By रितिका कमठान | Dec 28, 2024
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में गुरुवार 26 दिसंबर को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उनके निधन के बाद अब शनिवार को निगम बोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनका पार्थिव शरीर निगम बोध घाट पर किया जाएगा।
उनके सम्मान में केंद्र सरकार सात दिन के राजकीय शोक का ऐलान कर चुकी है। उनके अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर मोतीलाल नेहरू रोड के बंगला नंबर तीन में रखा गया था।
इसके बाद कांग्रेस मुख्यालय में भी उनका पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए रखा गया था। वहीं अब कुछ ही समय में उन्हें मुखाग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार होगा। हालांकि लोगों में ये सवाल है कि उन्हें मुखाग्नि कौन देगा। लोग भी ये जानने के लिए इच्छुक है। भारतीय धर्मग्रंथों के मुताबिक किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार के बाद मृतक का बेटा पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देता है। आमतौर पर अब इस परंपरा से हटकर बेटियां भी मुखाग्नि देने लगी है।
बेटियां करेंगी ये काम
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तीन बेटियां है। तीनों की उम्र छठे दशक के करीब ही है। उनकी बड़ी बेटी उपिंदर सिंह की उम्र 65 वर्ष, दूसरी बेटी दमन सिंह की उम्र 61 वर्ष और तीसरी बेटी अमृत सिंह 58 वर्ष की है। शास्त्रों के मुताबिक पार्थिव शरीर को मुखाग्नि बेटा देता है मगर बेटा नहीं होने पर बेटियां भी ये जिम्मेदारी निभाने लगी है। क्या मनमोहन सिंह को उनकी बड़ी बेटी मुखाग्नि देगी या ये जिम्मेदारी कोई और निभाएगा। शास्त्रों के मुताबिक मृत्यु के बाद शव को मुखाग्नि देना बेहद महत्वपूर्ण है। बेटा ना होने पर ये जिम्मेदारी अब बेटियां निभाने लगी है, जिसे स्वीकार किया जा चुका है।
शास्त्रों में लिखा गया है कि कन्या या पुत्री को भी वही अधिकार है जो पुत्र को है। अग वो श्रद्धा और प्रेम से यह कार्य करती है।” गौरतलब है कि शास्त्रों का मुख्य उद्देश्य धर्म और कर्तव्य का पालन करना है। इसके जरिए सिर्फ परंपरा का ही निर्वहन नहीं होता है।
सिख धर्म के मुताबिक होगा अंतिम संस्कार
गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह सिख धर्म से थे तो उनका अंतिम संस्कार उसी धर्म के अनुसार हो सकता है। इसे अंतिम अरदास कहा जाता है। काफी सादगी से अंतिम संस्कार किया जाता है। सिख धर्म के अनुसार कोई भी करीबी परिजन मुखाग्नि दे सकता है। सिख धर्म में सिर्फ बेटा ही मुखाग्नि देगा ये बाध्यता नहीं है। सिख धर्म में बेटियों को भी बेटों के समान अधिकार दिए गए है। सिख धर्म में बेटी भी मुखाग्नि देने की अधिकारी है। सिख धर्म में लिंग भेदभाव की जगह नहीं है।