संभल में जामा मस्जिद या हरिहर मंदिर? जुमे की नमाज से पहले चप्पे-चप्पे पर पुलिस, सपा सांसद ने उठाए सवाल

By अंकित सिंह | Nov 22, 2024

जुमे की नमाज से पहले संभल में शाही जामा मस्जिद के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, जो 19 नवंबर को एक सर्वेक्षण के बाद से सुर्खियों में है। वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा संभल के सिविल जज की अदालत में मस्जिद को मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद, 19 नवंबर को स्थानीय पुलिस और मस्जिद की प्रबंधन समिति के सदस्यों की उपस्थिति में एक सर्वेक्षण किया गया था। गुरुवार को संभल शहर एक किले में तब्दील हो गया और शहर के केंद्र में स्थित मस्जिद तक पहुंचने वाले तीन संपर्क मार्गों में से दो को सील कर दिया गया।

 

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एक स्थानीय मंदिर के पुजारी ने मस्जिद के सर्वेक्षण की मांग करते हुए मंगलवार दोपहर 1.30 बजे एक स्थानीय अदालत में एक आवेदन दायर किया था। चंदौसी में कालका देवी मंदिर के महंत ऋषि राज गिरि ने अपने आवेदन में दावा किया कि मस्जिद के स्थान पर पहले एक मंदिर मौजूद था और आरोप लगाया कि मुस्लिम शासकों ने 1526 में शाही जामा मस्जिद बनाने के लिए इसे ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद से विवाद बढ़ गया। वादी का यह भी तर्क है कि यह स्थल प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के संरक्षण में आता है। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन के अनुसार, एएसआई की निष्क्रियता ने मंदिर के रूप में इस स्थल के मूल उद्देश्य को अस्पष्ट कर दिया है।



समाजवादी पार्टी के सांसद जिया उर रहमान ने कहा कि जामा मस्जिद पिछले सैकड़ों वर्षों से हमारी है। मैं यहां नमाज पढ़ने आया था और मैंने देखा कि पुलिस बल तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि तीन दिन पहले जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि संभल में सभी समुदाय मिलजुल कर रहते आये हैं। लेकिन याचिका दायर करने वाले कुछ शरारती तत्व पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। कोर्ट के आदेश को चुनौती देना मेरा अधिकार है। इतनी जल्दबाजी में सर्वेक्षण करने की क्या जल्दी थी?

 

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बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी के संभल जिले की शाही जामा मस्जिद को लेकर अचानक विवाद, सुनवाई और फिर उसके फौरन ही बाद आपाधापी में सर्वे की खबरें राष्ट्रीय चर्चा व मीडिया की सुर्खियों में है, किन्तु इस प्रकार से सदभाव व माहौल को बिगाड़ने का संज्ञान सरकार तथा सुप्रीम कोर्ट को भी जरूर लेना चाहिए।

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