By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 27, 2024
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने शनिवार को कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को कार्यकर्ता मनोज जरांगे के मराठा आरक्षण आंदोलन के संबंध में राज्य सरकार की अधिसूचना के बारे में किसी तरह की आशंका नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने के संबंध में मंत्रिमंडल के अपने सहयोगी छगन भुजबल की आपत्तियों को भी दूर करने का प्रयास किया। इससे पहले, राज्य सरकार ने कहा कि उसने जरांगे की सभी मांगें स्वीकार कर ली हैं, जिसके बाद उन्होंने अपना अनशन खत्म कर दिया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की कि जब तक मराठा को आरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक समुदाय को ओबीसी को मिलने वाले लाभ दिए जाएंगे। शिंदे सरकार ने मराठा समुदाय के उन सभी रक्त संबंधियों को कुनबी के रूप में मान्यता देने के लिए एक अधिसूचना भी जारी की, जिनके कुनबी जाति के रिकॉर्ड पाए गए हैं।
कृषक समुदाय कुनबी राज्य में ओबीसी समूह का हिस्सा है। राज्य के मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अजित पवार गुट के सदस्य भुजबल ने इस कदम को ओबीसी में मराठा के लिए ‘‘पिछले दरवाजे से प्रवेश’’ कहा था और अधिसूचना को सतही और दिखावा करार दिया था। नागपुर में पत्रकारों से बातचीत में फडणवीस ने कहा, ‘‘ओबीसी को (अधिसूचना से) डरने की जरूरत नहीं है। उनके साथ कोई नाइंसाफी नहीं होगी।’’ भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘मैं भुजबल को बताना चाहता हूं कि कुनबी प्रमाण पत्र उन लोगों को नहीं दिया जाएगा जो कुनबी रिकॉर्ड का प्रमाण नहीं दिखा सकते हैं।
(राज्य सरकार के) फैसले से उन लोगों को फायदा होगा जिनके पास रिकॉर्ड तो हैं लेकिन वे जाति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं कर पाए हैं।’’ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में गृह विभाग संभाल रहे फडणवीस ने यह भी स्पष्ट किया कि आरक्षण आंदोलन के दौरान आगजनी करने वालों और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ प्राथमिकी वापस नहीं ली जाएगी। ओबीसी समुदाय के प्रमुख नेता भुजबल राज्य में सभी मराठा को कुनबी प्रमाण पत्र देने की जरांगे की मांग का विरोध करते रहे हैं।