देवदूत की भूमिका में भारतीय सेना, कोरोना के खिलाफ शुरू किया 'ऑपरेशन नमस्ते'

By अंकित सिंह | Mar 27, 2020

जब-जब देश पर संकट आया है तब-तब हमारी सेना ने हमें उस संकट से उभारा है। वर्तमान में देश में एक बार फिर से महामारी का संकट है। यह महामारी पूरे विश्व में एक विकराल रूप ले चुकी है। पूरा विश्व इस महामारी से ग्रसित है। भारत में भी कोरोना वायरस से लगभग 750 लोग प्रभावित हैं जिनमें से 17 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। भारतीय सेना ने इस महामारी से लड़ने के लिए ऑपरेशन नमस्ते की शुरुआत की है। सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने खुद इसकी घोषणा की। नरवणे ने कहा कि सेना की जिम्मेदारी है कि वह इस संकट से निपटने के लिए सरकार की मदद करें। साथ ही साथ सेना ने देश के सीमाओं पर तैनात अपने जवानों से कहा है कि वे अपने करीबी या प्रियजनों के बारे में चिंता ना करें और अपनी छुट्टियां रद्द कर दें। सेना प्रमुख ने कहा कि कुछ इसी तरह के हालात ऑपरेशन पराक्रम के दौरान देखे गए थे और तब भी हमें सफलता मिली थी। आज के इस कोरोना संकट के बीच हमें ऑपरेशन नमस्ते से जरुर सफलता मिलेगी। सेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय सेना हर चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरीके से सक्षम है और अगर जरूरत पड़ती है तो हम किसी भी कदम को उठाने के लिए सदैव तैयार है। आर्मी के पास 6 घंटे का प्लान तैयार है जिसके तहत तुरंत ही आइसोलेशन सेंटर और आईसीयू को तैयार किया जा सकता है। नरवणे ने साफ-साफ कहा कि कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में सरकार और सामान्य प्रशासन की मदद करना ही हमारा इस वक्त दायित्व है। भारतीय सेना के प्रमुख के नाते सैन्य बलों को चुस्त-दुरुस्त रखना भी हमारी ही जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि अपने जवानों को सेफ और फिट रहने के लिए हमने पिछले कुछ हफ्तों में दो-तीन एडवाइजरी भी जारी की है। सेना प्रमुख को उम्मीद है कि भारतीय सेना अपने पहले की अभियानों की ही तरह ऑपरेशन नमस्ते को भी सफलतापूर्वक अंजाम देगी। सेना की ओर से देशभर में आठ Quartertine सेंटर स्थापित किए जा चुके हैं। सेना ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। अब तक सेना, नौसेना और वायु सेना में पांच अस्पतालों को COVID19 के परीक्षण के लिए तैयार कर लिया है। परीक्षण शुरू करने के लिए छह अतिरिक्त अस्पतालों को भी संसाधनों से सुसज्जित किया जा रहा है।

 

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आपको बता दें कि सेना ने जब ऑपरेशन पराक्रम चलाया था तब हमारे सैनिकों ने 6 महीने तक घर का रूख नहीं किया था। जब देश में 2001 में संसद पर हमले में पाकिस्तान के खिलाफ सुबूत मिले थे तब सेना ने ऑपरेशन पराक्रम चलाया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हमारे सेना को सीमा की ओर कूच करने का आदेश दिया था और दिसंबर 2001 से 2002 तक भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों की सेनाएं बढ़ती रही। हालांकि भारतीय सेना ॉपाकिस्तान के खिलाफ लगातार खड़ी रही। इसी का नतीजा हुआ कि पाकिस्तान सेना ने आतंकवाद को समर्थन देना बंद कर दिया।


सीआरपीएफ ने 33.81 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष में दिए


सीआरपीएफ ने कोविड-19 से लड़ने के लिए अपने जवानों के एक दिन के वेतन से एकत्र की गई 33.81 करोड़ रुपये की राशि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में दी है।अर्द्धसैनिक बल के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह आम सहमति से लिया गया फैसला था और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ‘‘देश के समक्ष कोरोना वायरस के चुनौतीपूर्ण समय में पूरी प्रतिबद्धता के साथ खड़ा है।’’प्रवक्ता ने कहा, ‘‘यह तय किया गया कि सीआरपीएफ के कर्मचारी प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में एक दिन के वेतन का योगदान करेंगे। प्रयास किया गया कि तुरंत योगदान किया जाए और इसका खुलासा नहीं किया जाए।’’उन्होंने कहा, ‘‘सेवा और निष्ठा के अपने उद्देश्य के साथ सीआरपीएफ हमेशा तत्पर है।’’गृह मंत्रालय के तहत आने वाला सीआरपीएफ देश में आंतरिक सुरक्षा और नक्सल विरोधी अभियानों में संलग्न है जिसमें करीब सवा तीन लाख कर्मी हैं।


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