War छोड़ ना यार: पुतिन को गले लगाया अब जेलेंस्की को जादू की झप्पी देने की बारी, रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवा मोदी लेंगे शांति का नोबल पुरस्कार

By अभिनय आकाश | Aug 22, 2024

8 जुलाई 2024 को रूस की राजधानी मॉस्को में दोपहर के वक्त आसमान में पंछी जैसी सफेद चीज नजर आई। जैसे-जैसे वो चीज करीब पहुंची उसका आकार बढ़ता गया। कुछ मिनटों के बाद एक विशालकाय विमान वेणुकोवो-II इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आकर खड़ी हो गई। इस विमान पर सुनहरे अक्षरों में भारत लिखा था। जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मॉस्को दौरे और व्लादिमीर पुतिन को गले लगाती तस्वीर तो आपको याद ही होगी। जिस तस्वीर को देखकर रूस के कट्टर दुश्मन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलदोमीर जेलेंस्की भड़क गए थे। लेकिन अब पुतिन के बाद पीएम मोदी की जेलेंस्की के साथ भी कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आने वाली है। जी हां, पीएम मोदी का यूक्रेन दौरा 23 अगस्त से शुरू हो रहा है।  23 अगस्त को पोलैंड से ही ट्रेन के जरिए पीएम मोदी यूक्रेन जाएंगे। यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यूक्रेन यात्रा है। खासकर रूस- यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में इस यात्रा की अहमियत बहुत बढ़ जाती है। एक महीने के अंदर हो रही प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन यात्रा इस तथ्य को रेखांकित करती है कि भारत रूस और यूक्रेन, दोनों के साथ रिश्तों को लेकर गंभीर है और युद्ध का असर अपने किसी रिश्ते पर नहीं पड़ने देना चाहता। भारत बुद्ध की विरासत वाली धरती है जो युद्ध नहीं शांति की नीति पर चलता है। पीएम मोदी विभिन्न मंचों से साफ कर चुके हैं कि ये युद्ध का युग नहीं है। पोलैंड से भी पीएम मोदी ने यूक्रेन जंग को लेकर अपनी पटकथा कि शुरुआत कर दी है। ऐसे में चर्चा तेज हो चली है कि क्या पीएम मोदी दोनों देशों के बीच चल रही जंग को रुकवा पाएंगे? इसके साथ ही चर्चा चल रही है कि पीएम मोदी युद्ध रुकवा कर शांति का नोबेल प्राप्त कर सकते हैं। 

भारत को विश्व बंधु के रूप में सम्मान मिल रहा

पोलैंड में अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि भारत, बुद्ध की विरासत वाली धरती है,  जो युद्ध नहीं, शांति पर विश्वास करती है। इसलिए, भारत इस रीजन में भी स्थाई शांति का एक बड़ा पैरोकार है। भारत का मत एकदम साफ है, ये युद्ध का युग नहीं है। भारत का विसडम ग्लोबल है, जिन ग्लोबल है, हमारे पूर्वजों ने हमें वसुधैव कुटुंबकम का मंत्र दिया है। भारत का कल्चर ग्लोबल है, केयर और कम्पैशन ग्लोबल है, हमने पूरी दुनिया को एक परिवार माना है और यही आज के भारत की नीति और निर्णयों में नजर आता है। आज का भारत सबसे जुड़ना चाहता है, आज का भारत सबके विकास की बात करता है, आज का भारत सबके साथ है, सबके हित की सोचता है।  हमें गर्व है कि आज दुनिया, भारत को विश्व बंधु के रूप में सम्मान दे रही है।

मोदी के गले लगने पर नाराज हुए थे जेलेंस्की

यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय रूस यात्रा पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और रूसी नेता व्लादिमीर पुतिन के साथ उनकी मुलाकात को भारी निराशा और शांति प्रयासों के लिए एक झटका करार दिया था। ज़ेलेंस्की ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता को दुनिया के सबसे खूनी व्यक्ति को गले लगाते देखना एक बड़ी निराशा और शांति प्रयासों के लिए एक विनाशकारी झटका है।

भारत-यूक्रेन संबंध

नई दिल्ली का कीव से पुराना नाता है। भारत यूक्रेन को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। जनवरी 1992 में दोनों ने राजनयिक संबंध स्थापित किए। सोवियत काल से पहले और बाद में दोनों देशों ने साझेदारी और मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखे। भारत और यूक्रेन के बीच सहयोग सांस्कृतिक आदान-प्रदान और व्यापार जैसे विविध क्षेत्रों तक फैला हुआ है। कृषि व्यापार ने भारत और यूक्रेन के व्यापारिक संबंधों का आधार बनाया। कीव ने 2021 में $ 2 बिलियन से अधिक मूल्य का निर्यात किया। हालाँकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से देशों के बीच व्यापार प्रभावित हुआ है। 2022 में भारत-यूक्रेन व्यापार की मात्रा एक साल पहले के 3.38 बिलियन डॉलर से घटकर 2.58 बिलियन डॉलर हो गई। डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, जहां यूक्रेन को भारत का निर्यात 22.8 प्रतिशत घटकर 85.49 मिलियन डॉलर हो गया, वहीं भारत को यूक्रेन का निर्यात 17.3 प्रतिशत गिरकर 1.69 बिलियन डॉलर हो गया।

फोन से रुकवा दो-दो बार रुकवा दी गोलीबारी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक इंटरव्यू में खुद इस बात का खुलासा किया था कि भारत ने रूस और यूक्रेन के युद्ध को एक नहीं दो-दो बार रोकने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने बताया कि हमारी सरकार ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वतन लाने के लिए पूरा जोर लगा दिया था और कामयाबी हासिल की। जगशंकर ने बताया कि अगर आप मुझसे यूक्रेन और रूस युद्ध रोकने की बात करेंगे तो में इसका गवाह हूं। हमने एक नहीं दो बार ऐसा काम करके दिखाया है। पहली बार 5 मार्च को पीएम मोदी ने व्लादिमीर पुतिन को फोन किया और हमारे छात्रों के लिए रास्ता बनाने के लिए गोलीबारी रोकने को कहा। पीएम मोदी के अनुरोध पर रूसी सेना ने गोलीबारी रोकी ओर हमारे लोग वतन लौटे। अगली सफल कोशिश 8 मार्च थी।  तब पीएम मोदी ने पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडोमिर जॅलेस्की से फोन पर बात की और अपने छात्रों के लिए रास्ता बनाया। गोलीबारी रोकी गई और हमारे छात्रों के लिए सुरक्षित रास्ता बनाया गया।

जेलेंस्की की सेना का बढ़ता प्रभाव

दिलचस्प है कि जब पीएम मोदी कीव पहुंच रहे हैं तब यूक्रेन की सेना ने कुछ रूसी क्षेत्रों में दबाव बढ़ा रखा है। लेकिन भारत युद्ध के उतार-चढ़ावों से खुद को अलग रखे हुए है। उसका शुरू से कहना है कि कूटनीतिक बातचीत के जरिए ही सारे विवाद हल किए जाने चाहिए। पीएम मोदी जब 2022 में समरकंद में रूसी राष्ट्रपति पूतिन से मिले थे, तब भी उनसे कहा था कि यह युद्ध का दौर नहीं है और जब हालिया रूसी यात्रा के दौरान उनसे मिले तब भी कहा कि युद्ध के मैदान में कोई हल नहीं निकलने वाला।

शांति का दूत भारत, जिस पर टिकी दुनिया की उम्मीदें

 संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत से आह्वान किया कि वह रूस के साथ अपने दीर्घकालिक संबंधों का उपयोग करके रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन में अपने अवैध युद्ध को समाप्त करने के लिए कहे। चाहे रूस और यूक्रेन हों या अमेरिका और अन्य यूरोपीय देश, भारत किसी के भी दबाव में आए बगैर अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप स्वतंत्र और संतुलित नीति पर कायम है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी आज भी यह उम्मीद बनाए हुए है कि दोनों देशों से करीबी की बदौलत भारत शांति प्रयासों को अंजाम तक पहुंचाने में विशेष भमिका निभा सकता है।

 

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