By विजयेन्दर शर्मा | Feb 07, 2022
चंडीगढ़। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राम रहीम को फरलो मिलने के मामले में कहा कि कुछ चीजें हमारे सिस्टम, हमारे कानून और संविधान के हिसाब से चलती हैं। ये एक कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया है। फरलो किसी भी आम कैदी का अधिकार है। इसका चुनाव से कोई संबंध नहीं है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि विकास कार्यों की वजह से 2014 के बाद से बीजेपी का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। हरियाणा में भी पिछले साढे़ सात सालों में हमारी सरकार सबके विकास को ध्यान में रखकर काम कर रही है।
बता दें कि गुरमीत राम रहीम को साध्वी दुष्कर्म मामले में पंचकूला की अदालत में 25 अगस्त 2017 को पेश किया गया था। सीबीआइ की विशेष अदालत ने उसे दोषी करार देते हुए सुनारिया जेल में भेज दिया था। 27 अगस्त को इस मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में ही सीबीआइ अदालत लगाई गई, जिसमें रामरहीम को 20 साल की सजा सुनाई गई। वहीं पत्रकार हत्याकांड में भी राम रहीम को दोषी करार दिया गया था। इसी दिन से रामरहीम जेल में सजा काट रहा है।
राम रहीम ने दो दिन पहले पैरोल मांगी थी। जिसको लेकर हरियाणा के जेल मंत्री चौधरी रणजीत सिंह चौटाला ने कहा था कि राम रहीम भी जेल का एक कैदी है और उसे भी दूसरे कैदियों की तरह पैरोल मांगने का मौलिक अधिकार है। राम रहीम को जेल में सुरक्षा देना जेल प्रशासन का काम है और पैरोल पर बाहर आने के बाद राम रहीम को सुरक्षा देना गृह मंत्रालय का काम है। कानून के हिसाब से मंडल कमिश्नर राम रहीम की पैरोल पर फैसला करेंगे। राम रहीम के मामले में पैरोल देने में जेल प्रशासन का कोई रोल नहीं है।
इससे पहले राम रहीम को अलग-अलग कारणों के चलते पैराेल तो मिली मगर फरलो पहली बार मिली है। वह भी 21 दिन की। राम रहीम को फरलो देने को लेकर कई चीजों से जोड़कर देखा जा रहा है। उधर, राम रहीम को फरलो की खबर सुनकर सिरसा डेरे में भी अनुयायियों का जुड़ना शुरू हो गया है। पंजाब में चुनाव भी हैं तो राम रहीम के बाहर आने के चलते चर्चाएं शुरू हो गई हैं।