सख्त IPS रहे Lalduhoma अब बनेंगे मिजोरम के CM, इंदिरा गांधी हुईं थीं इंप्रेस, जानें इनके बारे में

By अंकित सिंह | Dec 05, 2023

2023 के आखिर में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों में सबसे ज्यादा चर्चा मिजोरम की हो रही है। दरअसल, मिजोरम में जोरम पीपुल्स मूवमेंट को दो तिहाई से ज्यादा बहुमत मिला है। इसके साथ ही वर्षों से राज्य में चली आ रही कांग्रेस और एमएनएफ सरकारों की जो परंपरा रही है वह भी टूट गया है। इसके साथ ही एक नाम की चर्चा जबरदस्त तरीके से हो रही है और वह नाम लालदुहोमा की है। लालदुहोमा जोरम पीपुल्स मूवमेंट के प्रमुख है और कहीं ना कहीं इन्हीं के नेतृत्व में पार्टी 27 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल हुई है। लालदुहोमा ने एक ऐसा तूफान आया जिसकी तेज से निवर्तमान मुख्यमंत्री जोरमथंगा सहित उनके प्रमुख नेता हवा में उड़ गए। सेरछिप से खुद लालदुहोमा ने चुनाव जीतने में कामयाबी हासिल की है। ऐसे में दिलचस्प है कि आखिर लालदुहोमा कौन हैं, इनको लेकर इतनी चर्चा क्यों है?

 

इसे भी पढ़ें: Mizoram में MNF हुई चित, खुद चुनाव हार गए CM Zoramthanga, बोले- लोग मेरे काम से संतुष्ट नहीं थे


लालदुहोमा राज्य के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे। लालदुहोमा के बारे में अगर संक्षेप में जानकारी दें तो बस आप इतना जान लीजिए कि ये संघर्ष के दूसरे नाम हैं। संघर्ष करने से कभी पीछे नहीं हटते। तभी 73 वर्ष की उम्र में भी उन्होंने मिजोरम को लेकर एक मजबूत लड़ाई लड़ी है। 22 फरवरी 1949 को जन्मे लालदुहोमा ने बचपन से ही कई कठिनाइयों का सामना किया। संघर्षों के बीच अपनी पढ़ाई पूरी की। मैट्रिक की परीक्षा के बाद उन्होंने गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा हासिल की। शुरूआत में उन्होंने पूर्व सीएम सी चुंगा के शासन में साल 1972 में मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रधान सहायक के रूप में नौकरी की। उन्होंने 1977 में सिविल सेवा की परीक्षा दी और शानदार परफॉर्म करते हुए आईपीएस बन गए। 


शुरूआत में उन्होंने तटीय राज्य गोवा में सेवा दी। लालदुहोमा ने गोवा में स्मगलर्स और ड्रग माफियाओं के खिलाफ जबरदस्त कार्रवाई की। उनके काम ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को काफी प्रभावित किया। फिर उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में स्थानांतरित कर दिया गया जहां उन्होंने तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की सुरक्षा के प्रभारी के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। उन्हें डीसीपी की जिम्मेदारी भी दी गई। इसी दौरान उनका झुकाव राजनीति की ओर भी होने लगा। 1984 में आईपीएस अधिकारी की नौकरी छोड़ने के बाद जेडपीएम नेता कांग्रेस में शामिल हो गए थे। लालदुहोमा ने पहली बार 1984 में कांग्रेस के टिकट पर मिजोरम विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन पीपुल्स कॉन्फ्रेंस पार्टी के उम्मीदवार लालमिंगथंगा से 846 मतों के अंतर से हार गए। उसी वर्ष उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था और निर्विरोध चुने गए थे।

 

इसे भी पढ़ें: 5 साल पहले बनी पार्टी ने BJP- Congress सहित सबके झंडे उखाड़ दिए, दिल्ली से 2000 किलोमीटर दूर मिजोरम में जमाई हूकुमत, केजरीवाल से मिलती है कहानी


तत्कालीन मुख्यमंत्री ललथनहवला और कुछ कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगने के बाद, जेडपीएम नेता ने 1986 में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और पार्टी छोड़ दी। लालदुहोमा कांग्रेस छोड़ने के बाद 1988 में दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद बने। उन्होंने साल 1986 में मिजो नेशनल यूनियन का गठन किया। कांग्रेस के अलावा, वह एक समय एमएनएफ का भी हिस्सा थे। उन्होंने अपनी पार्टी, जोरम नेशनलिस्ट पार्टी बनाई थी और जेडपीएम के गठन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। राज्य में 2018 के विधानसभा चुनाव में लालदुहोमा ने दो सीट- सेरछिप और आइजोल पश्चिम-प्रथम से जुना जीता। उन्होंने सेरछिप से निवर्तमान विधायक और पांच बार के मुख्यमंत्री ललथनहवला को 410 मतों के अंतर से हराया था। लालदुहोमा ने बाद में आइजोल पश्चिम-प्रथम सीट छोड़ दी और सेरछिप से विधायक बने रहे। 

प्रमुख खबरें

Haryana Elections: BJP MP नवीन जिंदल इस अंदाज में पहुंचे मतदान केंद्र, 11 बजे तक हुआ 22.70 प्रतिशत मतदान

नफरती भाई जान को मिला गीता का ज्ञान, पाकिस्तान में कट्टरपंथी जाकिर नाइक का हुआ जब सनातनी से सामना

Prabhasakshi NewsRoom: Haryana में अगर BJP सत्ता में लौटी तो टूट सकते हैं दो पुराने रिकॉर्ड

Shehnaaz Gill ने Sidharth Shukla के लिए कबूल की अपनी फीलिंग, एक्ट्रेस मे कहा मैं उसके लिए बहुत ज्यादा पजेसिव थी, अगर कोई इतना....