये जाने का प्रतीक बताया हो। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी वाह-वाह करने वाले लोग इस रस्मी ‘राजदण्ड’ को तमिलनाडु में राजनीतिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। रमेश ने ट्वीट किया, क्या यह कोई हैरानी की बात है कि नए संसद भवन को व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के फर्जी विमर्श से सुशोभित किया जा रहा है? भाजपा /आरएसएस का इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का रुख एक बार फिर अधिकतम दावा, न्यूनतम साक्ष्य के साथ बेनकाब हो गया है।