By अभिनय आकाश | Sep 28, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि भारत के किसी भी हिस्से को कोई भी पाकिस्तान की तरह नहीं बता सकता। जजों को ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणी से परहेज करना होगा। इसके साथ ही कर्नाटक हाई कोर्ट के जज वी श्रीशानंद की कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर कार्रवाई को बंद कर दिया गया। पांच जजों की बेंच ने कहा कि जस्टिस वी. श्रीशेषानंद ने ओपन कोर्ट में 21 सितंबर को माफी मांग ली थी। चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, 'जज सुनवाई के दौरान किसी भी अवांछित टिप्पणी से बचें। इस सप्ताह यानी 23 सितंबर से 28 सितंबर 2024 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।
दिल्ली-NCR में प्रदूषण को लेकर SC ने मांगा स्पष्टीकरण
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता की निगरानी और प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाने में विफल रहने के लिए केंद्रीय वायु गुणवत्ता पैनल को कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से प्रदूषण और पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछा। न्यायालय ने प्रदूषण और पराली जलाने के मामले से निपटने के लिए गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को फटकार लगाते हुए कहा कि उसे और अधिक सक्रिय होने की जरूरत है।
गुजरात सरकार पर कमेंट हटाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गुजरात सरकार को झटका दिया। कोर्ट ने सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें बिलकीस बानो मामले में राज्य के खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों को लेकर फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध किया गया था। दरअसल, इसी साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के 2002 के दंगो के दौरान बिलकिस बानो से रेप और उनके परिजनों की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों की रिहाई के गुजरात सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान राज्य सरकार के खिलाफ कुछ टिप्पणी भी की थी। सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार ने अर्जी दाखिल कर टिप्पणियों को हटाने की गुहार लगाते हुए रिव्यू पिटिशन फाइल की थी।
धर्म बैकग्राउंड जो भी हो सभी पर लागू घरेलू हिंसा एक्ट
डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट (डीवी ऐक्ट) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण कानून, 2005 एक सिविल नेचर का कानून है, जो भारत में हर महिला पर लागू होता है, चाहे वह महिला किसी भी धर्म या सामाजिक बैकग्राउंड से ताल्लुक रखती हों। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि 2005 का कानून संविधान के तहत दिए गए अधिकारों की अधिक प्रभावी सुरक्षा के लिए सभी महिलाओं पर लागू है।