By नीरज कुमार दुबे | Jan 06, 2022
नमस्कार न्यूजरूम में आप सभी का स्वागत है। महँगाई सरकारों को कितनी भारी पड़ती है इसका उदाहरण है कजाकिस्तान। जी हाँ, मध्य एशियाई देश कजाकिस्तान की सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों, एलपीजी और गैसोलीन की कीमतों में इजाफा क्या किया लोगों ने अपने विरोध प्रदर्शनों के बलबूते सरकार को ही गिरा दिया। हम आपको बता दें कि कजाकिस्तान में महँगाई के विरोध में सड़कों पर प्रदर्शन के लिए उतारू भीड़ पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े जिससे देश के हालात बिगड़ गये हैं और वहां आपातकाल लगाना पड़ा है। कजाकिस्तान में विरोध प्रदर्शनों के दौरान जनता और सुरक्षा बलों की भिड़ंत के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं। प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की कई गाड़ियों में आग भी लगा दी गयी जिससे हालात को काबू में करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। इस प्रकार की भी खबरें हैं कि कजाकिस्तान में प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारतों पर कब्जा भी कर लिया है। खबरों के अनुसार, कजाकिस्तान के सबसे बड़े शहर में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति निवास और मेयर कार्यालय पर भी धावा बोल दिया और दोनों में आग लगा दी।
जोरदार विरोध प्रदर्शन
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पुलिस ने अल्माटी स्थित राष्ट्रपति आवास से प्रदर्शनकारियों को भगाने के लिए कुछ लोगों पर गोलियां चलाईं। यही नहीं ठंड के मौसम में प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछारें की गयीं और आंसू गैस के गोले छोड़े गये जिससे प्रदर्शनकारी और भड़क गये। इस बीच, कजाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने कहा है कि प्रदर्शनों के दौरान आठ पुलिस अधिकारी और नेशनल गार्ड के सदस्य मारे गए और 300 से अधिक घायल हो गए। हालांकि हताहत हुए आम नागरिकों का कोई आंकड़ा जारी नहीं किया गया है। यह भी खबर है कि कजाकिस्तान के राष्ट्रपति ने खासतौर पर अल्माटी और मंगिस्टाऊ में हुए जोरदार विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया है और प्रशासन ने हालात सामान्य होने तक लोगों से घरों के भीतर ही रहने की अपील की है।
रूस देगा मदद
एक और रिपोर्ट के अनुसार, कजाकिस्तान के बिगड़े हुए हालात को देखते हुए कजाकिस्तान के राष्ट्रपति ने रूस के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन से मदद मांगी है। इस आग्रह को स्वीकार करते हुए अब जल्द ही वहां रूसी नेतृत्व वाली शांति सेना भेजी जा रही है। इस बारे में मास्को स्थित छह पूर्व सोवियत गणराज्यों के गठबंधन ‘सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन’ (सीएसटीओ) के परिषद अध्यक्ष और आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन ने कहा है कि कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कसीम-जोमार्ट टोकायव ने सीएसटीओ से सहायता की अपील की। कुछ घंटे बाद सीएसटीओ की परिषद ने शांति सैनिकों को भेजने की मंजूरी दे दी। कजाकिस्तान के राष्ट्रपति टोकायव ने इससे पहले अशांति के मद्देनजर कठोर कदम उठाने का संकल्प लिया था और नूर-सुल्तान की राजधानी तथा अल्माटी के सबसे बड़े शहर दोनों के लिए घोषित रात्रि कर्फ्यू और शहरी एवं आसपास के क्षेत्रों में आवाजाही पर प्रतिबंध को बढ़ाते हुए पूरे देश में दो सप्ताह के आपातकाल लगाने की घोषणा की।
कजाकिस्तान में अफरातफरी
देश में हुई अशांति के कारण सरकार ने इस्तीफा दे दिया है जिससे हर तरफ अफरातफरी का माहौल है। कजाकिस्तान में समाचार वेबसाइटों तक पहुंच बना पाना मुश्किल हो गया है और वैश्विक निगरानी संगठन नेटब्लॉक्स ने कहा है कि देश व्यापक इंटरनेट ब्लैकआउट का अनुभव कर रहा है। हालांकि रूसी समाचार एजेंसी तास ने बताया कि अल्माटी में बृहस्पतिवार तड़के इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई। हम आपको बता दें कि वाहन ईंधन के रूप में व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली एक प्रकार की तरलीकृत पेट्रोलियम गैस की कीमतों के लगभग दोगुने होने के विराध में प्रदर्शन शुरू हुआ था। इन प्रदर्शनों के बारे में राष्ट्रपति टोकायव ने दावा किया कि इस अशांति का नेतृत्व ‘‘आतंकवादी बैंड’’ कर रहे थे जिन्हें अन्य देशों से मदद मिलती है। उन्होंने यह भी कहा कि अल्माटी के हवाई अड्डे पर हमले में दंगाइयों ने पांच विमानों को जब्त कर लिया था, लेकिन उप महापौर ने बाद में कहा कि हवाई अड्डे को दंगाइयों से मुक्त करा लिया गया और वहां सामान्य रूप से कामकाज हो रहा है।
कजाकिस्तान संबंधी जानकारी
उल्लेखनीय है कि कजाकिस्तान, दुनिया का नौवां सबसे बड़ा देश है। इसकी सीमाएं उत्तर में रूस और पूर्व में चीन से लगती हैं और इसके पास व्यापक तेल भंडार है जो इसे रणनीतिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है। तेल के भंडार और खनिज संपदा के बावजूद देश के कुछ हिस्सों में लोग खराब हालत में रहने को मजबूर हैं जिसके कारण लोगों में असंतोष है। वर्ष 1991 में सोवियत संघ से अलग होने के बाद कजाकिस्तान में एक ही पार्टी का शासन रहा है और इसकी वजह से भी लोगों में असंतोष है। फिलहाल पूरी दुनिया की नजर कजाकिस्तान के हालात पर बनी हुई है।