By अभिनय आकाश | Apr 20, 2023
विदेश में पढ़ाई को भारतीय समाज के बड़े वर्ग में प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन हालिया वर्षों में ब्रिटेन में विभिन्न शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले हिंदू छात्र-छात्राओं को नस्ली भेदभाव ढेलने की खबर भी सामने आई है। उन्हें उनकी कक्षा या स्कूल में पढ़ने वाले मुस्लिम छात्र निशाना बनाकर नस्ली टिप्पणी कर रहे हैं और धर्म परिवर्तन के लिए दबाव भी डाल रहे हैं। हेनरी जैक्सन सोसायटी की रिपोर्ट में पाया गया कि सर्वेक्षण में शामिल 51 प्रतिशत हिंदू माता-पिता ने कहा कि उनके बच्चे ने स्कूलों में हिंदू-विरोधी घृणा का अनुभव किया है, जबकि 1 प्रतिशत से भी कम स्कूलों ने पिछले 5 वर्षों में किसी भी तरह की घृणा की घटना की सूचना दी है।
लड़की पर सहपाठियों ने फेंका बीफ
सर्वेक्षण में शामिल केवल 19 प्रतिशत हिंदू माता-पिता का मानना था कि स्कूल हिंदू-विरोधी घृणा की पहचान करने में सक्षम थे। रिपोर्ट में बच्चों के प्रति हिंदू-विरोधी घृणा के व्यथित करने वाले विवरणों का खुलासा किया गया है। इसमें एक माता-पिता के साथ हिंदू-विरोधी गालियों का उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट में खुलासा करते हुए बताया गया है कि सकी बेटी को स्कूल में धमकाया गया और क्योंकि वह एक हिंदू इसलिए क्लासमेट द्वारा उस पर गोमांस फेंका गया। एक अन्य माता-पिता ने बताया कि मेरा बच्चा अपने माथे पर तिलक लगाकर स्कूल गया था। उसे धमकाया गया फिर वो ह स्कूल नहीं जाना चाहता था। इन वर्षों में, हमें पूर्वी लंदन में तीन बार उनका स्कूल बदलना पड़ा है।
370 निरस्त होने के बाद बदमाशी घटनाएं
न केवल हिंदू विरोधी अपशब्दों का सामना करना पड़ता है, बल्कि बच्चों को स्कूलों में भी ज़ेनोफोबिक और नस्लवादी गालियों का सामना करना पड़ता है। इन बच्चों द्वारा डराने-धमकाने का संकेत तब सामने आया जब माता-पिता ने खुलासा किया कि कैसे ब्रिटिश बच्चों ने हिंदू बच्चों को गैंग बनाकर दरकिनार कर दिया। रिपोर्ट में एक माता-पिता के हवाले से कहा गया है कि मेरे बच्चे को कई मौकों पर विशेष रूप से भारत में पीएम मोदी के उदय के बाद और अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने के बाद अन्य बच्चों से बदमाशी का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा, उन्हें 'काफ़िर' ' के रूप में लेबल किया गया था, और धर्मांतरण या नरक में जाने की बात कही जाने लगी।