By अनन्या मिश्रा | Dec 30, 2023
शायद ही कोई बच्चा ऐसा होगा, जो 'जंगल बुक' और इसके हीरो 'मोगली' को नहीं जानता होगा। जंगल बुक की कहानी पढ़ने के दौरान मोगली अपना दोस्त सा महसूस होने लगता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस बुक के राइटर कौन हैं। अगर आपका जवाब नहीं है, तो बता दें कि इस किताब को रुडयार्ड किपलिंग ने लिखा था। आज यानी की 30 दिसंबर के दिन रुडयार्ड किपलिंग का जन्म हुआ था। रुडयार्ड किपलिंग एक कमाल के लेखक थे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर रुडयार्ड किपलिंग के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
मुंबई में 30 दिसंबर 1865 को रुडयार्ड किपलिंग का जन्म हुआ था। वह मूल रूप से इंग्लैंड के रहने वाले थे। वहीं जन्म के दौरान उनके माता-पिता भारत में रहते थे। पेरेंट्स द्वारा बेटे का नाम रुडयार्ड रखने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। दरअसल, उनके पेरेंट्स ने रुडयार्ड नामक झील के पास शादी की थी। ऐसे में पहले बेटे के जन्म पर उन्होंने झील के नाम पर बेटे का नाम भी रुडयार्ड रखा।
महज 6 साल की उम्र में रुडयार्ड पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए। जहां पर वह एक निजी बोर्डिंग हाउस में रहे। लेकिन दुर्भाग्यवश उस बोर्डिंग हाउस की स्थिति काफी ज्यादा भयावह थी। उस बोर्डिंग हाउस में छोटे से अपराध के लिए बच्चों को बुरी तरह से पीटा व दंडित किया जाता था। ऐसे में इस दर्द से बचने के लिए उन्होंने अपनी मां को पत्र लिखा। जिसके बाद उन्होंने डेवोन कॉलेज से अपनी शिक्षा पूरी की। इसके बाद साल 1882 में किपलिंग भारत वापस आ गए।
कॅरियर
भारत वापस आने के बाद किपलिंग ने बतौर पत्रकार एक अखबार में नौकरी शुरूकर दी। इस दौरान उन्होंने लिखना भी शुरूकर दिया था। किपलिंग अपनी यात्रा पर संक्षिप्त निबंध लिखते थे। इसके साथ ही वह चीन, जापान, यूएस और बर्मा का दौरा करते रहे। उनके द्वारा लिखी गई कहानियां व निबंध लोगों के बीच काफी ज्यादा लोकप्रिय हो रहे थे। संपादक के अनुरोध पर रुडयार्ड किपलिंग द्वारा बच्चों व युवा पाठकों के लिए लिखी गई 'द जंगल बुक' और 11 साल बाद 'द सेकेंड बुक ऑफ जंगल' को प्रकाशित किया गया।
जिसके बाद साल 1886 में उनकी पहली कविता का संग्रह और साल 1888 में लघु कथाओं का संग्रह प्रकाशित हुआ। वहीं साल 1890 में रुडयार्ड किपलिंग इंग्लैंड चले गए और अपने कार्य को लेकर ज्यादा गंभीर व समर्पति हो गए थे। इस दौरान उन्होंने अपना पहला उपन्यास 'द लाइट गोज आउट' प्रकाशित किया। इसके बाद 'नौलखा' प्रकाशित हुआ। वहीं साल 1906 में 'पुक हिल से पुक' और साल 1910 में 'पुरस्कार और परियां' का संग्रह काफी लोकप्रिय हुआ। आपको बता दें कि साल 1907 में रुडयार्ड किपलिंग को साहित्य में योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मृत्यु
अपनी रचनाओं से लोगों के दिल में जगह बनाने वाले रुडयार्ड किपलिंग की तीव्र अल्सर हो गया था। जिसके चलते 18 जनवरी 1936 को महान लेखक किपलिंग का निधन हो गया। बता दें कि उनके द्वारा लिखी गई कहानी 'द जंगल बुक' एक ऐसी रचना थी, जिसको कई बार अलग-अलग भाषाओं में टीवी सीरीज, फिल्मों और एनिमेशन के जरिए दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया गया।