ईवीएम मामले पर विपक्ष ने कहा- ''पूरी दाल ही काली है''

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 22, 2017

विपक्ष ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत को लेकर राज्यसभा में आज ईवीएम से छेड़छाड़ की आशंका जताई और कहा कि चुनाव आयोग को वीवीपीएटी के लिए आवश्यक राशि उपलब्ध ना कराए जाने से सरकार की नीयत में खोट नजर आता है। उच्च सदन में चुनाव सुधारों पर अल्पकालिक चर्चा के दौरान नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने हालिया विधानसभा चुनावों, खासकर उत्तर प्रदेश में भाजपा की जबर्दस्त जीत के मद्देनजर ईवीएम (इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन) से छेड़छाड़ की आशंका जताई और कहा कि सरकार के व्यवहार से ऐसा लगता है कि दाल में काला नहीं, बल्कि ‘‘पूरी दाल ही काली है।’’

 

उन्होंने कहा कि अक्तूबर 2013 में उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को ईवीएम मशीनों के साथ वीवीपीएटी (वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रायल) की व्यवस्था करने को कहा था। 2014 में निर्वाचन आयोग ने केंद्र सरकार से इस व्यवस्था के लिए 3,100 करोड़ रुपये की आवश्यक राशि मांगने के लिए पत्र लिखा। जब सरकार से राशि नहीं मिली तो निर्वाचन आयोग ने लगभग 10 रिमाइंडर भेजे। अंत में मुख्य चुनाव आयुक्त को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखना पड़ा। आजाद ने कहा कि सरकार के रवैये की वजह से अब तक सभी ईवीएम में वीवीपीएटी की व्यवस्था नहीं हो पाई। इसका मतलब है कि सरकार की नीयत में खोट था। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि दाल में काला नहीं, बल्कि ‘‘पूरी दाल ही काली है।’’

 

नेता विपक्ष ने कहा कि भाजपा को उत्तर प्रदेश में लगभग 100 सीट मिल पातीं, लेकिन उसे 325 सीट मिल गईं जिससे आशंका पैदा होती है। उन्होंने कहा कि बसपा नेता मायावती ने यह मुद्दा उठाया, अन्य ने भी यह मुद्दा उठाया, इसलिए यह गंभीर चिंता का विषय है जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को सभी ईवीएम मशीनों के साथ चरणबद्ध तरीके से वीवीपीएटी की व्यवस्था करने को कहा था। निर्वाचन आयोग ने 2019 के आम चुनाव से पहले देश के सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपीएटी की व्यवस्था करने की प्रतिबद्धता जताई है। यह एक ऐसी प्रणाली है जिससे ईवीएम का बटन दबाने के बाद एक पर्ची निकलती है। इस पर्ची से मतदाता आश्वस्त हो सकता है कि उसने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है, वोट उसी को पड़ा है।

 

निर्वाचन आयोग को करीब 16 लाख वीवीपीएटी खरीदने के लिए लगभग 3,100 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। वह इसके लिए विधि मंत्रालय को पत्र लिखता रहा है। इसके लिए अभी चार महीने पहले मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘एसओएस’ लिखा था। ईवीएम से छेड़छाड़ की आजाद की आशंका पर सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों ने कहा कि क्या पंजाब में भी ईवीएम से छेड़छाड़ हुई जहां कांग्रेस जीती है। इस पर आजाद ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘हम पंजाब में दोबारा चुनाव कराते हैं, आप उत्तर प्रदेश में दोबारा चुनाव कराएं।’’

 

नेता विपक्ष ने कहा कि कई देश ईवीएम को खारिज कर चुके हैं। अगर आगामी गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में सभी मतदान केंद्रों पर ईवीएम के साथ वीवीपीएटी की व्यवस्था नहीं हो पाती है तो फिर मतपत्रों के जरिए चुनाव कराया जाना चाहिए।

 

आजाद ने चुनाव सुधारों पर कहा कि बाहुबल को रोकने के लिए ईवीएम लाई गई थी जिस पर अब शंका पैदा हो रही है। चुनाव में धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए निर्वाचन आयोग ने उम्मीदवारों के चुनाव खर्च की सीमा तय कर दी, लेकिन अब चुनाव खर्च का बीड़ा उम्मीदवारों की जगह राजनीतिक दलों ने उठा लिया है। नेता विपक्ष ने कहा कि जिस राजनीतिक दल के पास ज्यादा पैसा है, वह चुनाव में हेलीकॉप्टरों और जहाजों का इस्तेमाल करता है और जिस दल के पास ज्यादा पैसा नहीं है, वह हेलीकॉप्टरों और जहाजों का इस्तेमाल नहीं कर सकता। इसलिए चुनाव सुधार के तहत हेलीकॉप्टरों और जहाजों के इस्तेमाल की सीमा तय होनी चाहिए।

 

आजाद ने कहा कि चुनाव में वोट प्रतिशत को लेकर भी कोई सुधार होना चाहिए क्योंकि कई बार कम वोट प्रतिशत वाली पार्टी की सरकार बन जाती है। कुछ देशों में वोट प्रतिशत संबंधी व्यवस्थाएं हैं। हमने चुनाव प्रणाली में दुनिया को कुछ दिया है तो दुनिया से कुछ लेना भी चाहिए। इससे पहले चर्चा की शुरुआत करते हुए तृणमूल कांग्रेस के मुकुल राय ने कहा कि चुनाव प्रणाली में सुधार की बहुत बड़ी आवश्यकता है जिससे कि जनता का विश्वास चुनाव में और गहरा हो। उन्होंने कहा कि चुनाव में ईवीएम आने से चुनाव प्रक्रिया सरल हुई, वोटों की गणना सटीक हुई, लेकिन अब कुछ राजनीतिक दलों ने इस पर संदेह जताया है, लोगों के मन में संदेह है। इसलिए चुनाव आयोग को इस चिंता पर ध्यान देना चाहिए। राय ने कहा कि चुनाव प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है और कोई भी चीज संदिग्ध नहीं छोड़ी जानी चाहिए। फंडिंग का मामला स्पष्ट होना चाहिए।

 

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