कम उम्र में ही आरएसएस से जुड़ने वाले Bandi Sanjay Kumar मोदी कैबिनेट में बने मंत्री

By Anoop Prajapati | Jun 19, 2024

भाजपा के नवनिर्वाचित सांसद बंदी संजय कुमार ने 2019 के परिणामों को दोहराते हुए लोकसभा चुनाव में तेलंगाना के करीमनगर से जीत दर्ज करके फिर इतिहास रचा है। मोदी 3.0 के मंत्रीमंडल में उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय में राज्यमंत्री का दायित्व दिया गया है। पिछले 10 वर्षों में अपनी संगठनात्मक क्षमताओं को साबित करके इस तेजतर्रार भाजपा नेता ने जमीनी स्तर के कार्यकर्ता से लेकर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तक का सफर तय किया है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में उन्हें करीमनगर निर्वाचन क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा था।


मुनुरकापु (बीसी-डी) जाती में जन्म लेने वाले सांसद बंदी संजय कुमार का जन्म 11 जुलाई, 1971 को हुआ। इनके पिता का नाम स्वर्गीय बी नरसय्या और माता का नाम बी शकुंतला है. इनकी पत्नी बंदी अपर्णा एसबीआई कर्मचारी हैं. ये तो रही परिवार की बात, अब बात करते हैं उनकी पार्टी में जिम्मेदारियों की तो फिलहाल बंदी संजय कुमार करीमनगर से सांसद हैं और बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव हैं। बंदी संजय कुमार बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ काम करते रहे। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राज्य प्रतिनिधि भी थे। बता दें कि 1994 से लेकर 1999 तक और 1999 से 2003 तक इन्होंने करीमनगर सहकारी बैंक में निदेशक के रूप में कार्य किया। इतनी ही नहीं दिल्ली में चुनाव प्रभारी होने के साथ साथ केरल और तमिलनाडु में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक भी रहे।


संजय बंदी कुमार 12 साल की उम्र में RSS से जुड़ गए थे और शाखा जाने लगे। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने जब रथ यात्रा निकाली तो संजय कुमार एक महीने से अधिक समय तक इस यात्रा में उनके साथ रहे और पार्टी से मिली जिम्मेदारी को निभाया। इन्होंने 2014 में करीमनगर विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, 52,000 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे, लेकिन साल 2019 में बंदी संजय कुमार ने लोकसभा क्षेत्र के लिए बीजेपी उम्मीदवार के रूप में फिर से चुनाव लड़ा और 96,009 वोटों के भारी बहुमत से जीत हासिल की, राज्य में बीजेपी उम्मीदवारों में पहला स्थान हासिल किया। इस बार भी लोकसभा चुनाव में इतिहास को दोहराते हुए बंदी संजय कुमार ने 2.25 लाख वोटों के भारी अंतर से अन्य प्रत्याशियों को मात दी और सांसद चुने गए।


विपरीत परिस्थितियों से विचलित हुए बिना, बंदी संजय ने निडरता से चुनौतियों का सामना किया है, चाहे वह हिंदुओं के अधिकारों के लिए आंदोलन करना हो या हाशिए पर पड़े लोगों के लिए लड़ाई लड़ना हो। उनकी सक्रियता का सबूत यह है कि उन्हें कई मौकों पर जेल जाना पड़ा। ये घटनाएँ विपरीत परिस्थितियों का सामना करने और लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के उनके अडिग संकल्प का प्रमाण हैं।


बंडी संजय कुमार का प्रभाव और कड़ी मेहनत, साथ ही उनकी प्रखर वाकपटुता जमीनी स्तर पर सक्रियता की परिवर्तनकारी शक्ति और हिंदुत्व और भाजपा के सिद्धांतों के प्रति अटूट समर्पण का प्रमाण है। तेलंगाना में सांसद और एक दिग्गज के रूप में राजनीतिक सक्रियता में नए आयाम स्थापित करते हुए, करीमनगर में भाजपा के एक दिग्गज के रूप में उनकी विरासत बेमिसाल बनी हुई है।

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