मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री तोमर से की मुलाकात, कृषि और किसान-कल्याण से जुड़े मुद्दों पर की चर्चा

By दिनेश शुक्ल | Mar 13, 2021

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को नई दिल्ली में केन्द्रीय कृषि एवं किसान-कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से मुलाकात कर कृषि एवं किसान-कल्याण से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने रबी 2020-21 के लिए चना, मसूर और सरसों के उपार्जन की सीमा को बढ़ाने का अनुरोध किया।

 

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मुख्यमंत्री ने बताया कि अन्य वर्षों की तरह इस वर्ष भी अच्छी फसल होने से चना, सरसों और मसूर के उत्पादन में काफी बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। इस वर्ष चने का संभावित उत्पादन 58.06 लाख मीट्रिक टन है और प्राइस सपोर्ट स्कीम के अंतर्गत प्रदेश को रबी 2020-21 में चना उपार्जन के लिए अधिकतम सीमा 14.51 लाख मीट्रिक टन की पात्रता है। इसी प्रकार सरसों का संभावित उत्पादन 15.60 लाख मीट्रिक टन है और प्राइस सपोर्ट स्कीम में अधिकतम सीमा नौ लाख मीट्रिक टन की पात्रता है। इसी प्रकार मसूर का उत्पादन इस वर्ष 5 लाख 48 हजार मीट्रिक टन होने की संभावना है।

 

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मुख्यमंत्री चौहान ने केन्द्रीय मंत्री तोमर को बताया कि खरीफ 2020-21 के लिए 15 लाख मीट्रिक टन यूरिया की अधिक माँग की गई थी किन्तु केन्द्र सरकार ने अभी तक केवल 12.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध कराने की सहमति प्रदान की है। उन्होंने शेष ढाई लाख मीट्रिक टन यूरिया शीघ्र जारी करवाने का अनुरोध किया। इसी प्रकार खरीफ 2020-21 के लिए डी.ए.पी. की अतिरिक्त माँग का अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में डी.ए.पी. उत्पादन की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। खरीफ 2020-21 के लिए अभी के आकलन के हिसाब 11 लाख मीट्रिक टन डी.ए.पी. की आवश्यकता है। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से इस आपूर्ति के लिए आवश्यक समन्वय स्थापित कर संबंधितों को निर्देश देने का अनुरोध किया।

 

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मुख्यमंत्री ने फसल अवशेषों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए कृषि यांत्रिकीकरण को बढ़ावा देने की योजना में मध्य प्रदेश को शामिल किये जाने की माँग की। वर्तमान में चार राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा दिल्ली में फसल अवशेष प्रबंधन की विशेष योजना का संचालन भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है। इसके अंतर्गत किसानों को नई तकनीक की कृषि मशीनरी 80 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करवायी जा रही है। उन्होंने आग्रह किया कि इस योजना को मध्य प्रदेश में भी शुरू किया जाय। ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश में वर्ष 2020 में नरवाई जलाने की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है।