इस साल संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन को प्रायोजित करने की जिम्मेदारी शीतल पेय पदार्थ कंपनी ‘कोका-कोला कंपनी’ को देने पर लोगों ने ऑनलाइन माध्यम से अपनी नाराजगी जताई है। इन लोगों ने कॉरपोरेट लॉबिइंग और उसके प्रभाव को लेकर चिंता जाहिर की है। बढ़ते वैश्विक तापमान पर अंकुश लगाने के मकसद से कॉप-27 वार्ता अगले महीने लाल सागर तट पर बसे रिजॉर्ट शहर शर्म-अल शेख में आयोजित की जाएगी।
मिस्र के आयोजकों ने सितंबर में प्रायोजक समझौते की घोषणा करते समय ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु पर मुख्य ध्यान केंद्रित करने के लिए कोका-कोला के प्रयासों का हवाला दिया था। हालांकि, आयोजकों के इस तरह के बयान को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने तत्काल नाराजगी जाहिर करनी शुरू कर दी थी। कार्यकर्ताओं ने प्लास्टिक प्रदूषण में कंपनी के बड़े योगदान को लेकर आलोचना की और इशारा किया कि यह करार कॉरपोरेट ‘ग्रीनवाश’ का एक उदाहरण है, जिसके तहत प्रदूषण फैलाने वाले कृत्य पर परदा डालने के लिए जलवायु परिवर्तन पर रोक लगाने की दिशा में उठाए गए कदमों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है।
प्रायोजक की भूमिका से कोक को हटाने के लिए एक ऑनलाइन याचिका दायर की गई है, जिसमें 2,28,000 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किये हैं। इसके अलावा सैकड़ों नागरिक संस्थाओं ने एक खुले पत्र पर दस्तखत के जरिये मांग की है कि प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों के जलवायु वार्ता में शामिल होने पर पाबंदी लगाई जाये। कोका-कोला ने कहा कि इसकी सहभागिता उत्सर्जन में कटौती और महासागर के प्लास्टिक कचरे को साफ करने की इसकी महत्वाकांक्षी योजना को रेखांकित करती है। आलोचकों के मुताबिक कॉरपोरेट की भागीदारी बैठक की भावना के विपरीत है, जहां देशभर के हजारों प्रतिनिधि शामिल होंगे।