काले धन पर गठित विशेष जांच दल की सिफारिश पर बाजार नियामक सेबी विवादास्पद पी-नोट जारी करने और उसके हस्तांतरण के समय बाकायदा जांच के नियम सख्त करने की योजना बना रहा है। इसके तहत निवेशकों पर जिम्मेदारी होगी कि वे पी-नोट के जरिए निवेश के मामले में भारत के मनी लांडरिंग कानून का अनुपालन करें। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का मानना है कि ये नियम पहले से ही कठोर हैं ताकि पी-नोट के जरिए निवेश की सुविधा का दुरुपयोग मनी लांडरिंग जैसी गतिविधियों के लिए न हो सके इसके लिए सुरक्षा के अतिरिक्त प्रावधान करने का फैसला किया गया है।
पी-नोट भारत में पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारतीय प्रतिभूतियों के आधार पर विदेशों में अपने ग्राहकों को जारी किए जाने वाले निवेश-पत्र होते हैं। इसमें विदेशों निवेशकों को अपने को भारतीय अधिकारियों के समक्ष सीधे पंजीकृत कराने की जरूरत नहीं होती। सेबी ने इस मामले में अपने ग्राहक को जानो (केवायसी) तथा विदेशों में डेरिवेटिव निवेश पत्र यानी भारतीय प्रतिभूतियों में निवेश के लिए जारी किये जाने वाले पी-नोट के संबंध में छह खास बदलाव करने की योजना बनायी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पी-नोट जारी करने वाली कुछ बड़े संस्थागत निवेशकों और अन्य संबद्ध पक्षों के साथ चर्चा के बाद प्रस्तावित बदलाव को अंतिम स्वरूप दे दिया गया है और वे बाजार के हित में दिए गए सुझाव पर आम तौर पर सहमत हैं। इनमें पी-नोट जारी करने वाली इकाइयों को ओडीआई के संबंध में किसी प्रकार के संदिग्ध निवेश की सूचना भारतीय वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू) को संदिग्ध हस्तांतरण रपट (एसटीआर) की जिम्मेदारी भी शामिल होगी।