By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 22, 2017
नयी दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विश्वास् व्यक्त करते हुये कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में आ रही तेजी का भारत का भी फायदा होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय 7 से 8 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ रही है जो कि उसके लिये ‘‘नया सामान्य’’ वृद्धि स्तर बन गया है। वित्त मंत्री ने लोकसभा में चालू वित्त वर्ष की अनुपूरक अनुदान मांगों की दूसरी किस्त पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुये कहा कि पेट्रालियम उत्पादों को माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के दायरे में लाने का फैसला जीएसटी परिषद द्वारा ही लिया जायेगा।
वित्त मंत्री के जवाब के बाद निचले सदन ने 66,113 करोड़ रुपये की अतिरिक्त खर्च से जुड़ी अनुपूरक अनुदान मांगों और तत्संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी। इस राशि में निवल अतिरिक्त खर्च 33,379 करोड़ रुपये का होगा।जेटली ने इस दौरान मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर चुटकी लेते हुये कहा कि जब अप्रत्यक्ष कर की औसत दर 31 से 31.5 प्रतिशत के बीच थी तब ‘गब्बर सिंह टैक्स’ की कोई बात नहीं होती थी। ‘‘जब आप उत्पाद शुल्क, वैट, सीएसटी और इसके आगे पड़ने वाले प्रभाव सहित कुल 31.5 प्रतिशत की दर से कर लगाते थे तब किसी को गब्बर सिंह टैक्स याद नहीं आया। लेकिन अब कर की दर केवल 18 प्रतिशत है।’’
उल्लेखनीय है कि गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने माल एवं सेवाकर (जीएसटी) को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ बताया था। पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने के मुद्दे पर जेटली ने कांग्रेस पार्टी को चुनौती देते हुये कहा कि वह अपने मुख्यमंत्रियों से कहे कि वे खुलेआम यह स्वीकार करें कि वह पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने के पक्षधर हैं।
उन्होंने आगे कहा कि पेट्रोलियम पदार्थेां पर जीएसटी के तहत शून्य दर लागू है। इनके बारे में कोई भी फैसला जीएसटी परिषद में ही लिया जायेगा।जेटली ने यह भी कहा कि सरकार जीएसटी को लागू करने का समय आगे के लिये नहीं टाल सकती थी क्योंकि संविधान में यह व्यवस्था कर दी गई थी कि 16 सितंबर 2017 से नई कर व्यवस्था को लागू किया जाना था। उन्होंने सदन में एक बार फिर आश्वास्त किया कि जीएसटी लागू होने से किसी भी राज्य को राजस्व का नुकसान नहीं होने दिया जायेगा। केन्द्र ने इस बारे में पांच साल तक राज्यों को क्षतिपूर्ति की गारंटी दी है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। विश्व अर्थव्यवसथा में तेजी आने का फायदा भारत को भी होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय सात से 8 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रही है और यह उसके लिये नया सामान्य वृद्धि स्तर बन गया है। विश्व अर्थव्यवस्था को 2017 में 3.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि हासिल करने का अनुमान है। माना जा रहा है कि इससे अगले वर्ष में इसमें 3.7 प्रतिशत वृद्धि हासिल होगी।