क्या देश की संपत्तियाँ बेच रही है सरकार ? कैसे सुलझेगी कांग्रेस की उलझन

By अंकित सिंह | Aug 28, 2021

देश में सरकार द्वारा लाए गए राष्ट्रीय मौद्रिककरण योजना को लेकर राजनीति लगातार जारी है। विपक्ष सरकार पर देश के संपत्ति को बेचने का आरोप लगा रहा है तो ही सरकार इसे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए बड़ा कदम बता रही। हमने इसी को लेकर प्रभासाक्षी के कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में चर्चा की। हमने प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे से सवाल किया कि क्या विपक्ष जो आरोप लगा रहा है वह वाकई ऐसा ही है? क्या सरकार सच में देश की संपत्ति बेचने जा रही है? इसको लेकर नीरज कुमार दुबे ने साफ तौर पर कहा कि यह सिर्फ राजनीतिक विषय है जिन संपत्तियों का विपक्ष जिक्र कर रहा है उसका मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा। सरकार सिर्फ उन्हें प्राइवेट सेक्टर को लीज पर देगी जिससे कि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट तो होगा ही साथ ही साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। विकास के कामों में तेजी आएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सभी सरकारों ने ऐसा समय समय पर किया है। इसमें कोई नई बात नहीं है।

इसे भी पढ़ें: क्या है राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन योजना, क्या सचमुच परिसंपत्तियां बेच रही है सरकार

इसके अलावा हमने कांग्रेस में घमासान और अफगानिस्तान को लेकर भारत सरकार की नीति पर भी चर्चा की। कांग्रेस में मचे घमासान को लेकर नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि जब तक पार्टी मजबूत नहीं होगी तब तक इस तरह के घमासान होते रहेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी जब एक अध्यक्ष चुनने के लिए नहीं निर्णय ले पा रही है तो ऐसे में अलग-अलग राज्यों में पार्टी में मची हलचल को कैसे सुलझा पाएगी। जिन लोगों को इन समस्याओं को सुलझाने के लिए भेजा जा रहा है उनकी जमीनी राजनीतिक पकड़ बहुत ही कमजोर है। जी-23 के नेता मजबूत जरूर है परंतु उन्हें पार्टी की ओर से कोई मौका नहीं दिया जा रहा है। अफगानिस्तान को लेकर नीरज कुमार दुबे ने कहा कि भारत सरकार ने अपने रुख से सभी पार्टियों को अवगत कराया है। यह लोकतंत्र की अच्छी परंपरा है। जब भी राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर या इस तरह के मुद्दे आए हैं विपक्ष को सरकार साथ लेने की कोशिश करती रही है। इस बार भी हमने कुछ ऐसा ही देखा। भारत सरकार अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों को लाने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसे में हमें सरकार के साथ मजबूती से खड़ा रहने की जरूरत है । 


छह लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना में सड़कें, रेल, स्टेडियम, स्टेशन, हवाईअड्डे शामिल


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने छह लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना (एनएमपी) की घोषणा की। इसके तहत यात्री ट्रेन, रेलवे स्टेशन से लेकर हवाई अड्डे, सड़कें और स्टेडियम का मौद्रिकरण शामिल हैं। इन बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निजी कंपनियों को शामिल करते हुए संसाधन जुटाये जायेंगे और संपत्तियों का विकास किया जायेगा। निजी निवेश हासिल करने के लिए चेन्नई, भोपाल, वाराणसी एंव वडोदरा सहित भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एएआई) के करीब 25 हवाई अड्डे, 40 रेलवे स्टेशनों, 15 रेलवे स्टेडियम और कई रेलवे कॉलोनी की पहचान की गयी है। इन्हें निजी क्षेत्र के निवेश से विकसित किया जायेगा। योजना के तहत, निजी कंपनियां इन्विट मार्ग का इस्तेमाल करके एक निश्चित मुनाफे के लिए परियोजनाओं में निवेश कर सकती हैं। इसके अलावा इन परिसंपत्तियों को सरकारी एजेंसी को वापसकरने से पहले एक निश्चित अवधि के लिए परिसंपत्तियों का संचालन और विकास कर सकती हैं। इसके तहत गोदाम और स्टेडियम जैसी कुछ संपत्तियां भी संचालन के लिए लंबी अवधि के पट्टे पर दी जा सकती हैं। सीतारमण ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, संपत्ति मौद्रिकरण पाइपलाइन के जरिये एनआईपी (नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन) को अगले चरण में ले जाया गया है, जहां आप सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) पर ध्यान देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि संपत्तियों के मौद्रिकरण में जमीन को बेचा नहीं जायेगा। एनएमपी ब्राउनफील्ड (मौजूदा) बुनियादी ढांचा संपत्तियों से संबंधित है जहां निवेश पहले हो चुका है, जहां एक पूर्ण संपत्ति है जो या तो बेकार पड़ी है या जिसमें संभावनाओं का पूरा निवेश नहीं पाया है या जिसका क्षमता के अनुरूप इस्तेमाल नहीं हुआ है। वित्त मंत्री ने कहा, इसलिए इसमें निजी भागीदारी लाकर, हम इसका बेहतर तरीके से मौद्रिकरण करने में सक्षम होंगे, और इसके माध्यम से हासिल होने वाले संसाधनों का बुनियादी ढांचे में और निवेश करने में सक्षम होंगे। एनएमपी के तहत वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 तक चार साल की अवधि में केंद्र सरकार की मुख्य संपत्तियों के माध्यम से छह लाख करोड़ रुपये की निवेश संभावनाओं का अनुमान है। उन्होंने कहा, बुनियादी ढांचा एनएमपी में पहले से मौजूद संपत्तियों की बात की जा रही है जिनका बेहतर मौद्रिकरण करने की जरूरत है। संपत्ति का स्वामित्व सरकार के पास बना रहेगा और एक निश्चित समय के बाद उनका नियंत्रण लौटाना अनिवार्य होगा। सीतारमण ने कहा, इसलिए ऐसी कोई अस्पष्टतता नहीं रहनी चाहिए कि सरकार कुछ बेच रही है। ऐसा नहीं है। ये मौजूदा संपत्तियां हैं जिनपर सरकार का स्वामित्व बना रहेगा। मौद्रिकरण योजना का आधे से अधिक हिस्सा सड़क और रेलवे क्षेत्र से जुड़ा है। इसके तहत 1.6 लाख करोड़ रुपये का सबसे बड़ा हिस्सा इस समय चालू राष्ट्रीय राजमार्गों और नयी सड़कों के 26,700 किलोमीटर के मौद्रिकरण से आएगा। इनमें से कुछ संपत्तियों के मुद्रीकरण के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इन्विट (इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट) का रास्ता अपनाएगा। यानी इनविट के जरिये इन राजमार्गों के लिये संसाधन जुटाये जायेंगे। अनुमानित 1.2 लाख करोड़ रुपये के मौद्रिकरण परियोजना में 400 रेलवे स्टेशनों, 90 यात्री ट्रेनों, 741 किलोमीटर लंबे कोंकण रेलवे और 15 रेलवे स्टेडियमों और कॉलोनियों का मौद्रिकरण करने की योजना है। निजी भागीदारी के जरिये इनका विकास किया जायेगा। 


राहुल ने एनएमपी को लेकर एक बार फिर सरकार पर निशाना साधा


कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन (एनएमपी) की घोषणा को लेकर केंद्र सरकार पर फिर से निशाना साधा। उन्होंने ‘इंडिया ऑन सेल’ हैशटैग से ट्वीट किया, ‘‘सबसे पहले ईमान बेचा और अब…।’’ राहुल गांधी ने सरकार की इस घोषणा को मंगलवार को युवाओं के ‘भविष्य पर आक्रमण’ करार दिया था और आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 70 साल में जनता के पैसे से बनी देश की बहुमूल्य संपत्तियों को अपने कुछ उद्योगपति मित्रों को ‘उपहार’ के रूप में दे रहे हैं। उन्होंने यह दावा भी किया था कि एनएमपी से कुछ कंपनियों का एकाधिकार हो जाएगा जिस कारण देश के युवाओं को रोजगार नहीं मिल पायेगा। 


संपत्ति देश की है; भाजपा या मोदी की नहीं: एनएमपी पर ममता का हमला


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन (एनएमपी) नीति को लेकर केंद्र पर निशाना साधते हुए दावा किया कि यह देश की संपत्ति बेचने की साजिश है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या भाजपा की संपत्ति नहीं हैं। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने एनएमपी को चौंकाने वाला और दुर्भाग्यपूर्ण फैसला करार देते हुए आरोप लगाया कि इन संपत्तियों को बेचने से मिले पैसों का इस्तेमाल चुनाव के दौरान विपक्षी दलों के खिलाफ किया जाएगा। ममता ने राज्य सचिवालय नबन्ना में पत्रकारों से कहा, हम इस चौंकाने वाले और दुर्भाग्यपूर्ण फैसले की निंदा करते हैं। ये संपत्ति देश की हैं। ये न तो मोदी की संपत्ति हैं और न ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की। वे (केंद्र सरकार) अपनी मर्जी से देश की संपत्ति को नहीं बेच सकते। उन्होंने कहा कि पूरा देश इस जनविरोधी फैसले का विरोध करेगा और एक साथ खड़ा होगा। उन्होंने कहा, भाजपा को शर्म आनी चाहिए। किसी ने उन्हें हमारे देश की संपत्ति बेचने का अधिकार नहीं दिया है।

इसे भी पढ़ें: सिद्धू और अमरिंदर की खींचतान से खिन्न हरीश रावत प्रभारी पद छोड़ने के मूड़ में

पंजाब के चार मंत्रियों, कई विधायकों ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाया


पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खेमों के बीच सत्ता को लेकर खींचतान उस वक्त तेज हो गई, जब चार कैबिनेट मंत्रियों और पार्टी के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री सिंह को हटाने की खुले तौर पर वकालत करते हुए कहा कि वह कुछ प्रमुख चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रहे हैं। सिद्धू को भी मुख्यमंत्री सिंह के करीबी माने जाने वाले पंजाब के मंत्रियों और विधायकों के एक समूह द्वारा निशाना बनाया गया जिन्होंने सिद्धू के दो सलाहकारों की ‘‘कथित राष्ट्र विरोधी एवं पाकिस्तान समर्थक टिप्पणी’’ को लेकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की और चेतावनी दी कि लगभग छह महीने में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले यह कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। चार मंत्रियों तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा और चरणजीत सिंह चन्नी और लगभग 24 विधायकों ने मंगलवार को यहां बाजवा के आवास पर मुलाकात की। यह पूछे जाने पर कि क्या मुख्यमंत्री को हटाने का प्रयास किया जा रहा है, बाजवा ने कहा कि यह प्रयास नहीं बल्कि लोगों की मांग है। मुख्यमंत्री के नए चेहरे पर एक सवाल के जवाब में बाजवा ने कहा कि फैसला पार्टी आलाकमान द्वारा लिया जाएगा। बाजवा ने कहा कि वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने और राज्य की राजनीतिक स्थिति से उन्हें अवगत कराने के लिए समय मांगेंगे।


कांग्रेस पंजाब विधानसभा चुनाव अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लड़ेगी: रावत


अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के महासचिव हरीश रावत ने कहा कि अगले साल होने वाला पंजाब विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। रावत ने मुख्यमंत्री को पद से हटाए जाने की इच्छा रखने वाले चार मंत्रियों से देहरादून में मुलाकात की। रावत एआईसीसी में पंजाब मामलों के प्रभारी भी हैं और उनकी इस घोषणा को असंतुष्ट नेताओं के लिए झटका के तौर पर देखा जा रहा है। रावत ने देहरादून में संवाददाताओं से कहा कि पंजाब में अमरिंदर सिंह नीत सरकार और आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत की संभावनाओं को लेकर कोई खतरा नहीं है। रावत ने देहरादून के एक होटल में पंजाब के मंत्रियों और तीन विधायकों से मिलने से पहले कहा, हम 2022 में (पंजाब में) चुनाव अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लड़ेंगे। कांग्रेस नेताओं से मुलाकात के बाद रावत ने कहा कि उन लोगों ने उनसे कहा कि वे किसी एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं हैं बल्कि वे विधानसभा चुनाव में पार्टी की जीत की संभावनाओं को लेकर चिंतित हैं।


राहुल अगले हफ्ते करेंगे छत्तीसगढ़ का दौरा, मैंने अपने नेता को बता दी दिल की बात: बघेल


कांग्रेस की छत्तीसगढ़ इकाई में खींचतान और राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ लंबी बैठक के बाद कहा कि उन्होंने अपने नेता को दिल की बात कह दी तथा ‘मुख्यमंत्री के तौर पर’ उनकी ओर से दिये गए निमंत्रण पर राहुल गांधी अगले सप्ताह राज्य का दौरा करेंगे। राहुल गांधी के साथ करीब साढ़े तीन घंटे की मैराथन बैठक के बाद बाहर निकले बघेल ने मुख्यमंत्री पद के ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर पूछे गए सवाल का सीधा उत्तर नहीं दिया और सिर्फ यह कहा कि कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी पी एल पुनिया ने जो पिछले दिनों कहा था, उसके बाद कोई बात बाकी नहीं रह जाती। दरअसल, राहुल गांधी के साथ गत मंगलवार को हुई बघेल और छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव की बैठक के बाद पुनिया ने कहा था कि नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। बघेल ने यह भी कहा कि राहुल गांधी के साथ बैठक में राजनीतिक मुद्दों और राज्य के विकास से जुड़ी योजनाओं पर चर्चा की गई। उनके मुताबिक, अब ‘गुजरात मॉडल’ विफल हो चुका है तथा ऐसे में देश के सामने ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ को पेश करना है। राहुल गांधी के आवास पर करीब साढ़े तीन घंटे तक चली बैठक में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल और पीएल पुनिया मौजूद थे। बैठक के बाद बघेल ने संवाददाताओं से कहा कि सभी मुद्दों पर चर्चा हुई। छत्तीसगढ़ के कार्यक्रमों और योजनाओं के बारे में भी चर्चा हुई। मैंने अपने नेता से दिल की बात कह दी। बघेल ने कहा कि ‘मुख्यमंत्री के तौर पर’ उन्होंने राहुल गांधी को छत्तीसगढ़ का दौरा करने का निमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। मुख्यमंत्री ने बताया कि राहुल गांधी सबसे पहले कम से कम दो दिन के दौरे पर बस्तर पहुंचेंगे और फिर मैदानी इलाके और सरगुजा का भी दौरा करेंगे। नेतृत्व के परिवर्तन के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब प्रभारी ने बात कह दी, उसके बाद कुछ बाकी नहीं रह जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री आलाकमान ने बनाया है। जब तक आलाकमान चाहेगा तब तक रहूंगा। इस बीच, बघेल के समर्थक करीब 60 विधायकों एवं पूर्व विधायकों ने कांग्रेस मुख्यालय में वेणुगोपाल से मुलाकात की। इससे पहले करीब 20 विधायकों ने कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी पी एल पुनिया से मुलाकात की। माना जा रहा है कि इन विधायकों ने नेतृत्व परिवर्तन नहीं करने और बघेल को ही मुख्यमंत्री बनाये रखने की पैरवी की। मुख्यमंत्री बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव के बीच चल रही तनातनी की स्थिति को देखते हुए विधायकों के दिल्ली पहुंचने से यह चर्चा गर्म है कि मुख्यमंत्री की ओर से कांग्रेस आलाकमान के समक्ष शक्ति प्रदर्शन करने का प्रयास है, हालांकि बघेल के करीबियों ने इससे इनकार किया है।

इसे भी पढ़ें: तालिबान की जीत को आधार बना कर महबूबा कश्मीर का माहौल बिगाड़ना चाहती हैं

सरकार की प्राथमिकता अफगानिस्तान से लोगों को वापस लाना, भारत का रुख ‘देखो और इंतजार करो’: जयशंकर


विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को अफगानिस्तान की ताजा स्थिति से अवगत कराया और कहा कि सरकार वहां से भारतीयों को वापस लाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है जहां स्थिति ‘गंभीर’ है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत की तात्कालिक चिंता एवं प्राथमिकता वहां से लोगों को बाहर लाना तथा दीर्घकालिक हित अफगानिस्तान के लोगों के साथ मित्रता है। करीब साढ़े तीन घंटे तक चली इस बैठक के दौरान जयशंकर ने कहा कि सरकार ने तालिबान को लेकर ‘देखो और प्रतीक्षा करो’ का रुख अपनाया है जो उभरती स्थिति पर निर्भर करेगा। बाद में तालिबान को लेकर भारत के रुख के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि अफगानिस्तान में स्थिति ठीक नहीं हुई है, इसे ठीक होने दीजिए। उन्होंने कहा कि आपको हमारी भविष्य की नीति से जुड़े सवाल पर संयम रखना होगा। वहां स्थिति ठीक होने दें। जयशंकर ने बाद में अपने ट्वीट में कहा कि हमारी तात्कालिक चिंता वहां से बाहर निकालने के कार्य और अफगानिस्तान के लोगों के साथ मित्रता के दीर्घकालिक हितों से जुड़ी हैं। कुछ दिनों पहले तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने की पृष्ठभूमि में, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राजनीतिक दलों के नेताओं को उस देश के ताजा हालात के बारे में जानकारी दी। संसदीय सौध में आयोजित इस बैठक में जयशंकर के अलावा राज्यसभा के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल तथा संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी भी मौजूद थे। इसमें विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला सहित विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। बैठक में मौजूद लोगों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने के अभियान के संबंध में उपलब्ध कराये गए आंकड़ों के अनुसार, सरकार ने दूतावास के 175 कर्मियों, 263 अन्य भारतीय नागरिकों, हिन्दू एवं सिख समेत अफगानिस्तान के 112 नागरिकों, अन्य देशों के 15 नागरिकों को बाहर निकाला और यह कुल आंकड़ा 565 है। इस महत्वपूर्ण बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, द्रमुक नेता टी आर बालू, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा, अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल सहित कुछ अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया। विदेश मंत्री जयशंकर ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक के बाद कहा कि इस बारे में (अफगानिस्तान के बारे में) सभी दलों के विचार समान हैं, हमने मुद्दे पर राष्ट्रीय एकता की भावना से बात की।


- अंकित सिंह

प्रमुख खबरें

बॉक्सिंग डे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के सामने पस्त हुई टीम इंडिया, छाया फॉलोऑन का संकट

कब और कहां होगा मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार, क्या राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री होंगे शामिल?

Best Ways to Store Medicine at Home: दवाओं को आर्गेनाइज तरीके से रखने में मदद करेंगे ये तरीके

बस 2 हफ्ते का था रिजर्व, फिर कर दिया कमाल...1991 का वो ऐतिहासिक बजट, जब मनमोहन सिंह ने कर दिए थे ये बड़े ऐलान