By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 29, 2021
इसी तरह मध्य प्रदेश ने 445 मीट्रिक टन की मांग की थी लेकिन उसे 543 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दिया गया। इसी तरह कई अन्य राज्यों के साथ भी यही स्थिति है। वरिष्ठ अधिवक्ता राज शेखर राव मामले में न्यायमित्र हैं। अदालत ने कहा कि यदि दी गयी सूचना सही मान ली जाये तो ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र सरकार इस पर अपना रुख बताने की आवश्यकता है और अदालत ने केंद्र सरकार को इस पर जवाब देने के लिए एक दिन का समय दे दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्र को या तो इस पर स्पष्टीकरण देना होगा या ‘‘इसमें संशोधन’’ करना होगा। केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार अदालत के सवाल पर हलफनामा देगी और मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र को अधिक ऑक्सीजन देने का कारण बताएगी। मेहता ने कहा, “ऐसे राज्य हैं जिन्हें मांग से कम आपूर्ति की गई है। हम इसकी तर्कसंगत व्याख्या करेंगे।” सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी से जब पूछा कि दिल्ली को कम और मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र को मांग से ज्यादा ऑक्सीजन क्यों दी जा रही है, इस पर मेहता ने कहा कि मध्य प्रदेश की आबादी राष्ट्रीय राजधानी से अधिक है।
इस पर अदालत ने अधिकारी से कहा, ‘‘फिर आप मध्य प्रदेश के कोटे से काटकर इसे दिल्ली को दे दीजिए। यह मध्य प्रदेश में कुछ जिंदगियों की कीमत पर होगा लेकिन दिल्ली के लिए भी तो होना चाहिए।’’ अदालत ने कहा, ‘‘इसे इस तरह मत लीजिए कि हम दिल्ली के लिए कुछ अतिरिक्त करने के लिए कह रहे हैं। इसे इस तरह से पेश मत कीजिए। हम ऐसा नहीं चाहते। हम बस तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर आपसे ऐसा कह रहे हैं। आप इस पर भावुक नहीं हो सकते। आपको इस पर कदम उठाने की जरूरत है। आप इससे भाग नहीं सकते।’’ वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने अदालत के समक्ष एक सूची रखी जिसमें विभिन्न राज्यों द्वारा की गई ऑक्सीजन की मांग और उन्हें की गई आपूर्ति का ब्यौरा था। उन्होंने कहा कि केवल दिल्ली को उतनी मात्रा नहीं मिली है जितनी उसने मांगी है जबकि अन्य को उनकी मांग जितना या उससे ज्यादा मिल रहा है। अदालत ऑक्सीजन संकट और कोविड-19 वैश्विक महामारी से जुड़े अन्य मामलों को लेकर दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई पूर्वाह्न साढ़े 11 बजे शुरू हुई जो अब भी जारी है।