By अभिनय आकाश | Feb 10, 2024
पाकिस्तान में किसी भी पार्टी को स्पष्ट जनादेश नहीं मिला है। जहां एक तरफ नवाज-बिलावल की पीएमएलए और पीपीपी मिलकर भी 134 का आंकड़ा पार करती नहीं नजर आ रही वहीं कप्तान साहेब यानी इमरान खान के समर्थित उम्मीदवारों ने अच्छी सफलता प्राप्त की है। ताजा अपडेट्स के अनुसार इमरान समर्थित उम्मीदवारों ने 100 सीटें जीती हैं। पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज को 71 सीटें मिली हैं। जबकि बिलवाल भुट्टो की पीपीपी को 53 सीटें मिली हैं।
इमरान खान की 'एआई-जेनरेटेड' विक्ट्री स्पीच
अपने विजय भाषण में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक अध्यक्ष इमरान खान ने आम चुनावों में राष्ट्रव्यापी जीत पर अपने समर्थकों को बधाई दी और दावा किया कि पार्टी फॉर्म -45 डेटा के अनुसार 170 से अधिक राष्ट्रीय असेंबली सीटें जीत रही है। शुक्रवार देर रात एक्स पर पोस्ट किए गए अपने एआई-जनरेटेड भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने समर्थकों से कहा कि आपने कल अपना वोट डालकर वास्तविक स्वतंत्रता की नींव रखी है और मैं आम चुनाव 2024 में आपको जीत पर बधाई देता हूं।
शरीफ, इमरान खान ने किया जीत का दावा
पूर्व प्रधानमंत्रियों नवाज शरीफ और इमरान खान दोनों ने नतीजों में देरी के बाद अपनी जीत का दावा किया है। जिससे देश और अधिक राजनीतिक उथल-पुथल में फंस गया है। शरीफ की पार्टी ने किसी एक पार्टी के मुकाबले सबसे अधिक सीटें जीतीं, लेकिन जेल में बंद खान के समर्थक, जो उनकी पार्टी को चुनाव से रोके जाने के बाद एक गुट के बजाय निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़े, वो सभी पार्टियों पर भारी पड़े और कुल मिलाकर सबसे अधिक सीटें जीतीं। शरीफ ने कहा कि उनकी पार्टी गठबंधन सरकार बनाने के लिए अन्य समूहों से बात करेगी क्योंकि वह अपने दम पर स्पष्ट बहुमत हासिल करने में विफल रही है।
मसीहा जैसी छवि
खान अपने अनुयायियों के लिए सिर्फ एक राजनीतिक नेता नहीं हैं, बल्कि उन्होंने उनके बीच अपनी शख्सियत एक 'मसीहा बनाई है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, पीटीआई अध्यक्ष के समर्थक उन्हें न केवल एक राजनीतिक नेता के रूप में देखते हैं, बल्कि राजनीतिक मसीहा के रूप में देखते हैं। 'बर्बाद राष्ट्र'की एकमात्र आशा। डेली टाइम्स ने गैलप पाकिस्तान द्वारा पिछले साल किए गए एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण का हवाला देते हुए बताया था कि खान पाकिस्तान में सबसे लोकप्रिय नेता हैं, जिनके बारे में 61 प्रतिशत लोगों के सकारात्मक विचार हैं। 996 में पीटीआई का गठन करके राजनीति में एंट्री से पहले ही इमरान पाकिस्तान में एक सम्मानित क्रिकेट आइकन थे। जिन्होंने 1992 के विश्व कप में अपनी ऐतिहासिक जीत के लिए देश का नेतृत्व किया। उनके समर्थकों को ऐसा लगता है कि खान कोई गलत नहीं कर सकते। यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में सेंटर फॉर मुस्लिम स्टेट्स एंड सोसाइटीज की निदेशक समीना यास्मीन ने टाइम पत्रिका को बताया कि वह जो भी कहानी लेकर आते हैं, सही या गलत, तर्कसंगत या तर्कहीन, लोग उनका समर्थन करते हैं। उसके पास लोगों को समझाने की यह आदत है कि वह पूरे देश में एकमात्र ईमानदार व्यक्ति है। पीटीआई वास्तव में एक राजनीतिक दल नहीं है जो समय के साथ स्वाभाविक रूप से विकसित हुआ है। इमरान के मुख्य समर्थक अधिक वैचारिक हैं, जिन्हें पाकिस्तानी पाठ्यपुस्तक राष्ट्रवाद में सफलतापूर्वक सिखाया गया है और इमरान द्वारा मंत्रमुग्ध हैं, जो उनकी राय में देशभक्ति और धार्मिक भक्ति का अवतार हैं।
खान की रणनीति देश के भ्रष्ट राजनीतिक दलों पर एक कहानी बनाकर और समाज को शुद्ध लोगों और भ्रष्ट अभिजात वर्ग में विभाजित करके दबाव बनाए रखने की रही है। 2018 में प्रधानमंत्री बनने के बाद भी खान अपनी पूर्ववर्ती सरकार के भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते रहे। इमरान खान के 'नया पाकिस्तान' के वादे को देश के युवाओं ने बेहद गंभीरता से लिया। पाकिस्तान की एक स्वतंत्र राजनीतिक और सुरक्षा विश्लेषक सितारा नूर का कहना है कि उनकी पार्टी ने युवाओं को जोड़ने के लिए प्रभावी ढंग से सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया है, जो कुल आबादी का लगभग 65 प्रतिशत है।
पहली बार कोई नेता सेना से सीधे भिड़ता नजर आया
सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और इमरान खान के बीच चल रहा प्रॉक्सी वॉर भी मामले को जटिल बना रहा। इस प्रॉक्सी वॉर में प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली नागरिक सरकार जनरल मुनीर के लिए मोर्चा संभाली नजर आई। एक वक्त ऐसे भी हालात हो गए जब लगा कि सेना का डर और आतंक गायब हो गया है। यह सेना के लिए पूरी तरह से अपरिचित और अज्ञात है। अचानक वो खुद को ऐसी स्थिति में पा रहे है। आखिर कैसे अपनी प्रधानता के लिए इस खतरे को संभाला जाए।