Melody राजनीतिक रूप से इतनी चॉकलेटी क्यों है? मोदी-मेलोनी की इस दोस्ती के मायने क्या हैं?

By नीरज कुमार दुबे | Dec 02, 2023

इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी जब इस साल भारत की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री की ग्लोबल अप्रूवल रेटिंग का जिक्र करते हुए उन्हें दुनिया में सबसे ज्यादा स्नेह और प्यार हासिल करने वाला नेता बताते हुए शर्मा गयीं थीं और प्रधानमंत्री मोदी भी मुस्कुरा दिये थे तब वह वीडियो वायरल हो गया था। इसके बाद से प्रधानमंत्री मोदी जब-जब भी इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी से मिले तब-तब दोनों की मुलाकात की तस्वीरें और वीडियो वायरल होने लगे और सोशल मीडिया पर मीम्स बनाने वालों ने मोदी और मेलोनी की दोस्ती को 'मेलोडी' नाम दे दिया और इन दोनों नेताओं की वैश्विक मंचों और द्विपक्षीय आधार पर होने वाली मुलाकातों की तस्वीरों का लोगों को इंतजार रहने लगा।


देखा जाये तो मोदी और मेलोनी जानते हैं कि सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें वायरल होती हैं इसलिए दोनों कोई मौका नहीं चूकते अपनी मुलाकातों की तस्वीरें पोस्ट करने का। प्रधानमंत्री मोदी जब इस सप्ताह दुबई में जलवायु परिवर्तन मुद्दे पर आयोजित वैश्विक सम्मेलन में भाग लेने गये तो वहां भी उनकी इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी से मुलाकात हुई। दोनों नेता इस मुलाकात के दौरान काफी हंसते खिलखिलाते नजर आये। बस फिर क्या था वीडियो और तस्वीरें तमाम तरह के कैप्शन के साथ वायरल होने लगे। यही नहीं, मोदी और मेलोनी दोनों ने अपने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी अपनी मुलाकात की तस्वीरें पोस्ट कीं जोकि देखते ही देखते वायरल हो गयीं। मोदी के साथ तस्वीर का मेलोनी को इतना फायदा हुआ कि सोशल मीडिया मंच एक्स पर दो मिलियन फॉलोअर रखने वालीं मेलोनी की मोदी के साथ फोटो को कुछ ही घंटों में 16 मिलियन लोगों ने देख लिया और उनके फॉलोअर्स की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो गया।

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अगर मोदी और मेलोनी के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर आ रही प्रतिक्रियाओं को देखेंगे तो पाएंगे कि लोग दोनों प्रधानमंत्रियों को लेकर मजेदार टिप्पणियां कर रहे हैं। जैसे एक यूजर ने लिखा है कि इतिहास अपने को दोहरा रहा है, एक बार फिर भारत से बारात इटली जायेगी। एक यूजर ने लिखा कि मोदी जी को अब समझ आया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी क्यों इटली गये थे। एक यूजर ने लिखा कि मोदी और मेलोनी की तस्वीरें देखने के बाद भाजपा के प्रवक्ताओं ने सोनिया गांधी के इतालवी मूल के मुद्दे पर निशाना साधना बंद कर दिया है। एक यूजर ने लिखा कि मोदी ने पहले राहुल गांधी के पारिवारिक गढ़ अमेठी में अपनी पैठ बनाई और अब उनके ननिहाल में भी अपनी पैठ बना रहे हैं। एक यूजर ने लिखा कि मोदी और मेलोनी की दोस्ती पर कांग्रेस का कोई नेता टिप्पणी करने का साहस नहीं जुटा पा रहा है क्योंकि सोनिया गांधी भी इतालवी मूल की हैं। एक यूजर ने लिखा कि भारत और इटली के संबंध अपने सबसे सुनहरे दौर में हैं। एक यूजर ने प्रसिद्ध विज्ञापन की तर्ज पर लिखा कि मेलोडी आखिर राजनीतिक रूप से इतनी चॉकलेटी क्यों है। इसी तरह की तमाम टिप्पणियां आपको दोनों प्रधानमंत्रियों के सोशल मीडिया अकाउंटों पर देखने को मिल जायेंगी।

लेकिन मजाक से हट कर जरा मोदी की कूटनीति को समझेंगे तो पाएंगे कि भारतीय प्रधानमंत्री के लिए देश हित ही सबकुछ है। समस्त भारतीयों को अपने परिवारजन कह कर संबोधित करने वाले प्रधानमंत्री मोदी दशकों पहले ही अपने परिवार को छोड़ भारत माता की सेवा करने निकल पड़े थे। जो लोग मोदी की मेलोनी के साथ तस्वीरों को देख कर आनंद ले रहे हैं वह दरअसल मोदी की कूटनीति को नहीं जानते। मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद जिस तरह वैश्विक नेताओं के साथ अपने संबंध स्थापित किये हैं उसके चलते भारत को अनेकानेक लाभ हुए हैं और भारत के प्रति दुनिया का नजरिया भी बदला है। यह मोदी के करिश्माई नेतृत्व का ही कमाल है कि वह ग्लोबल अप्रूवल रेटिंग में दुनिया में सबसे आगे हैं। मोदी सिर्फ भारत और भारतीयों की ही चिंता नहीं करते बल्कि वह दुनिया के किसी भी कोने में आपदा के समय सबसे पहले मदद भेजने वाले नेताओं में शुमार हैं और महामारी के समय वैक्सीन मैत्री अभियान चला कर उन्होंने पूरी दुनिया का दिल जीता था। इस सबके चलते ही वह पूरी दुनिया में सबसे लोकप्रिय नेता बने हैं। जाहिर है जब कोई वैश्विक नेता उनसे मिलता है तो वह उनसे बहुत कुछ सीखना भी चाहता है और मित्रता भी करना चाहता है। मोदी भी किसी को निराश नहीं करते और सबके साथ घुल मिलकर बात करते हैं।

लोगों की स्मृतियों में मोदी की कई ऐसी तस्वीरें होंगी जब वह दुनिया के बड़े नेताओं के साथ गले मिलते हैं, हाथ मिलाते हैं, हाथ पकड़ कर बातें करते हैं या कंधे पर हाथ रखकर बात करते हैं। देखा जाये तो मोदी जब किसी राष्ट्राध्यक्ष से मिलते हैं तो उनकी पहली प्राथमिकता इस बात की रहती है कि कैसे अपने देश भारत के संबंध उस नेता के देश के साथ प्रगाढ़ किये जायें। जाहिर है इसके लिए व्यक्तिगत मित्रता बनाना बेहद जरूरी है क्योंकि सिर्फ राजनयिक या कूटनीतिक संबंध हर जगह काम नहीं आते। इसलिए मोदी सबसे मित्रता स्थापित करने पर जोर देते हैं तभी तो कभी अमेरिका के राष्ट्रपति सार्वजनिक रूप से मोदी से कहते हैं कि आप तो हमारे देश में मुझसे भी ज्यादा लोकप्रिय हैं, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री कह देते हैं कि मोदी बॉस हैं। यही नहीं, कोई राष्ट्राध्यक्ष मोदी के आगमन पर उनके पैर छू लेता है तो कोई उन्हें गले से लगाकर रखना चाहता है। विभिन्न देशों में मोदी को अपने देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजने की होड़ दिखाती है कि मोदी दुनियाभर में कितने लोक्रपिय हैं।

इसके अलावा, मोदी की यह मित्रता वाली डिप्लोमेसी सिर्फ पुरुष नेताओं के साथ ही नहीं दिखती बल्कि महिला नेताओं के साथ भी मोदी बेहद सहज रहते हैं ताकि भारत को और दूसरे देशों में रह रहे भारतीयों को इसका लाभ हो। आप मोदी की फिनलैंड की प्रधानमंत्री साना मरीन के साथ मुलाकात देखिये। आप मोदी की स्वीडन की प्रधानमंत्री मैगडालेना एंडरसन के साथ मुलाकात देखिये, आप मोदी की तत्कालीन जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के साथ मुलाकात देखिये, आप यूनान की राष्ट्रपति के साथ मोदी की मुलाकात देखिये, आप डेनमार्क की महारानी के साथ मोदी की मुलाकात देखिये, आप डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन के साथ मोदी की मुलाकात देखिये, आपको सब समझ आ जायेगा कि मोदी कैसे सभी से मित्रवत संबंध बना कर भारत और भारतीयों की राह आसान करते हैं। हम आपको याद दिला दें कि डेनमार्क की प्रधानमंत्री के साथ सैर करते हुए मोदी के वीडियो भी खूब वायरल हुए थे और तमाम टिप्पणियां की गयी थीं लेकिन चूंकि इटली और इलालवी मूल का मुद्दा भारत में दशकों से राजनीति से भी जुड़ा हुआ है इसलिए लोग इटली की प्रधानमंत्री के साथ मोदी की मुलाकातों पर जमकर टिप्पणियां कर रहे हैं। हम आपको यह भी बता दें कि मोदी जब किसी राष्ट्राध्यक्ष से मिलते हैं तो उनके परिजनों के साथ भी वह काफी सहज रहते हैं इसलिए आपने कई बार देखा होगा कि अमेरिका, फ्रांस तथा कई अन्य देशों के राष्ट्रपति की पत्नी भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ जितना मुस्कुरा कर बात करती हैं उतना अन्य किसी राष्ट्राध्यक्ष के साथ वह सहज नहीं होतीं।


बहरहाल, नेता चाहे छोटा हो या बड़ा, सबको चर्चा में बने रहना भाता है। मोदी और मेलोनी समझ रहे हैं कि उनकी तस्वीरें उन्हें ग्लोबल चर्चा का केंद्र बना रही हैं। मोदी और मेलोनी समझ रहे हैं कि मेलोडी नाम कितना वायरल हो रहा है। मोदी और मेलोनी समझ रहे हैं कि उनकी तस्वीरों को देखकर लोग आनंद ले रहे हैं और इन तस्वीरों से उन्हें कोई राजनीतिक नुकसान होने की बजाय उनके फॉलोअर्स की संख्या में इजाफा ही हो रहा है, इसलिए दोनों नेता आगे भी ऐसा करते नजर आयें तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि तमाम तरह की चुनौतियों से जूझ रही दुनिया को इस 'मेलोडी' ने मुस्कुराने का भरपूर मौका दे दिया है।


-नीरज कुमार दुबे

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