काठमांडू में एयरपोर्ट के पास राजतंत्र समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प हुई। पुलिस ने कई राउंड आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाईं। गौरतलब है कि झड़प में प्रदर्शनकारियों ने वाहनों और एक घर को आग के हवाले कर दिया। समूह झड़प को देखते हुए टिंकुने, सिनामंगल और कोटेश्वर इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि टकराव के दौरान एक व्यक्ति घायल हो गया। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय ध्वज और पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीरें लहराते हुए एक टीवी स्टेशन और सीपीएन (एकीकृत समाजवादी) पार्टी कार्यालय पर हमला किया।
राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी सहित राजशाही समर्थक समूहों ने प्रदर्शनों का नेतृत्व किया, जिसमें 2008 में संसदीय घोषणा के माध्यम से समाप्त किए गए राजशाही की बहाली का आह्वान किया गया, जिसने नेपाल को एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय गणराज्य में बदल दिया। यह अशांति 19 फरवरी (लोकतंत्र दिवस) को ज्ञानेंद्र शाह के एक वीडियो संदेश के बाद हुई, जिसमें उन्होंने राजशाही की वापसी के लिए आह्वान करते हुए जनता से समर्थन का आग्रह किया।
जब राजशाही के समर्थक तिनकुने में रैली कर रहे थे, तो हज़ारों राजशाही विरोधी कार्यकर्ता समाजवादी मोर्चे के नेतृत्व में भृकुटीमंडप में एकत्र हुए। उन्होंने "गणतंत्रीय व्यवस्था अमर रहे और भ्रष्ट लोगों के खिलाफ़ कार्रवाई करो जैसे नारे लगाए। नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड' और अन्य नेताओं ने भीड़ को संबोधित किया, जिससे राजशाही की वापसी के प्रति उनके विरोध को बल मिला। पुलिस ने प्रतिबंधों का उल्लंघन करने और प्रतिबंधित न्यू बानेश्वर क्षेत्र की ओर मार्च करने का प्रयास करने के लिए कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया।