By नीरज कुमार दुबे | Dec 15, 2022
आज हमारी वायुसेना पूर्वोत्तर में एलएसी के निकट युद्धाभ्यास कर रही है तो वहीं मेघालय में भारत और कजाकिस्तान की सेनाओं का आतंकवाद-रोधी अभ्यास शुरू हुआ है। इसके पहले हाल ही में उत्तराखंड के औली में हमने अमेरिका के साथ युद्धाभ्यास किया जिस पर चीन ने नाराजगी भी जताई थी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बढ़ती हुई सामरिक चुनौतियों के चलते ही युद्धाभ्यास की संख्या बढ़ायी गयी है? इस संबंध में जब प्रभासाक्षी ने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डीएस त्रिपाठी से बात की तो उन्होंने कहा कि यह युद्धाभ्यास लगातार चलते रहते हैं ताकि हम दूसरी सेनाओं से कुछ सीख सकें और वो हमसे सीख सकें। इसके अलावा अलग-अलग देशों में सैन्य अभ्यास का मकसद यह भी होता है कि हम उनके प्राकृतिक हालात और वो हमारे प्राकृतिक हालात में लड़ने के अभ्यस्त हो सकें। उन्होंने कहा कि एलएसी पर युद्धक विमान उड़ा कर हम अपनी क्षमता को परख रहे हैं यदि कोई इससे डरता है तो डरता रहे।
उन्होंने कहा कि चीन की सारी हेकड़ी निकालने के लिए भारतीय सेना सदैव तत्पर रहती है और अपनी तैयारियों में कभी कोई कमी नहीं आने देती। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना पूर्वोत्तर में आज से दो दिवसीय अभ्यास करेगी जिसमें एलएसी के करीब सभी युद्धक विमान और इस क्षेत्र में तैनात अन्य संसाधन शामिल किये जाएंगे। वैसे इस युद्ध अभ्यास का ताजा तनाव से कोई संबंध नहीं है क्योंकि इस अभ्यास की योजना बनाई गई थी और इसका तवांग की घटना से कोई संबंध नहीं है।
हम आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना के सुखोई-30एमकेआई और राफेल जेट समेत अग्रिम पंक्ति के विमान युद्ध अभ्यास में शामिल होंगे। पूर्वोत्तर क्षेत्र में वायुसेना के सभी अग्रिम अड्डे और कुछ एडवांस लैंडिंग ग्राउंड्स (एएलजी) को भी इस अभ्यास में शामिल किया जाना है। उन्होंने कहा कि सेना और वायुसेना अरुणाचल और सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पूर्वी लद्दाख विवाद के बाद से पिछले दो सालों से उच्च स्तरीय संचालनात्मक तैयारियों को बरकरार रखती आयी हैं। भारतीय वायुसेना ने पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी पर भारतीय हिस्से में चीन की बढ़ती हवाई गतिविधियों के बाद अपने लड़ाकू विमानों को उड़ाया था। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में चीन द्वारा ड्रोन सहित कुछ हवाई प्लेटफार्म की तैनाती तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में यथास्थिति को एकतरफा बदलने के लिए नौ दिसंबर को किये गये चीनी सेना के प्रयासों से पहले हुई थी। उन्होंने कहा कि चीनी ड्रोन एलएसी के काफी पास आ गये थे जिसके कारण भारतीय वायुसेना को अपने युद्धक विमान उतारने पड़े थे और समग्र युद्धक क्षमता को बढ़ाना पड़ा था।
उन्होंने यह भी कहा कि इसके साथ ही भारत और कजाकिस्तान की सेनाएं दोनों पक्षों के बीच सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से मेघालय के उमरोई में आज से शुरू होने वाले दो सप्ताह के आतंकवाद-रोधी अभ्यास का आयोजन करेंगी। उन्होंने कहा कि वार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास 2016 में 'प्रबल दोस्तीक' अभ्यास के रूप में शुरू किया गया था, जिसे 2018 में अभ्यास काजिंद का नाम दिया गया था।