By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 26, 2018
मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि देश के वृहद आर्थिक बुनियादी कारक मजबूत बने हुए हैं और सरकार राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर चलने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बावजूद मुद्रास्फीति इसके निर्धारित दायरे में बनी हुई है। उन्होंने कहा कि 2,600 अरब डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक "आकर्षक स्थल" के रूप में उभरी है।
चालू वित्त वर्ष में इसमें 7.4 प्रतिशत वृद्धि रहने की उम्मीद की जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टेमेंट बैंक (एआईआईबी) के गवर्नरों की तीसरी वार्षिक बैठक को यहां संबोधित करते हुए यह बात कही। प्रधानमंत्री ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बावजूद मुद्रास्फीति निर्धारित दायरे में बनी हुई है । सरकार राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर चलने को लेकर दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब मई में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 4.87 प्रतिशत पर पहुंच गयी, जो कि लगातार सातवें महीने निर्धारित 4 प्रतिशत के दायरे से ऊपर बनी हुयी है। उन्होंने कहा कि जीडीपी प्रतिशत के रूप में सरकारी कर्ज में लगातार गिरावट आई है। साथ ही काफी लंबे इंतजार के बाद भारत की रेटिंग में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत का आर्थिक पुनरुत्थान एशिया के अन्य हिस्सों की वृद्धि को प्रतिबिंबित करता है और अब भारत दुनिया की वृद्धि का अगुवा बन गया है। मोदी ने कहा कि एक 'नए भारत' का उदय हो रहा है। यह एक ऐसा भारत है जो ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था, समग्र विकास पर आधारित सभी के लिये आर्थिक अवसरों के खंबों पर खडी और भविष्य को ध्यान में रखते हुये आगे बढ़ने वाली मजबूत अर्थव्यवस्था है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2600 अरब डॉलर की जीडीपी के साथ भारत दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। क्रय क्षमता के आधार पर भारत तीसरा बड़ा देश है। मोदी ने कहा कि 2017 की चौथी तिमाही में जीपीडी वृद्धि दर बढ़कर 7.7 प्रतिशत रही । चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि बढ़कर 7.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। आर्थिक मोर्चे पर अर्थव्यवस्था के लिए किसी भी तरह के बाह्य खतरे को दूर करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के पास 400 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार है , जो कि किसी भी बाह्य झटके से निपटने के लिए पर्याप्त है।
वृहदआर्थिक और राजनीतिक स्थिरता और सहयोगी नियामकीय रूपरेखा के साथ भारत दुनिया की सबसे अधिक निवेशक - अनुकूल अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी निवेशकों के लिहाज से भारत को बेहद कम जोखिम वाली राजनीतिक अर्थव्यवस्था के रूप में गिना जाता है। सरकार ने निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। हमनें कारोबारियों के लिए नियमों को सरल किया है और बड़े सुधारवादी कदम उठाए हैं। एफडीआई निवेश तेजी से बढ़ा है। पिछले चार वर्षों में 222 अरब डॉलर का विदेशी निवेश हुआ है। उन्होंने जीएसटी को सबसे महत्वपूर्ण प्रणालीगत सुधारों में से एक बताते हुए कहा कि इससे कर के ऊपर कर में कटौती, पारदर्शिता में वृद्धि और लॉजिस्टिक्स दक्षता में तेजी आई है।
कृषि क्षेत्र को लेकर उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र कुछ समय से उपज की कम कीमत और अधिक उत्पादन जैसी दिक्कतों का सामना कर रहा है। देश गोदामों और शीतगृह, खाद्य प्रसंस्करण, फसल बीमा और संबद्ध गतिविधियों में निवेश को बढ़ावा दे रहा है। मोदी ने एआईआईबी को इस बात का ध्यान रखने को कहा कि उसकी ब्याज दरें किफायती और वहनीय रहनी चाहिये। मैं इस अवसर पर एआईआईबी से कहना चाहता हूं कि वह अपने वित्तपोषण को चार अरब डालर से बढ़ाकर 2020 तक 40 अरब डॉलर और 2025 तक 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लिये काम करे।
एआईआईबी ने छोटी सी अवधि में ही दर्जन भर देशों में 25 परियोजनाओं के लिये वित्तपोषण को मंजूरी दी है और कुल मिलाकर चार अरब डालर की ऋण मंजूरी दी है। मोदी ने कहा ‘‘यह अच्छी शुरूआत है। भारत की एआईआईबी में चीन के बाद दूसरी बड़ी हिस्सेदारी है।