देश में एक और नई पॉलिटिकल पार्टी लॉन्च हो गई, 10 लाख लोग बिन बुलाए सभा में पहुंच गए, बदल जाएंगे सारे राजनीतिक समीकरण?

By अभिनय आकाश | Oct 28, 2024

साल 1992 जब रजनीकांत तब की मुख्यमंत्री जे जयललिता के पड़ोसी थे।  पुलिस ने उन्हें इलाके में गाड़ी चलाने से रोका। रास्ते में जाम लगा हुआ था। जानकारी ली तो पता चला कि मुख्यमंत्री जयललिता वहां से गुज़रने वाली हैं, इसलिए ब्लॉकेड किया गया है।  एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने रजनीकांत से कहा कि आपको 30 मिनट तक रुकना होगा। जब तक मुख्यमंत्री की गाड़ियों का काफिला इलाके से गुजर नहीं जाता किसी को जाने नहीं दिया जाएगा। रजनीकांत कुछ देर बाद ही अपनी गाड़ी से निकलकर पास के ही खंभे की ओट लेकर अपने अंदाज में सिगरेट की कश लेने लगे। जब वहां के लोगों को ये मालूम पड़ा कि सुरस्टार रजनीकांत वहां मौजूद हैं तो डॉ. राधाकृष्णन रोड पर भारी भीड़ लग गई। घबड़ाए हुए पुलिस अधिकारी ने रजनीकांत से कहा कि आप अपनी गाड़ी बढ़ा लीजिए तो रजनीकांत का जवाब था 'सर, मैं इंतजार कर रहा हूं  कि मुख्यमंत्री का काफिला गुजर जाए। इस घटना के करीब दो दशक बाद 27 अक्टूबर यानी रविवार का दिन महाराष्ट्र चुनाव को लेकर कांग्रेस , शिवसेना की तरफ से अपने अपने उम्मीदवारों की घोषणा की जा रही थी। वहीं सूरत, लखनऊ के होटलों में बम की धमकी की खबर सामने आती है। दूसरी तरफ गृह मंत्री अमित शाह भाजपा के सदस्यता अभियान कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कोलकाता पहुंचते हैं। कुल मिलाकर राजनीति में निरंतरता बरकरार रहती है। लेकिन तमाम खबरों के बीच इसी दिन देश की राजधानी दिल्ली से 2400 किलोमीटर दूर तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले में वेंकरूमंडी मैदान लाखों की भीड़ से खचाखच भरा नजर आया। सिर पर चमकता सूरज और तापमान बेहोश कर देने वाला। गर्मी इतनी कि कुछ लोग गमछे से तो कुछ लोग सिर पर कुर्सी रखकर खुद को धूप से बचाने की कोशिश कर रहे थे। बावजूद इसके हर किसी के चेहरे पर गजब का जोश नजर आता है। तभी एक 50 साल के सुपरस्टार की एंट्री होती है। जनता का नेता लोगों के बीच से हाथों को हवा में हिलाते हुए तेजी से आगे बढ़ते नजर आते हैं। साथ में दो बॉडीगार्ड भी नजर आते हैं। लोगों के हाथों में पार्टी के रंग के गमछे हैं जिसे लोग अपने हीरो के अभिवादन में उसकी ओर फेंक रहे हैं। वो इसे उठाता है और इस अभिवादन को अपने सिर माथे लगाता है और अपने गले में डाल लगा लेता है। लोग शोर मचाते हैं। वो भागता हुआ मंच पर खड़ा हो जाता है और लोग खुशी से झूमने लगते हैं। आखिर हम किस शख्स की बात कर रहे हैं, कोई नेता, कोई सुपरस्टार, या फिर दोनों उपपद इसमें नत्थी हो। हम बात कर रहे हैं सुपरस्टार थलपति विजय की। तमिल एक्टर विजय इतनी भीड़ में बतौर अभिनेका नहीं बल्कि राजनेता एंट्री ली। 

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सभा में पहुंचे कितने लोग? 

तमिल एक्टर थलपति विजय ने 2 फरवरी को एक पार्टी और तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) लॉन्च की थी। बीते दिन इस महासभा की चर्चा देशभर में हुई। पार्टी के पहले कन्वेंशन में आई भीड़ ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया। लोगों ने दावा किया कि इस सभा में दस लाख से ज्यादा लोग पहुंचे। पार्टी के पहले सम्मेलन विजय ने पार्टी की विचारधारा से लेकर स्ट्रैटजी तक सब कुछ बता दिया। कयास लगाए जा रहे कि विजय 2026 में विधानसभा चुनाव भी लड़ेंगे। पार्टी की विचारधारा का अहम बिंदु धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय है। टीवीके पेरियार के दिखाए रास्ते पर चलेगी। 

अपने घोषणापत्र में विजय ने क्या कहा

राज्यपाल का पद हटाना

भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन बनाना

महिलाओं के लिए समान अवसर

जाति आधारित जनगणना करना

विधायकों के लिए आचार संहिता

धर्म, जाति, रंग आदि के आधार पर भेदभाव को दूर करना

अदालतों में प्रशासनिक भाषा के रूप में तमिल को बढ़ावा

केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध

तमिलनाडु के लिए 2 भाषा नीति

तमिलनाडु को नशा मुक्त बनाना

राज्य सूची के तहत शिक्षा को बहाल करना

विजय की स्पीच की 5 बातें

1. टीवीके के संस्थापक विजय ने द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और स्टालिन परिवार कटाक्ष करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दल के नेता जनविरोधी सरकार को द्रविड़ मॉडल सरकार कह रहे हैं। द्रविड़ मॉडल सरकार का संदर्भ द्रमुक अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बार-बार दोहराए गए बयानों से है। स्टालिन ने कहा था कि द्रमुक शासन का मॉडल समावेशी है, जो तमिल समाज के सभी वर्गों की भलाई सुनिश्चित करता है।

2. विजय ने कहा कि यहां कुछ लोग राजनीति में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति को एक खास रंग में रंग रहे हैं, लोगों को मूर्ख बना रहे हैं लेकिन पीटे पीछे सौदेबाजी में जुटे हैं, चुनाव के दौरान शोर मचाएंगे और हमेशा फासीवाद की बात करेंगे और एकजुट लोगों में बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक का डर पैदा करेंगे। स्वार्थी परिवार द्रविड़ मॉडल (शासन) के नाम पर तमिलनाडु को लूट रहा है, पेरियार व अन्ना के नाम का इस्तेमाल कर रहा है, जो हमारा राजनीतिक दुश्मन है।

3. यह विचारधारा का नाटक करेंगे। संस्कृति रक्षक का चोला ओढ़ेंगे। इसका कोई चेहरा नहीं है बल्कि केवल मुखौटा है। मुखौटा ही चेहरा है। भ्रष्ट पाखंडी हमारे बीच हैं और वर्तमान में हम पर शासन कर रहे हैं।” टीवीके की एक दुश्मन विभाजनकारी ताकतें हैं जबकि ऐसे भ्रष्ट पाखंडी दूसरे दुश्मन हैं। टीवीके द्रविड़म और तमिल राष्ट्रवाद को अलग-अलग नहीं मानता।

4. मैं यहां एक्स्ट्रा सामान के रूप में नहीं आया हूं, मैं तमिलनाडु में एक प्रमुख ताकत बनना चाहता हूं। पार्टी सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण पर द्रविड़ आइकन पेरियार की नीति को अपनाएगी।

5. तमिल को अदालतों और मंदिरों की भाषा के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए। यह केवल भाषा का प्रश्न नहीं है, बल्कि तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने का अभियान है। हमारी पार्टी 2026 के विधानसभा चुनाव में सभी 234 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

एमजी रामचंद्रण: 1981 में एक फिल्म आई थी नसीब जिसका गाना है जिंगदी इम्तिहान लेती है... लेकिन मरूदुर गोपालन रामचंद्रन ने अपने जिंदगी के सफर में एक नहीं बल्कि दो इम्तिहान दिए। पहले तो फिल्मी दुनिया से सियासत में कदम रखने के बाद मित्र के दुश्मन बन जाने और दोस्त से ही गोली खाने का फिर तमाम झंझावतों से जूझते हुए तमिलनाडु की सीएम की कुर्सी पर पहुंचने के साथ ही भारत रत्न तक से नवाजा जाना। एमजीआर के नाम से फेमस मरुदुर गोपालन रामचंद्रन ने एक अभिनेता के तौर पर ही नहीं बल्कि राजनेता के तौर पर भी लोगों के दिलों पर छाए रहे। साल 1953 में एमजीआर सीएन अन्नादुरई के नेतृत्व वाले द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके पार्टी) में आ गए। उन्होंने राज्य में चल रहे द्रविड़ अभियान में ग्लैमर जोड़ दिया। वर्ष 1967 में एमजीआर विधायक बने।  एमजीआर ने डीएमके पर भ्रष्टाचार और अन्नादुराई के उसूलों से दूर जाने का आरोप लगाया तो करुणानिधि ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया। जिसके बाद एमजीआर ने अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कझगम बनाई जो बाद में ऑल इंडिया अन्नाद्रविड़ मुनेत्र कझगम कहलाई। यह राज्य की एक बड़ी पार्टी बनकर उभरी और डीएमके और एआईएडीएमके के बीच जोरदार टक्कर हुई। साल 1977 के चुनाव में एआईएडीएमके को सफलता मिली और एमजीआर पहली बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने। एमजीआर एक बार मुख्यमंत्री बने तो अपनी आखिरी सांस 1987 तक तमिलनाडु के सीएम रहे। 

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जयललिता: 'पुराची थलाइवी' जयललिता को जनता इसी नाम से बुलाया करती थी। जिसका मतलब होता है रिवॉल्यूशनरी लीडर यानी क्रांतिकारी नेता। साल 1991 के विधानसभा चुनाव में जयललिता भारी बहुमत से जीतने के साथ ही राज्य की सबसे कम उम्र की और पहली महिला सीएम बनीं थीं। किसी ने सोचा भी नहीं था कि  वो तमिलनाडु की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बनेंगी। भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में जेल जाएंगी। 1982 में जयललिता ने एआईएडीएमके की सदस्यता ग्रहण की थी। उन्होंने पहला चुनाव तिरुचेंदुर सीट से जीता था। जिसके बाद से उन्होंने पलटकर कभी पीछे नहीं देखा। तमिलनाडु की राजनीति में 1977 से 1988 तक लगातार 11 साल की अवधि में दो बार मुख्यमंत्री बनने का गौरव सिर्फ एमजीआर को हासिल रहा लेकिन 26 साल बाद उनकी राजनीतिक वारिश ने ये कारनामा कर दिखाया था।

चिरंजीवी: पहली रिलीज फिल्म प्रणाम खरिदु थी। 2008 में उन्होंने आंध्र प्रदेश राज्य में प्रजा राज्यम पार्टी की शुरुआत की। 2007 से 2017 तक उन्होंने किसी भी फिल्म में काम नहीं किया। इस दौरान उन्होंने अपने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत की। फिलहाल वो आंध्र प्रदेश से राज्यसभा के सांसद हैं।

पवन कल्याण: वो मशहूर एक्टर चिरंजीवी के छोटे भाई हैं। 2013 की फोर्ब्स इंडिया की 100 मशहूर हस्तियों की सूची में उन्हें 26 वां स्थान दिया गया था। 2014 में उन्होंने जन सेना पार्टी बनाई थी।

कमल हासन: कमल हासन ने 2018 में मक्कल निधि माइम (एमएनएम) की स्थापना की थी। उनकी पार्टी दो चुनाव लड़ी, मगर न तो लोकसभा और न ही विधानसभा में खाता खुला। 2019 में उन्होंने अपनी पार्टी के टिकट पर 37 कैंडिडेट उतारे थे, मगर एक भी प्रत्याशी जीत नहीं सका। 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में कमल हासन ने 180 सीटों पर प्रत्याशी उतारकर डीएमके, कांग्रेस और एआईडीएमके को चुनौती दी। उनके अधिकतर प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। खुद कमल हासन कोयंबटूर साउथ सीट से बीजेपी कैंडिडेट वान्थी श्रीनिवासन से हार गए।

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