By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 26, 2020
भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल तथा राजीव गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेब सिम्पोजियम का समापन शुक्रवार को हो गया। वेब सिम्पोजियम के समापन सत्र को संबोधित करते हुए माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय द्विवेदी ने कहा कि साहित्य पहले राजनीति के आगे चलने वाली मशाल हुआ करता था, लेकिन आज वह खुद विचारधारओं को थामे हुए दिखता है, यह दुर्भाग्य जनक है। मीडिया भी अपने मूल पत्रकारीय ध्येय से भटक गया जो कि आजादी के समय जन जागरण और लोक कल्याण मूलक रहा था। टीवी मीडिया के शोर और कोलाहल ने जहां संकट को बढ़ाया है वहीं तकनीक की वजह से सूचनाओं को शेयर करने की होड़ से गलत और भ्रामक सूचनाएं ताकत पा रहीं हैं, जिससे समाज को खतरा है। हमें मीडिया की शक्ति का सदुपयोग चुनौतियों से निपटने और समाज निर्माण के लिए करना चाहिए।
वर्तमान हालात पर बात करते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि आपदा के समय हमें हमारी व्यवस्थाओं का पुनरावलोकन करना चाहिए। नब्बे के दशक में उदारीकरण के बाद जो व्यवस्था और तंत्र बना वह इस वैश्विक महामारी में दो माह भी खड़ा नहीं रह सका। हमारी अर्थव्यवस्था, रोज़गार, सामाजिक सुरक्षा सभी व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। इसलिए हमे गांधी जी के स्वदेशी और स्वाबलंबी व्यवस्था के बारे में सोचने का एक बार फिर मौका मिला है। वर्तमान राजनीति परिदृश्य पर प्रो. द्विवेदी ने कहा कि देश में संकटों के दौर में भी राजनीति करने के अवसर तलाश लिए जाते हैं। जिस तरह से देश में कोरोना वायरस के संकट में राजनीति की जा रही है वह दुर्भाग्यशाली है। भारत के नेतृत्व और भारत के संविधान पर कुछ लोग अविश्वास पैदा कर अपने हित साधने में लगे हैं, लेकिन यह भाव कहीं न कहीं भारत विरोधी ही है। कुछ लोग जनता को संकट और दुख दर्द में देखकर इस कारण खुश होते हैं कि देश के नेतृत्व को असफल बताया जा सके, यह दुर्भाग्य जनक है।