By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 30, 2024
महू (मध्यप्रदेश) । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का रक्षा निर्यात एक दशक पहले के दो हजार करोड़ रुपये से बढ़कर रिकॉर्ड 21 हजार करोड़ रुपये को पार कर गया है। दो शताब्दी से अधिक पुरानी महू छावनी में आर्मी वॉर कॉलेज (एडब्ल्यूसी) में अधिकारियों को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि रक्षा निर्यात 2029 तक 50 हजार करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि लगातार बदलते समय में सीमांत प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल करना समय की मांग है। रक्षा मंत्री ने कहा कि सैन्य प्रशिक्षण केंद्र भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए सैनिकों को सुसज्जित और तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
सिंह ने कहा, एक दशक पहले हमारा रक्षा निर्यात करीब दो हजार करोड़ रुपये था, जो आज 21 हजार करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है। हमने 2029 तक 50 हजार करोड़ रुपये का निर्यात लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि भारत में निर्मित उपकरण दूसरे देशों को निर्यात किए जा रहे हैं। सिंह ने अपने भाषण में युद्ध में आमूलचूल परिवर्तन का उल्लेख करते हुए कहा कि सूचना युद्ध, कृत्रिम मेधा (एआई) आधारित युद्ध, छद्म युद्ध, अंतरिक्ष युद्ध और साइबर हमले जैसे अपरंपरागत तरीके बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। उन्होंने इस तरह के हमलों से लड़ने के लिए सेना को अच्छी तरह से प्रशिक्षित और सुसज्जित करने की आवश्यकता पर बल दिया और महू में प्रशिक्षण केंद्रों के बहुमूल्य योगदान की सराहना की।
सिंह ने बदलते समय के अनुसार प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में लगातार सुधार करने और कर्मियों को हर तरह की चुनौती के लिए तैयार करने की कोशिश करने के लिए प्रशिक्षण केंद्रों की सराहना की। रक्षा मंत्री ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण और संयुक्तता को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, आने वाले समय में सशस्त्र बल बेहतर और अधिक कुशल तरीके से चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होंगे। सिंह ने कहा कि महू छावनी में सभी शाखाओं के अधिकारियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण दिया जाता है। सिंह ने कहा कि भविष्य में अधिकारी को वैश्विक स्तर पर राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा, जब आप रक्षा से सम्बद्ध पद संभालते हैं, तो आपको सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आत्मसात करना चाहिए। आत्मनिर्भरता के माध्यम से ही भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत कर सकता है और विश्व मंच पर अधिक सम्मान प्राप्त कर सकता है। रक्षा मंत्री रविवार से मप्र के दो दिवसीय दौरे पर हैं। उन्होंने कहा कि सरकार भारत को दुनिया की सबसे मजबूत आर्थिक और सैन्य शक्तियों में से एक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, आर्थिक समृद्धि तभी संभव है जब सुरक्षा पर पूरा ध्यान दिया जाए। इसी तरह, सुरक्षा व्यवस्था तभी मजबूत होगी जब अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। सिंह ने सीमाओं की सुरक्षा और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सबसे पहले प्रतिक्रिया देने में सशस्त्र बलों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा, राष्ट्र की रक्षा के लिए यह समर्पण और लगातार बदलती दुनिया में खुद को अद्यतन रखने की यह भावना हमें दूसरों से आगे ले जा सकती है।
एडब्ल्यूसी में, सिंह को कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल एचएस साही ने संघर्ष के सभी क्षेत्रों में युद्ध लड़ने के लिए सैन्य अधिकारियों को प्रशिक्षित करने और सशक्त बनाने की दिशा में संस्थान की भूमिका और महत्व के बारे में जानकारी दी। एक विज्ञप्ति में कहा गया कि रक्षा मंत्री को बहु-क्षेत्रीय अभियानों में संयुक्तता, प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में प्रौद्योगिकी के समावेश और अधिकारियों के प्रशिक्षण के साथ-साथ शिक्षाविदों, विश्वविद्यालयों और उद्योगों के साथ किए जा रहे आदान-प्रदान कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षण पद्धति में महत्वपूर्ण कदमों के बारे में भी जानकारी दी गई। उन्हें मित्र देशों के अधिकारियों को प्रशिक्षित करने और सैन्य कूटनीति में महत्वपूर्ण योगदान देने के माध्यम से संस्थान द्वारा हासिल की गई वैश्विक छाप के बारे में भी जानकारी दी गई। इस अवसर पर थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। रक्षा मंत्री ने ’इन्फैंट्री मेमोरियल’ पर पुष्पचक्र अर्पित किया और वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी। इससे पहले दिन में सिंह और जनरल द्विवेदी ने उज्जैन शहर के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की।