पुलिस कार्रवाई और SIT को लेकर संतों के बीच खासा आक्रोश, हरिद्वार में 16 जनवरी को होगी प्रतिकार सभा

By अनुराग गुप्ता | Jan 07, 2022

नयी दिल्ली। धर्मसंसद में नफरती भाषण के बाद संतों के ऊपर दर्ज हुए मुकदमों के करीब एक हफ्ते बाद संतों ने पुलिस का कार्रवाई के खिलाफ प्रतिकार सभा या बदला बैठक की योजना बनाई है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक 16 जनवरी को हरिद्वार के बैरागी कैंप में प्रतिकार सभा आयोजित की जाएगी। जिसको लेकर देशभर के धर्मगुरुओं और हिंदुवादी संगठनों के पदाधिकारियों को आमंत्रित किया गया है। 

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धर्म संसद कोर कमेटी के संयोजक स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि अपने धर्म की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। अंग्रेजी समाचार वेबसाइट 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही संतों के लिए समान रूप से बुरे हैं। उन्होंने कहा कि अपने धर्म की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। भले ही यह एक अपराध है, हम इसे करना जारी रखेंगे।

आपको बता दें कि हरिद्वार में बुधवार की रात कोर कमेटी की आपात बैठक हुई। जिसमें प्रतिकार सभा को आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। धर्मसंसद संयोजक ने बताया कि आपात बैठक में कमेटी के सभी सदस्य शामिल हुए थे। संतों का आरोप है कि धर्मसंसद मामले में फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए हैं और मुख्यमंत्री के निर्देश पर एसआईटी गठित की गई है। जिसको लेकर संतों में आक्रोश है।

रिपोर्ट के मुताबिक, स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि साधुओं के खिलाफ एसआईटी के गठन का क्या औचित्य है ? संतों को परेशान किया जा रहा है। अगर हमें गिरफ्तार किया जाना है तो हम मुख्यमंत्री कार्यालय में आत्मसमर्पण करेंगे।

क्या है पूरा मामला ?

धर्म संसद 16 से 19 दिसंबर के बीच हरिद्वार के भोपतवाला के वेद निकेतन धाम में बंद दरवाजे के भीतर आयोजित हुई थी। कार्यक्रम के समाप्त होने के बाद वीडियो सामने आए, जिसमें वक्ताओं को अल्पसंख्यकों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देते हुए दिखाया गया। इतना ही नहीं एक वक्ता ने तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गोली मारने की बात कही थी। इस मामले को लेकर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठने लगी। इतना ही नहीं हरियाणा और उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी ने उत्तराखंड सरकार को पत्र लिखा। 

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रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में अबतक 2 प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है और 10 से अधिक लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हो चुका है। इसके अलावा 2 जनवरी को पांच सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया था। हालांकि मामले में अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है।

गौरतलब है कि 23 दिसंबर को पहली प्राथमिकी गाजियाबाद के डासना मंदिर के पुजारी और सम्मेलन के आयोजक यति नरसिंहानंद समेत पांच लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 और 295 के तहत दर्ज की गई थी।

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