जिस देश में रिटायरमेंट के बाद माना जाता है कि व्यक्ति की जिंदगी लगभग समाप्त हो गई। उस देश में अपने सरकारी पद से अवकाश ग्रहण करने के बाद एक व्यक्ति ने रेलवे जैसी चुनौतियों को पूरा करता है और उसके बाद दुनिया की बेहतरीन रेल सेवाओं में से एक मेट्रो को अंजाम देता है। आज बात ऐसे शख्स की करेंगे जिसे अगर सबसे कम शब्दों में बयां करने को कहा जाए तो ईमानदार, ˈकॉम्पिटन्ट् और रिजल्ट देने वाला इंसान। आज बात पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक में आम लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके मेट्रो के कर्णधार और मेट्रो मैन के नाम से मशहूर ई श्रीधरन की करेंगे। वो राजनीति में कदम रखने जा रहे हैं। वह 21 फरवरी को भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आखिर कौन हैं ई श्रीधरन और उन्हें क्यों कहा जाता है मेट्रो मैन?
श्रीधरण का जन्म 12 जून 1932 को केरल के पल्लकड़ जिले में हुआ। बेसल इवैजेलिकल मिशन हायर सेकेंडरी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा लेने के बाद पालघाट के विक्टोरिया काॅलेज में दाखिला लिया। आंध्र प्रदेश के काकीनाडा गवर्नमेंट इंजीनियरिंग काॅलेज में दाखिला लेने के बाद वहां से उन्होंने इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ वक्त तक श्रीधरन ने गवर्नमेंट पाॅलिटेक्निक में सिविल इंजीनियरिंग पढ़ाया। 1953 में भारतीय लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज एग्जाम में बैठे और उत्तीर्ण हो गए।
देश की पहली मेट्रो की नींव
1964 में आए भयंकर तूफान में पंबन ब्रिज काफी क्षतिग्रस्त हो गया था। रेलवे ने ब्रिज ठीक करने के लिए 6 महीने दिए। लेकिन श्रीधरन ने 46 दिनों में ही ब्रिज ठीक करा दिया। दक्षिण रेलवे में अपनी सेवा देने के बाद श्रीधरन देश की पहली मेट्रो की सफलता में अहम भूमिका निभाई। भारत की पहली कोलकाता मेट्रो की प्लानिंग, डिजाइनिंग और बनवाने का पूरा श्रेय श्रीधरन को ही जाता है। 1970 में श्रीधरन ने भारत की पहली मेट्रो रेल कोलकाता मेट्रो की योजना, डिजाइन और कार्यान्वन की जिम्मेदारी उठाई। श्रीधरन ने नहीं सिर्फ इस परियोजना को पूरा किया बल्कि इसके द्वारा भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग की आधारशिला भी रखी। 1975 में उन्हें कोलकाता मेट्रो रेल परियोजना से हटा लिया गया।
पहला जहाज किया तैयार
श्रीधरन ने अक्टूबर 1979 में कोचीन शिपयार्ड ज्वाइन किया। इस समय यह अनुत्पादकता के दौर से गुजर रही थी। शिपयार्ड का पहला जहाज़ ‘एम.वी. रानी पद्मिनी’ अपने लक्ष्य से बहुत पीछे था पर उन्होंने अपने अनुभव, कार्यकुशलता और अनुशासन से शिपयार्ड का कायाकल्प कर दिया। उन्होंने ये सुनिश्चित किया कि उनके नेतृत्व में यहाँ का पहला जहाज़ बनकर निकले। सन 1981 में उनके नेतृत्व में ही कोचीन शिपयार्ड का पहला जहाज़ ‘एम.वी. रानी पद्मिनी’ बनकर बाहर निकला।
एमवी रानी पद्मिनी जहाज
श्रीधरन अक्टूबर 1979 में कोचीन शिपयार्ड ज्वाइन किया। इस समय यह अनुत्पादकता के दौर से गुजर रही थी। शिपयार्ड का पहला जहाज एमवी रानी पद्मिनी अपने लक्ष्य से बहुत पीछे था पर उन्होंने अपने अनुभव, कार्यकुशलता और अनुशासन से शिपयार्ड का कायाकल्प कर दिया। कोच्चि शिपयार्ड में सालों से अटके एमवी रानी पद्मिमनी जहाज के कंस्ट्रक्शन को 2 साल में ही पूरा करा दिया। 1981 में उनके नेतृत्व में कोचीन शिपयार्ड का पहला जहाज एमवी रानी पद्मिनी बनकर बाहर निकला। रिटारमेंट के बाद भी वो पीछे नहीं हटे और मुंबई कोच्चि रूट पर ट्रेन लाइंस बिछवाईं।
दिल्ली मेट्रो की शुरुआत
मेट्रो का ये सफर जितना आसान दिखता है उतना रहा नहीं। मेट्रो का पहली बार सपना देखा गया साल 1969 में लेकिन 26 साल गुजर गए ये सोचने में की राजधानी दिल्ली को कैसी और किस तरह की मेट्रो ट्रेन चाहिए। लेकिन साल 1995 में भारत सरकार ने दिल्ली सरकार के साथ मिलकर खड़ी की एक कंपनी दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन यानी डीएमआरसी। अब सवाल ये था कि डीएमआरसी के मुखिया का जिम्मा किसे दिया जाए। कौन शख्स हो जो राजधानी दिल्ली में मेट्रो के सपने को साकार कर सके। रेलवे का कहना था कि उनका आदमी हो तो दिल्ली सरकार का कहना था कि मेट्रो प्रोजेक्ट उनके अधिकारी को मिले। इसी खींचतान के बीच रेलवे के एक रिटायर्ड अधिकारी का नाम सामने आया। ई श्रीधरन। देश की पहली मेट्रो यानी कोलकाता मेट्रो का तजुर्बा रखने वाले श्रीधरम ने डीएमआरसी के एमडी का पद संभाला। श्रीधरन के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी तय समय पर योजना बना कर राजधानी में मेट्रो को दौड़ाना। एक ऐेसे देश में जहां किसी भी परियोजना को पूरा होने में सालों का वक्त लग जाता है। श्रीधरन को वक्त दिया गया दस साल का राजधानी दिल्ली में मेट्रो को दौड़ाने का। लेकिन श्रीधरन ने कहा कि मेरे लिए सात साल ही काफी है। 1995 में दिल्ली मेट्रो रेल परियोजना को अमल में लाने का काम शुरू हुआ और 1998 में कंस्ट्रक्शन की शुरूआत हो गई। साल 2002 के खत्म होते-होते देश की राजधानी में पहली मेट्रो दौड़ने लगी। चिलचिलाती धूप में ठसा-ठस भरी बसों का इंतजार करते दिल्ली वालों के बीच एयर कंडीशन वाली मेट्रो ठंडी हवा के झोके की तरह आई। मेट्रो ने दिल्ली के ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बदलकर रख दिया। और देखते ही देखते मेट्रो रेल दिल्ली एनसीआर की लाइफलाइन बन गई। देखते ही देखते मेट्रो दिल्ली एनसीआर में पूरी तरह से बिछ गई। दिल्ली में मेट्रो लाकर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की शक्ल और सूरत बदल कर रख दी। दिल्ली मेट्रो में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए फ्रांस सरकार ने उन्हें लीजन ऑफ ऑफ ऑनर से सम्मानित किया। इसके बाद उन्होंने कोच्चि मेट्रो, जयपुर मेट्रो, लखनऊ मेट्रो, कोयंबटूर मेट्रो में बतौर एडवाइजर काम किया। दिल्ली और एनसीआर में मेट्रो की पटरियां 390 किलोमीटर में फैली हैं और इनके बीच 285 स्टेशन आते हैं। रोजाना लाख लोगों को अपनी मंजिल तक पहुंचाती है। वो भी काहिरा और कोलकाता के बाद सबसे कम कीमत पर। 2005 में फ्रांस सरकार ने उन्हें फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान नाइट ऑफ द लीजन ऑनर से सम्मानित किया। 2001 में उन्हें पद्मश्री और 2008 में पद्मविभूषण से नवाजा गया।
केजरीवाल के मुफ्त यात्रा वाले फैसले से हो गए थे नाराज
साल 2019 में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली मेट्रो और डीटीसी बसों में महिलाओं को मुफ्त सवारी का तोहफा देने की खबर सामने आई। श्रीधरन ने उस वक्त पत्र लिखते हुए अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। उन्होंने लिखा था कि दिल्ली मेट्रो केंद्र और दिल्ली सरकार का ज्वाइंट वेंचर है। ऐसे में कोई भी एक हिस्सेदार समाज के लिए किसी एक हिस्से को रियासत देने का एकतरफा फैसला नहीं ले सकता है। चिट्ठी में उन्होंने कहा कि दिल्ली मेट्रो के किसी भी काम में दखल न देने का फैसला किया था। मगर दिल्ली सरकार के इस फैसले ने उन्हें आगे आने पर मजबूर कर दिया। इसके साथ ही श्रीधरन ने लिखा- सर, जब दिल्ली मेट्रो का पहला चरण शुरू होने वाला था। तब मैंने सूझ-बूझ के साथ ये फैसला लिया था कि किसी को भी दिल्ली मेट्रो में यात्रा पर छूट नहीं दी जानी चाहिए। ये फैसला इसलिए किया गया ताकि रेवेन्यू बढ़ सके और मेट्रो का किराया कम रखा जा सके। इससे आम नागरिक भी मेट्रो में आसानी से ट्रेवल कर सकेंगे और जेएआईसीए से लिया गया लोन भी चुकाया जाएगा।
श्रीनगर मेट्रो प्रोजेक्ट
ई श्रीधरन ने 2019 में कश्मीर में भी मेट्रो का सपना साकार करने की तरफ कदम बढ़ाया था। श्रीनगर में 25 किलोमीटर लंबा मेट्रो ट्रेन प्रोजक्ट होगा। जो कि 2 तरणों में बनेगा। कॉरिडोर 2 नाम से दो हिस्सों में श्रीनगर मेट्रो को बांटा गया है। एक कॉरिडोर में 12 स्टेशन बनेंगे। यानी दोनों कॉरिडोर मिलाकर 24 स्टेशनों के साथ मेट्रो प्रोजेक्ट बनकर तैयार होगा। मेट्रो मैन को श्रीनगर मेट्रो प्रोजेक्ट का हेड बनाया गया।
बीजेपी से राजनीतिक सफर
केरल में विधानसभा चुनाव होने में कुछ ही महीने का समय शेष है और राज्य चुनावी समर में उतरने जा रहा है। लेकिन उससे पहले ही बीजेपी की तरफ से एक बड़ी खबर सामने आई। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने आगामी 21 फरवरी को पार्टी की विजय यात्रा से पहले ई श्रीधरन के शामिल होने की बात कही है। - अभिनय आकाश