पश्चिम बंगाल में बीजेपी विधायक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। विधायक देवेंद्र नाथ रॉय का शव फंदे से लटका मिला है। बीजेपी ने हत्या के बाद शव लटकाने का आरोप लगाया है। ममता सरकार को भी बीजेपी की तरफ से कटघरे में खड़ा किया गया है।
कौन हैं देवेंद्र नाथ रॉय
देवेंद्र नाथ रॉय पश्चिम बंगाल के हेमताबाद से बीजेपी के विधायक थे। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में रॉय ने हेमताबाद की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से माकपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। पिछले साल लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद बंगाल की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी के दो विधायक और 50 के करीब पार्षद बीजेपी में शामिल हुए थे। इनके अलावा हेमताबाद से सीपीएम के विधायक देवेंद्र नाथ ने भी पार्टी की सदस्यता ली थी। लेकिन सोमवार को उनके घर से करीब ढाई किलोमीटर दूर उनका शव पाया गया है।
एक विधायक की इस तरह से मौत और शव झूलता मिलने से राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठना लाजिमी था। बीजेपी ने ममता सरकार पर निशाना साधा। सबसे पहले बंगाल बीजेपी ने बीजेपी विधायक की खंभे से झूलती लाश का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा कि देवेंद्र नाथ का शव उनके गांव में घर के पास लटका मिला। लोगों का स्पष्ट मत है कि पहले उन्हें मारा गया और फिर लटका दिया गया। उनका गुनाह ये था कि उन्होंने 2019 में बीजेपी की सदस्यता ली थी।
जेपी नड्डा और राज्यपाल धनखड़ ने उठाए सवाल
भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले में पार्टी के विधायक दीबेन्द्र नाथ रे की मौत को ‘‘जघन्य हत्या’’ का संदिग्ध मामला करार देते हुए सोमवार को इसकी कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि यह घटना पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार में व्याप्त ‘‘गुंडा राज’’ और कानून एवं व्यवस्था की विफलता को दर्शाती है।
पश्चिम बंगाल में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या भाजपा का कार्यकर्ता होना गुनाह है? यह सवाल इसलिए खड़ा होता रहा है क्योंकि जिस तरह से पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या की खबरें आती रहती हैं वो राज्य के बेहाल होते हाल को दर्शाती हैं। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल की राजनीति में हिंसक झड़पों की खबरें तो खूब आती रही लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद जून-जुलाई में संदेशखली में झड़पों में मारे गए तीन लोगों के शव बरामद किए गए थे, जबकि कई अन्य लापता थे। भाजपा ने दावा किया था कि उसके पांच कार्यकर्ता मारे गए थे। अभी तक राजनीतिक हिंसा की खबरें वाम शासित राज्यों में ही आम रहती थीं, लेकिन तृणमूल कांग्रेस शासित पश्चिम बंगाल अब राजनीतिक हिंसा के मामले में सबसे आगे बढ़ रहा है