By अभिनय आकाश | Feb 26, 2024
पहले से ही बर्बादी की कगार पर खड़ा पाकिस्तान तकनीक में भी पिछड़ा हुआ है। ऊपर से चुनावी नतीजों के बाद पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ समेत कई विपक्षी दल सड़कों पर उतरे हुए हैं। जिसने पाकिस्तान की कार्यकारी सरकार और नई सरकार बनाने वाले दल व पाकिस्तान की सियासत को कंट्रोल करने वाली आर्मी के भी होश उड़ा कर रख दिए हैं। हर वक्त चीन का गुणगान करने वाले पाकिस्तान को ड्रैगन ने जोर का झटका दे दिया है। पाकिस्तान को उसके करीबी दोस्त चीन की तरफ से झटका टेक्नोलॉी ट्रांसफर को लेकर मिला है। पाकिस्तान को हर वक्त कुछ न कुछ मांगते रहने की आदत है। इस बार उसने चीन के सामने एक शक्तिशाली सॉफ्टवेयर के लिए हाथ फैलाए। लेकिन ड्रैगन ने उसे आंख दिखाते हुए शक्तिशाली सॉफ्टवेयर देने से साफ इनकार कर दिया।
इस्लामाबाद को एक ऐसे सॉफ्टवेयर की दरकार है जो राजनीतिक असहमति रखने वाले लोगों पर लगाम कसने के लिए कर सके। इसी सॉफ्टवेयर को मांगने के लिए उसने चीन के आगे हाथ फैलाए थे। लेकिन बीजिंग ने अपने ग्रेट फॉयर वॉल सॉफ्टवेयर को शेयर करने से साफ इनकार कर दिया है। इसके पीछे बड़ी वजह सॉफ्टवेयर की पायरेसी बताई जा रही है। दरअसल, चीन को डर था कि अगर इस सॉफ्टवेयर को पाकिस्तान को दिया जाता है तो अमेरिका इसकी कॉपी कर सकता है। चीन अपने इस ग्रेट फॉयर वॉल सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल घरेलू दर्शकों के लिए उपलब्ध इंटरनेट को व्यापक रूप से सेंसर करने के लिए करता है। चीन ने सूचना प्रोद्योगिकी का इस्तेमाल करके इंटरनेट तक लोगों की पहुंच को काबू कर रखा है। इन्हीं उपायों को ग्रेट फॉयर वॉल के रूप में जाना जाता है।
एक्सपर्ट के अनुसार चीन का ये ग्रेट फॉयर वॉल कीवर्ड या संवेदनशील शब्दों के लिए ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल यानी टीसीपी की जांच करके काम करता है। अगर कीवर्ड या संवेदनशील शब्द टीसीपी में दिखाई देते हैं तो इंटरनेट एक्सेस बंद हो जाएगा। अगर एक बार लिंक बंद हो जाता है तो उसी मशीन से दूसरे लिंक भी ग्रेट फॉयर वॉल सॉफ्टवेयर के जरिए रोक दिए जाएंगे। कुछ ऐसा ही काम पाकिस्तान की कार्यकारी सरकार अपने मुल्क में करना चाहती थी। जिससे नई सरकार और आर्मी के विरोध में बुलंद होने वाली आवाजों को दबाया जा सके।