पटना| बिहार में कांग्रेस को रविवार को उस समय झटका लगा जब राज्य में राजनीतिक रूप से एक प्रभावशाली परिवार के एक सदस्य ने पार्टी का दामन छोड़ दिया और लालू प्रसाद की पार्टी राजद में शामिल हो गए।
ऋषि मिश्रा के दादा ललित नारायण मिश्रा, इंदिरा गांधी नीत सरकार में रेल मंत्री थे। ऋषि मिश्रा को प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने राष्ट्रीय जनता दल में शामिल किया।
मिश्रा 2019 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) से नाता तोड़ने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्होंने 2014 में जद (यू) के टिकट पर एक उपचुनाव जीता था, लेकिन एक साल बाद भारतीय जनता पार्टी से हार गए थे।
इस अवसर पर पत्रकारों से बात करते हुए, मिश्रा ने दावा किया कि वह इसको लेकर आश्वस्त हैं कि ‘‘राजद एकमात्र ऐसी पार्टी है जो बिहार में भाजपा को विश्वसनीय चुनौती दे सकती है।’’
हालांकि, उन्होंने कांग्रेस और राजद के बीच तनावपूर्ण संबंधों पर कोई टिप्पणी करने से परहेज करते हुए कहा कि यह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा तय किया जाने वाला मामला है।
मिश्रा ने हाल ही में प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया था कि वह पार्टी की संभावनाओं की कीमत पर स्व-हित को बढ़ावा दे रहा है। उनका इशारा उन अटकलों की ओर था कि बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रमुख मदन मोहन झा आगामी विधानपरिषद चुनावों के लिए अपने एक स्वजन के लिए टिकट की पैरवी कर रहे हैं।
तेजस्वी यादव ने कहा कि मिश्रा का पार्टी में प्रवेश इसका एक और सबूत है कि राजद ‘‘ए टू जेड’’ (समाज के सभी वर्गों) से संबंधित है। मिश्रा ने उत्तर बिहार के मिथिला क्षेत्र में पार्टी को मजबूत करने का संकल्प लिया, जहां उनके परिवार का ब्राह्मणों के बीच अभी भी प्रभाव माना जाता है।
वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र यादव ने तेजस्वी यादव के आवास पर घोषणा की कि वह अपनी पार्टी समाजवादी जनता दल का राजद में विलय करेंगे।
यादव ने कहा, ‘‘विलय 23 मार्च को राम मनोहर लोहिया की जयंती के दिन होगा।