Whatsapp की छुट्टी करेगा मेड इन इंडिया मैसेजिंग ऐप 'संदेश'
अपनी नई प्राइवेसी पालिसी को लेकर विवादों में घिरा व्हाट्सअप अपने यूजर्स को उनके डेटा की सुरक्षा का भरोसा दिला रहा है। लेकिन अब भारत में रहने वाले लोगों का डेटा सुरक्षित रहे इसके लिए सरकार एक खास विकल्प लेकर आई है। संदेश मैसेजिंग एप। इसकी टेस्टिंग हो रही है।
मोबाइल फोन और लैपटाॅप ये दोनों ऐसे गैजेट हैं जो अब जिंदगी का हिस्सा बन चुके हैं। लेकिन क्या आपको कभी लगा कि आपका मोबाइल या लैपटाॅप जिसे आप हमेशा अपने साख रखते हैं, वो आपका जासूस बन सकता है। व्हाट्सअप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है। क्या नई प्राइवेसी पालिसी से लोगों के संदेश सुरक्षित रहेंगे? क्या देश के 40 करोड़ व्हाट्सअप यूजर्स की प्राइवेसी बरकरार रहेगा? क्या आपके व्हाट्सअप मैसेज और वीडियो की जासूसी तो नहीं होगी? ये सवाल, ये आशंकाएं पिछले कुछ समय से देश की सबसे बड़ी अदालत की दहलीज तक पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट में व्हाट्सअप की नई प्राइवेट पालिसी के खिलाफ एक याचिका की सुनवाई हुई। तीन जजों की बेंच की अध्यक्षता एसए बोबडे ने की। चीफ जस्टिस ने इस दौरान जो टिप्पणी की वो इस देश के 130 करोड़ लोगों की निजता के अधिकार की अहमियत बतातीहै।
"आप 2 या 3 ट्रिलियन की कंपनी हो सकते हैं। लेकिन लोगों के लिए उनकी निजता की अहमियत पैसों से ज्यादा है। लोगों को अपना डाटा शेयर करने को लेकर गंभीर आशंकाएं हैं।"
अपनी नई प्राइवेसी पालिसी को लेकर विवादों में घिरा व्हाट्सअप अपने यूजर्स को उनके डेटा की सुरक्षा का भरोसा दिला रहा है। लेकिन अब भारत में रहने वाले लोगों का डेटा सुरक्षित रहे इसके लिए सरकार एक खास विकल्प लेकर आई है। संदेश मैसेजिंग एप। हाल ही में व्हाट्सअप ने अपने पालिसी में कुछ अहम बदलाव किए थे जिसके जरिये वो यूजर्स के डेटा को फेसबुक के साथ शेयर करने की प्रक्रिया में था। लेकिन काफी विरोध के बाद कंपनी ने अपने इस विरोध को कुछ समय के लिए टाल दिया। भारत के लिए ये डेटा पालिसी किसी भी तरह से सही नहीं थी। इसलिए डेटा को सुरक्षित रखने के लिए एक नया विकल्प लाया गया है। ये विकल्प है संदेश मैसेजिंग एप का। इसकी टेस्टिंग हो रही है। खबरों की माने तो ये एप बनकर तैयार हो गया है और मंत्रालय के द्वारा टेस्ट करवाया जा रहा है। नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर ने व्हाट्सएप की तर्ज पर संदेश नाम से एक इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है। व्हाट्सएप की तरह, नए एनआईसी प्लेटफॉर्म का उपयोग मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी के साथ किसी भी प्रकार के संचार के लिए किया जा सकता है।
इसे भी पढ़ें: कौन होते हैं अहमदिया मुसलमान? जिसे पाकिस्तान मानता है खतरा
एनआईसी ने इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को क्यों लॉन्च किया है?
मार्च 2020 में कोविड -19 के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बाद, सरकार को अपने कर्मचारियों के बीच सुरक्षित संचार सुनिश्चित करने के लिए एक मंच बनाने की आवश्यकता महसूस हुई क्योंकि वे घर से काम करते थे। सुरक्षा मामलों के बाद गृह मंत्रालय ने पिछले साल अप्रैल में सभी सरकारी कर्मचारियों को आधिकारिक संचार के लिए ज़ूम जैसे प्लेटफार्मों का उपयोग करने से बचने के लिए एक सलाह जारी की थी। कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सर्टिफिकेट-इन) ने जूम के खिलाफ सुरक्षा और गोपनीयता चिंताओं के बारे में एक सलाह पोस्ट की थी। सरकारी कर्मचारियों के लिए विशेष रूप से समर्पित एक सुरक्षित संचार नेटवर्क पर पिछले चार वर्षों से काम चल रहा है। अधिकारियों के अनुसार, पिछले वर्ष के दौरान विचार के निष्पादन में तेजी लाई गई। अगस्त 2020 में, एनआईसी ने ऐप का पहला संस्करण जारी किया, जिसमें कहा गया था कि ऐप का उपयोग केंद्र और राज्य सरकार दोनों के अधिकारियों द्वारा "इंट्रा और अंतर-संगठन संचार के लिए किया जा सकता है"। ऐप को शुरू में एंड्रॉइड उपयोगकर्ताओं के लिए लॉन्च किया गया था और फिर सेवा को iOS उपयोगकर्ताओं के लिए विस्तारित किया गया था। ऐप का लॉन्च भारत-निर्मित सॉफ्टवेयर का उपयोग करने के लिए सरकार की रणनीति का एक हिस्सा भी है ताकि स्वदेशी रूप से विकसित उत्पादों का एक परितंत्र बनाया जा सके। आरंभ में केवल सरकारी अधिकारियों के लिए खुला है, इसे अब आम जनता के लिए भी जारी किया गया है
ऐप का डिजाइन और लोगो
सरकारी ऐप संदेश के डिजाइन और लोगो की बात करें तो इस ऐप में अशोक चक्र का लोगो दिया गया है। इसमें तिरंगा के रंग की तीन लेयर मौजूद है। इस एप के लोगों में तीन लेयर्स हैं। ये तीनों लेयर्स को मिलाकर भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को बनाते हैं और अशोक चक्र इसके बीच में है। इस ऐप का लोगो व्हाट्सअप की तरह दिखता है। इस ऐप को डिजिटल इंडिया इनिशिएटिव के तौर पर लांच किया गया है। यह एंड्रॉयड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म के लिए उपलब्ध होगा।
इसे भी पढ़ें: वोट बैंक को साधने के लिए ठीक से नहीं की गई जांच! गांधी परिवार ने राजीव गांधी के हत्यारों को क्यों किया माफ?
एनआईसी द्वारा विकसित नए ऐप में क्या अलग है?
संदेश इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप का इंटरफेस अन्य मैसेजिंग ऐप की तरह ही है। हालांकि दो प्लेटफॉर्म के बीच चैट हिस्ट्री का ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है। लेकिन सभी चैट्स का ई-मेल पर बैकअप रखा जा सकता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए यूजर्स एक वैलिड मोबाइल नंबर या ई-मेल आईडी के जरिए संदेश पर अपना अकाउंट बना सकते हैं। इस पर व्हाट्सअप की तरह ग्रुप बना सकते हैं। मैसेज ब्राॅडकास्ट कर सकते हैं, मैसेज फाॅरवर्ड कर सकते हैं और इमोजी भेज सकते हैं।
संदेश ऐप के फीचर्स
संदेश ऐप के फीचर्स की बात करें तो इस ऐप में यूजर्स को चैटिंग के अलावा वाॅयस काॅलिंग फीचर भी मिलेगा। यानि व्हाट्सअप की तरह ही इसमें भी वाॅयस काॅलिंग का लाभ उठाया जा सकता है। इस ऐप को एनआईसी द्वारा कंट्रोल किया जाएगा। इस ऐप को यूजर्स तीन तरीके से साइन इन कर सकते हैं। इसमें साइन इन संदेश, एलडीएपी, साइन इन संदेश ओटीपी और संदेश वेब शामिल हैं। इनमें से किसी भी विकल्प का चयन करने के बाद आपको एक ओटीपी मिलेगा। फिलहाल साइन इन करने की सुविधा केवल सरकारी अधिकारियों को ही है क्योंकि यह अभी टेस्टिंग फेज में है और जल्द ही इसे यूजर्स के लिए रोलआउट किया जाएगा। - अभिनय आकाश
अन्य न्यूज़