By कमलेश पांडे | Jul 19, 2022
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी मुद्रा "रुपया" को वैश्विक मजबूती प्रदान करने के लिये रूपये में ही आयात-निर्यात करने का अतिरिक्त इंतजाम करने का निर्देश अधीनस्थ बैंकों को दिया है। इससे निकट भविष्य में डॉलर की शामत आनी तय है। क्योंकि विशेषज्ञों की राय है कि बैंकों के इस कदम से डॉलर समेत अन्य विदेशी मुद्राओं की तुलना में रूपये में मजबूती आएगी, जिससे आयात सस्ता होगा। आरबीआई ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि बैंकों को यह व्यवस्था लागू करने से पहले उसके विदेशी मुद्रा विभाग से पूर्व-अनुमति लेना जरूरी होगा।
गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के साथ ही भारतीय मुद्रा पर अमेरिकी डॉलर का दबाव भी बढ़ने लगा। क्योंकि ग्लोबल मार्केट में तमाम प्रतिबंधों के बाद हालात ये बन गए कि डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर चला गया। इससे निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले हफ्ते डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूती लाने के लिए विदेशी कोषों की आवक बढ़ाने के लिए विदेशी उधारी की सीमा बढ़ाने और सरकारी प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश के मानक उदार बनाने की घोषणा की थी। कारण कि इसके पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि रुपए की चाल पर सतर्क नजर रखे हुए हैं।
वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई इस समस्या से निपटने के लिए एक नई व्यवस्था विकसित कर रहा है, जिसके दृष्टिगत अंतरराष्ट्रीय व्यापार भी रुपये में करने के लिए नया नियम विकसित किया जाएगा। बता दें कि डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में लगातार आ रही गिरावट और दुनिया के बहुतेरे देशों की रुपये में बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए ही यह नई व्यवस्था बनाई जा रही है। जिसके अमल में आने के बाद भारत अपने आयात-निर्यात का सेटलमेंट रुपये में ही कर सकेगा। जिसके पश्चात ग्लोबल ट्रेडिंग सिस्टम में डॉलर व अमेरिका का दबाव खत्म हो जाएगा।
# रुपये में आयात-निर्यात से भारत पर नहीं होगा किसी के प्रतिबंधों का असर
बता दें कि आरबीआई का नया सिस्टम शुरू होने के बाद भारत पर अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का असर खत्म हो जाएगा। दरअसल, ऐसा कई बार हुआ है जब अमेरिका ने किसी देश पर प्रतिबंध लगाया है और भारत को बेवजह उसका खामियाजा भुगतना पड़ा है। बीते दशक के उत्तरार्द्ध में ईरान से तनातनी के बीच जब अमेरिका ने उस पर प्रतिबंध लगाया तो भारत को ईरान से कच्चा तेल खरीदने में काफी मुश्किल आई। इसी तरह, रूस-यूक्रेन के हालिया युद्ध की वजह से जब अमेरिका और यूरोप ने रूस पर प्रतिबंध लगाए तो भारतीय कंपनियां भी रूस के उत्पाद खरीदने में नाकाम रहीं।
इन प्रतिबंधों का भारत पर असर इसलिए ज्यादा होता था, क्योंकि ग्लोबल मार्केट में डॉलर में ही व्यापार का लेन-देन किया जाता है और प्रतिबंधों के कारण अमेरिकी डॉलर में लेन-देन भी बंद हो जाता है। इन परेशानियों से निजात पाने के लिए ही आरबीआई अब ग्लोबल मार्केट में सीधे रुपये में ही ट्रेडिंग करने का एक नया सिस्टम तैयार कर रहा है।
# अब फॉरेक्स मार्केट से तय होगी दर और रूपये में ही होगा कारोबार
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने कहा है कि नया सिस्टम, फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के तहत बनाया जा रहा है। इससे विदेश में होने वाले आयात और निर्यात के सभी सेटलमेंट रुपये में ही किए जा सकेंगे। इस तरह से रुपये की कीमत संबंधित देश की मुद्रा के ग्लोबल फॉरेक्स मार्केट में चल रहे भाव के आधार पर ही तय की जाएगी और सौदे का सेटलमेंट भारतीय मुद्रा में ही किया जाएगा। सरकार के इस कदम से रुपया और मजबूत होगा जिससे आयात सस्ता होगा। चूंकि भारत 80 फ़ीसदी कच्चा तेल आयात करता है। इसलिए जब रुपया मजबूत होगा तो तेल के लिए कम राशि का भुगतान करना होगा, जिससे तेल सस्ता होगा और इससे पेट्रोल-डीजल के दाम भी घट सकते हैं।
# अब वोस्ट्रो खाता के जरिए होगा कारोबार, अभिकर्ता बैंक की भूमिका हुई महत्वपूर्ण
व्यापार सौदों के लिए संबंधित बैंकों को साझेदार कारोबारी देश के अभिकर्ता बैंक के विशेष रुपया वोस्ट्रो खातों की जरूरत होगी। भारतीय आयातकों को विदेशी विक्रेता से वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति के बिल के एवज में रुपए में भुगतान करना होगा, जिसे उस देश के अभिकर्ता बैंक के खास वोस्ट्रो खाते में जमा किया जाएगा। रिजर्व बैंक के मुताबिक, नई व्यवस्था लागू करने के लिए भारत में अधिकृत बैंकों को वोस्ट्रो खाते खोलने की इजाजत दी गई है। जिसके मद्देनजर अब भारत का अधिकृत बैंक व्यापार से जुड़े देश के बैंक के साथ मिलकर रुपये का वोस्ट्रो खाता खोल सकेगा। इससे भारतीय आयातकों और विदेशी आपूर्तिकर्ताओं यानी सप्लायर्स का सेटलमेंट रुपये में हो सकेगा। इसी तरह, भारतीय निर्यातकों को संबंधित देश के बैंकों की ओर से खोले गए विशेष वोस्ट्रो खाते से भुगतान किया जाएगा।
जानकार बताते हैं कि भारत की इस नई व्यवस्था से लंबे समय में भारत की डॉलर पर निर्भरता घटेगी। साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने से होने वाली आर्थिक चुनौतियों से भी निपटना आसान हो जाएगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि शुरू में यह चुनौती जरूर होगी कि दूसरे देशों के पास रुपए का भंडार उतना है कि नहीं, जिससे कारोबार किया जा सके। इसलिए ऐसे देशों को रूपये का भंडार बनाने के लिए प्रोत्साहित भी किया जा सकता है। यह संभव है, क्योंकि वैश्विक कारोबारी समुदाय भी भारतीय मुद्रा रुपया में अपनी दिलचस्पी ले रहा है।
बता दें कि भारत के पास 600 अरब डॉलर के करीब मुद्रा भंडार है। हालांकि पिछले 9 माह से लगातार विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से अपना निवेश निकाल रहे हैं, जिसके चलते रूपया 19 पैसे टूटकर से 79.45 रुपये प्रति डॉलर के निचले स्तर पर बंद हुआ। भारत सरकार इसे गंभीरता से ले रही है, जिसके बाद आरबीआई हरकत में आई और नई व्यवस्था बनाने का ऐलान किया, जिसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी दूरगामी असर पड़ेगा।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार