By अभिनय आकाश | Sep 16, 2021
नब्बे के दशक का हिट विज्ञापन जब घर का एक बल्ब फ्यूज हो जाता है तो असरानी बल्ब खरीदने निकल पड़ते हैं। दुकानदार उनको बल्ब-ट्यूब बनाने वाली पॉपुलर ब्रांड कंपनी के बल्बों के टिकाऊपन के बारे में बताता है, तो जोश में आकर वह बोल उठते हैं- ‘पूरे घर के बदल डालूंगा!’ देश के प्रधानमंत्री भी इसी तर्ज पर पार्टी से लेकर विधायक और नगर निकाय लेवल पर भी बदलाव को अंजाम दे चुके हैं। चाहे वो गुजरात में उनके मुख्यमंत्री रहने के दौरान हो या फिर नए नवेले भूपेंद्र पटेल कैबिनेट के हों। नरेंद्र मोदी व्यापक स्तर पर बदलाव उनका हिट फॉर्मूला रहा है।
गुजरात में नरेंद्र मोदी की शैली थी कि वो विधानसभा चुनाव में कई विधायकों का टिकट काट देते थे। सरकार में नियमित अंतराल पर बड़ा बदलाव करते थे। इससे वह लोकल एमएलए के खिलाफ या उनकी सरकार के खिलाफ उपजे एंटी इनकंबेंसी को पूरी तरह काउंटर कर देते थे। फिर राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखते ही कुछ इसी तरह का बदलाव दिल्ली के नगर निगम चुनाव में देखने को मिली।
नए चेहरों की दी जगह
अगले साल दिसंबर के महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए भारतीय जनता पार्टी ने नवनियुक्त मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मंत्रिपरिषद में 24 नए सदस्यों को शामिल किया। इन नए मंत्रियों में 21 पहली बार मंत्री बने हैं। नए मंत्रिपरिषद में, निवर्तमान मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के मंत्रिपरिषद के किसी सदस्य को शामिल नहीं किया गया है।
बांटे गए विभाग
निमा आचार्य नई विधानसभा अध्यक्ष भी बनाई गई हैं। राजेंद्र त्रिवेदी ने इस पद से इस्तीफा देकर मंत्री पद की शपथ ली है। इसके साथ ही जीतू वाघनी को शिक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है और राघव पटेल को कृषि मंत्री बनाया गया।
समीकरण का रखा गया ध्यान
नए मंत्रिमंडल में 7 पाटीदार, 6 ओबीसी, 5 आदिवासी, 3 क्षत्रिय, 2 ब्राह्मण, 1 दलित और 1 जैन को जगह दी गयी है। वहीं जातीय समीकरण के साथ ही क्षेत्रीय गणित का भी पूरा हिसाब रखा गया है।