पश्चिमी उत्तर प्रदेश में छोटे चौधरी की होगी अग्नि परीक्षा, बड़े चौधरी के बिना चुनाव लड़ रही रालोद

By अनुराग गुप्ता | Feb 03, 2022

मेरठ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए होने वाले मतदान से पहले राजनैतिक दलों ने अपनी पूरी ताक़त झोंक रखी है। ऐसे में आज हम बात पश्चिमी उत्तर प्रदेश की करेंगे, जहां पर पहले और दूसरे चरण में मतदान होंगे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी समझी जाने वाले राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के नेता जयंत चौधरी हैं। जिनके सामने दादा चौधरी चरण सिंह की विरासत को आगे बढ़ाने का ज़िम्मा है। दादा चौधरी प्रधानमंत्री रह चुके हैं और बड़े चौधरी यानी की अजीत सिंह कई बार केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। ऐसे में अब बारी जयंत की है कि वह कुछ ऐसा कर दिखाएं जिससे चौधराहट साबिक हो। 

इसे भी पढ़ें: बसपा-कांग्रेस के मुस्लिम प्रत्याशियों से सपा गठबंधन को हो सकता है भारी नुकसान 

कैसा है पश्चिमी उत्तर प्रदेश का गणित ?

पिछले विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 71 सीटों में से भाजपा ने 51 सीटों पर कब्जा किया था। राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के एकमात्र विधायक सहेंदर सिंह रमाला बाद में भाजपा में शामिल हो गए। समाजवादी पार्टी (सपा) को 16, कांग्रेस को 2 और बसपा को एक सीट से ही संतोष करना पड़ा था। इससे पहले भी रालोद का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। साल 2014 और 2019 के आम चुनाव में बड़े चौधरी और जयंत चौधरी दोनों को ही हार का सामना करना पड़ा था।

रालोद ने साल 2002 में भाजपा के साथ गठबंधन में चुनावी मैदान में प्रवेश किया था। इस चुनाव में रालोद ने 14 सीटें जीती थीं। जबकि 2007 में पार्टी अकेले चुनावी मैदान में उतरी थी। इस चुनाव में पार्टी को 10 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। हालांकि उनका वोट प्रतिशत बढ़कर 4 फीसदी हो गया। 2012 के चुनावों में रालोद ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और 9 सीटें (2 प्रतिशत वोट) जीतीं। वहीं 2017 में रालोद ने अकेले चुनाव लड़ा था और एक विधायक को जीत मिली थी, जो चुनाव बाद भाजपा में शामिल हो गया।

ऐसे में जयंत चौधरी के कंधों पर रालोद की नईयां पार लगाने की जिम्मेदारी है। जिसको ध्यान में रखते हुए जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है। ऐसे में रालोद को 28 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला है। 

इसे भी पढ़ें: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रही है सपा, त्रिशंकु विधानसभा के आसार 

अमित शाह ने दिया था ऑफर

पिछले विधानसभा चुनावों में जाटों ने खुलकर भाजपा का समर्थन किया था। इसी कारण भाजपा 300 प्लस का आंकड़ा पार करने में सफल रही थी लेकिन एक साल तक चले किसान आन्दोलन के चलते अब भाजपा और जाटों के बीच दूरियां आ गई हैं। इस दूरी को पाटने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सांसद प्रवेश वर्मा के घर पर जाटों को बुलाकर उनकी नाराज़गी दूर करने की कोशिश की। इस दौरान अमित शाह ने छोटे चौधरी को भाजपा के साथ आने का ऑफ़र दिया था। हालांकि छोटे चौधरी ने अमित शाह के ऑफ़र को ठुकरा दिया।

प्रमुख खबरें

आईसीसी और बीसीसीआई अधिकारियों के साथ चैम्पियंस ट्रॉफी विवाद सुलझाने को कोई बैठक नहीं : PCB

भारतीयों को ब्रांड भारत बनाने के लिए पश्चिम के फरमानों पर ध्यान नहीं देना चाहिए: Sitharaman

केंद्रीय मंत्री Manohar Lal ने लेह में एनटीपीसी की हरित हाइड्रोजन बसों को हरी झंडी दिखाई

महाराष्ट्र में झूठ, छल और फरेब बुरी तरह हारा, PM Modi बोले- विकसित भारत का मजबूत हुआ संकल्प, झारखंड में करेंगे तेज विकास