Prabhasakshi NewsRoom: Eknath Shinde फिर पड़े भारी, अब सारी फाइलें CM Fadnavis से पहले उपमुख्यमंत्री शिंदे के पास जायेंगी

By नीरज कुमार दुबे | Apr 03, 2025

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को नजरअंदाज कर पाना किसी के लिए भी आसान काम नहीं है। यदि कोई उन्हें किनारे करने का प्रयास करता है तो उसके खुद किनारे लग जाने की आशंका पैदा हो जाती है। महाराष्ट्र में महायुति सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद एकनाथ शिंदे ने उपमुख्यमंत्री पद तो कबूल कर लिया था लेकिन वह खुद को महत्व नहीं दिये जाने से नाराज नजर आ रहे थे। इसीलिए पिछले दिनों उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा भी था कि किसी को उन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए। एकनाथ शिंदे का यह बयान जहां शिवसेना यूबीटी पर तगड़ा निशाना था वहीं इस बयान से यह भी खुल कर सामने आ गया था कि उनके और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।


लेकिन अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र में महायुति सरकार में सांमजस्य बेहतर बनाने के लिए जो बड़ा फैसला लिया है वह दर्शा रहा है कि वह एकनाथ शिंदे को साथ लेकर चलना चाहते हैं। हम आपको बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है जिसके तहत अब सारी फाइलें पहले उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास जायेंगी और उसके बाद मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास जाएंगी। सरकार के इस निर्णय को एकनाथ शिंदे की बढ़ी हुई ताकत के रूप में भी देखा जा रहा है। हम आपको यह भी बता दें कि इससे पहले सभी फाइलें वित्त मंत्री के तौर पर उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पास और फिर मुख्यमंत्री के पास भेजी जाती थीं। अब नए आदेशों के मुताबिक, सभी फाइलें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास पहुंचने से पहले अजित पवार और फिर एकनाथ शिंदे के पास जाएंगी। यह कदम शिंदे की ताकत में इजाफा दिखा रहा है साथ ही राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह शिंदे और अजित पवार के बीच समानता लाने का एक प्रयास भी है। हम आपको यह भी बता दें कि पिछली महायुति सरकार में फाइलें उपमुख्यमंत्री के तौर पर अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस के पास जाती थीं और फिर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास जाती थीं।

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हम आपको बता दें कि राज्य की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक द्वारा जारी आदेश में कहा गया है, "दिनांक 26.07.2023 के आदेश को संशोधित किया जा रहा है, अब महाराष्ट्र सरकार के नियमों की दूसरी अनुसूची में निर्दिष्ट सभी विषय पहले डीसीएम (वित्त) के पास जाएंगे फिर डीसीएम (शहरी विकास, आवास) के पास जाएंगे तथा उसके बाद मुख्यमंत्री के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किए जाएंगे। देखा जाये तो महायुति के दोबारा राज्य की सत्ता में आने के बाद से ही शिंदे और फडणवीस के बीच मनमुटाव की खबरें सामने आ रही थीं उसको देखते हुए राज्य सरकार का यह फैसला काफी मायने रखता है। 


हम आपको याद दिला दें कि हाल में कई ऐसे उदाहरण सामने आये जिससे लगा कि एकनाथ शिंदे को नजरअंदाज किया गया। पहले एकनाथ शिंदे ने मुश्किल से उपमुख्यमंत्री पद स्वीकारा था। फिर महायुति सरकार द्वारा सभी 36 जिलों के लिए संरक्षक मंत्री नियुक्त करने के एक दिन बाद विवाद खड़ा हो गया था। उस समय शिवसेना के साथ भाजपा के अंदरूनी विवाद के बाद नासिक और रायगढ़ के लिए मंत्रियों की नियुक्तियों पर रोक लगा दी गई थी। बाद में राज्य सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (परिवहन) संजय सेठी को महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम का अध्यक्ष नियुक्त किया, जबकि शिवसेना के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाइक इस पद को पाने के इच्छुक थे। इसके अलावा, एकनाथ शिंदे को नए-नए पुनर्गठित महाराष्ट्र राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) से हटा दिया गया था, लेकिन बाद में नियमों में बदलाव किया गया और उन्हें शामिल किया गया। बहरहाल, देखना होगा कि महाराष्ट्र सरकार का नया निर्णय क्या मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच चल रहा शीत युद्ध खत्म करवा पाता है।

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