By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 26, 2022
वाशिंगटन। (द कन्वरसेशन) रिमोट संचालित एक पनडुब्बी का उपयोग कर मेरे सहकर्मियों और मैंने आस्ट्रेलिया तट के पास ग्रेट बैरियर रीफ और कोरल सागर में 2,500 फुट (760मीटर) की गहराई में काले मूंगे की पांच प्रजातियों की खोज की है। काले मूंगे उथले जल से लेकर 26,000 फुट (8,000) मीटर की गहराई तक बड़े होते पाये जाते हैं और कुछ मूंगे (प्रवाल) का जीवन काल 4,000 वर्षों से अधिक तक होता है। इनमें से कई मूंगे पंख और झाड़ियों की तरह दिखते हैं, जबकि अन्य गुच्छे जैसे नजर आते हैं।
उथले जल में पाई जाने वाले अन्य मूंगों के उलट वे ऊर्जा प्राप्त करने के लिए सूर्य की रोशनी और प्रकाश संश्लेषण पर निर्भर करते हैं। मैं और आस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों की एक टीम ने 2019 और 2020 में स्मिद ओशन इंस्टीट्यूट के दूरस्थ संचालित यान-सुबास्टिन नाम की एक पनडुब्बी- का इस्तेमाल ग्रेट बैरियर रीफ और कोरल सागर का अन्वेषण करने के लिए किया। हमारा लक्ष्य 130 फुट से लेकर 6,000 फुट तक की गहराई में पाये जाने वाले मूंगे के नमूने एकत्र करना था। पूर्व में, इस क्षेत्र के गहरे हिस्से में मूंगे उन पद्धतियों का इस्तेमाल कर एकत्र किये गये जिनमें वे अक्सर नष्ट हो जाते थे। हमने गहरे जल की पारिस्थितिकी में एक रोबोट उतारा, जिससे हमारी टीम गहरे समुद्र में मूंगे को उनके प्राकृतिक अधिवास में एकत्र कर पाई।
31 बार गोता लगाने के दौरान मेरे सहकर्मियों और मैंने काले मूंगे की 60 प्रजातियां एकत्र की। हमने रोबोट का इस्तेमाल कर मूंगे को सावधानीपूर्वक रेतीली सतह या प्रवाल भित्ति से अलग किया, मूंगे को एक दबाव वाले, तापमान नियंत्रित भंडारण बक्से में रखा और उन्हें सतह तक लाया। हम मूंगे की भौतिक विशेषताओं की पड़ताल करेंगे और उनके डीएनए का अनुक्रमण करेंगे। मूंगे की कई प्रजातियों में पांच नयी प्रजातियां शामिल हैं जिनमें एक को हमने 2,500 फुट से अधिक की गहराई में बड़ा होते हुए पाया। हालिया शोध ने गहरे समुद्र के बारे में यह जानकारी दी है कि उनमें जीवविज्ञानियों के अनुमान से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं।
विश्व में काले मूंगे की सिर्फ 300 ज्ञात प्रजातियां पाये जाने की धारणा के बीच एक सामान्य स्थान पर पांच नयी प्रजातियों का पाया जाना हमारी टीम के लिए बहुत हैरान करने वाला उत्साहजनक था। कई काले मूंगे आभूषण के लिए अवैध दोहन किये जाने के कारण खतरे का सामना कर रहे हैं। इन समृद्ध अधिवास के स्मार्ट संरक्षण को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से शोधकर्ताओं के लिए यह जरूरी है कि इन गहरे स्थानों पर किस तरह की प्रजातियां रहती हैं और प्रत्येक प्रजाति की भोगौलिक श्रृंखला क्या है। जब भी वैज्ञानिकों ने गहरे सागर का अन्वेषण किया, उन्होंने नयी प्रजातियों का पता लगाया। जीवविज्ञानी जितनी अधिक संख्या में प्रजातियें का पता लगाएंगे हम उनके उदविकास के इतिहास को समझने में उतने सक्षम होंगे। इसमें यह भी शामिल है कि उन्होंने कम से कम चारबार विलुप्ति का कैसे सामना किया। मेरे सहकर्मियों और मेरे लिए अगला कदम समुद्र के तल का अन्वेषण जारी रखना है।