By अभिनय आकाश | Mar 03, 2022
महाभारत के बारे में यह कहा जाता है की ये कहानी हर दौर की कहानी है। कमोबेश वही कहानी इस दौर में भी दोहराई जा रही है। नैतिकता के मूल्य जानबूझकर तोड़े जा रहे हैं। महाभारत क्या है जमीन के लिए निरंतर टूटती हुई मर्यादा पर ताना गया युद्ध का एक मचान। वैद्य और अवैध का युद्ध। नैतिक और अनैतिक का युद्ध। विश्वास और अविश्वास का युद्ध, अधिकार और अतिक्रमण का युद्ध। महाभारत ये राही मासूम रज़ा का लिखा महज एक संवाद भर नहीं है। सत्ता के चरित्र पर एक निर्मोही टिप्पणी है। युद्ध के तमाम चरण होते हैं और हर चरण का एक चरम होता है। महाभारत के युद्ध के वक़्त तमाम कायदे तय हुए थे जैसे सूर्यास्त के बाद कोई शस्त्र नहीं उठाएगा। स्त्रियों बच्चो और निहत्थों पर कोई वार नहीं होगा। इतिहास से लेकर वर्तमान दौर में भी जंग लड़ने के अपने नियम-कायदे होते हैं। इन्हीं नियमों के हिसाब से जंग लड़नी होती है और जीतनी होती है। लेकिन क्या हो अगर किसी ने इन नियमों को तोड़ दिया तो? युद्ध के नियमों को तोड़ने वाले को युद्ध अपराधी कहा जाता है। कोरोना नामक वैश्विक महामारी से अभी दुनिया उबर ही रही है कि दो देशों के पुराने तनाव ने संपूर्ण जगत के माथे पर चिताओं की लकीरें खींच दी है। रूस और यूक्रेन की लड़ाई को हफ्ते गुजर गए हैं। दिन गुजरने के साथ ही यूक्रेन के शहरों पर रूसी सेना के हमले अब और तेज होते जा रहे हैं। राजधानी कीव व अन्य यूक्रेनी शहर पर हो रहे हमले को राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेंस्की ने युद्ध अपराध बताया है और कहा है कि राजधानी कीव को हमसे से बचना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। वहीं यूक्रेनी राष्ट्रपति ने हमलों से न डरने और न ही पीछे हटने की बात भी कही है व रूस को आतंकवादी देश तक बता दिया।
युद्ध के नियम
युद्ध अपराधों के लिए विशिष्ट अंतरराष्ट्रीय मानक हैं, जिन्हें मानवता के खिलाफ अपराधों के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए। युद्ध अपराधों को संघर्ष के दौरान मानवीय कानूनों के गंभीर उल्लंघन के रूप में परिभाषित किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) के रोम संविधि द्वारा स्थापित परिभाषा 1949 के जिनेवा सम्मेलनों से ली गई है और इस विचार पर आधारित है कि व्यक्तियों को किसी राज्य या उसकी सेना के कार्यों के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। जब 1939 से 1945 तक दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भीषण तबाही देखी। करीब साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसी युद्ध में पहली बार परमाणु बम का इस्तेमाल किया गया था। दूसरे विश्व युद्ध जैसी तबाही फिर न हो इसे रोकने के लिए दुनियाभर के देशों के नेता 1949 में स्विट्जरलैंड की राजधानी जेनेवा में एकजुट हुए। इसे जेनेवा कन्वेंशन कहा जाता है।
196 देशों ने मान्यता दी
अपराधों को घरेलू संघर्ष या दो राज्यों के बीच युद्ध के रूप में परिभाषित किया जाता है, जबकि नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराध शांतिकाल में या निहत्थे लोगों के समूह के प्रति सेना की एकतरफा आक्रामकता के दौरान हो सकते हैं। ऐसे कृत्यों की एक लंबी सूची है जिन्हें युद्ध अपराध माना जा सकता है। बंधकों को लेना, जान-बूझकर हत्या करना, युद्ध बंदियों के साथ अत्याचार या अमानवीय व्यवहार और बच्चों को लड़ने के लिए मजबूर करना कुछउदाहरण हैं। जेनेवा कन्वेंशन के दौरान युद्ध को लेकर जो नियम बने, उसे इंटरनेशनल ह्यूमैनेटिरियन लॉ कहा गया। इसे लॉ ऑफ वॉर भी कहते हैं। इसमें कुल 161 नियम हैं जिसे सभी 196 देशों ने मान्यता दी है। युद्ध के दौरान ने इन नियमों का पालन करने के लिए सभी देश बाध्य हैं। टोरंटो विश्वविद्यालय के मंक स्कूल ऑफ ग्लोबल अफेयर्स एंड पब्लिक पॉलिसी के डॉ. मार्क केर्स्टन ने डीडब्ल्यू को बताया, "युद्ध के नियम हमेशा नागरिकों को मौत से नहीं बचाते हैं।" "जरूरी नहीं कि हर नागरिक की मौत अवैध हो।
तीन सिद्धांतों पर आधारित
यह तय करने के लिए कि किसी व्यक्ति या सेना ने युद्ध अपराध किया है, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून तीन सिद्धांतों को निर्धारित करता है: भेद, आनुपातिकता और एहतियात। आनुपातिकता सेनाओं को अत्यधिक हिंसा वाले हमले का जवाब देने से रोकती है। "यदि एक सैनिक मारा जाता है, उदाहरण के लिए, आप जवाबी कार्रवाई में पूरे शहर पर बमबारी नहीं कर सकते। अंतर्राष्ट्रीय समिति के अनुसार ऐसे उद्देश्यों को लक्षित करना भी अवैध है जो "नागरिक जीवन के आकस्मिक नुकसान, नागरिकों को चोट, नागरिक उद्देश्यों को नुकसान पहुंचाते हैं। भेद का सिद्धांत कहता है कि आपको नागरिक और आबादी और वस्तुओं के बीच अंतर करना होगा। उदाहरण के लिए, एक बैरक पर हमला करना जहां ऐसे लोग हैं जिन्होंने कहा है कि वे अब संघर्ष में भाग नहीं लेते हैं, एक युद्ध अपराध हो सकता है। अगर युद्ध बंदी बनाए भी जाते हैं तो उसके साथ मानवीय व्यवहार करना जरूरी है। अगर सड़क, ब्रिज, पावर स्टेशन और फैक्टि्रियों का इस्तेमाल सेना के द्वारा किया जा रहा है तो उसे निशाना बनाया जा सकता है लेकिन अगर सेना नहीं है और शहर, इमारत को निशाना बनाया जाता है व बमबारी की जाती है तो उसे युद्ध अपराध माना जाएगा।
सबूतों को खोजने के लिए जांच
युद्ध के नियम के अनुसार यदि कोई देश युद्ध के दौरान नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे युद्ध अपराध माना जाएगा। युद्ध के नियम के अध्याय 44 के मुताबिक नियमों का उल्लंघन करने वाले देश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा चलाया जाएगा। जब आईसीसी अभियोजकों के पास यह मानने का कारण होता है कि युद्ध अपराध किया गया है, तो वे उन सबूतों को खोजने के लिए एक जांच शुरू करते हैं जो उन अपराधों के लिए जिम्मेदार विशिष्ट व्यक्तियों को इंगित कर सकते हैं। यूक्रेन में किए गए युद्ध अपराधों के संबंध में अब हम इसी तरह के क्षणों की ओर बढ़ रहे हैं। हालांकि समय महत्वपूर्ण है क्योंकि सबूत खराब हो सकते हैं या गायब हो सकते हैं। अभियोजकों के लिए इस तथ्य के बाद संदिग्ध युद्ध अपराधों की सफलतापूर्वक जांच करना बहुत मुश्किल है, जब संघर्ष के एक पक्ष ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की हो या गवाह आसपास नहीं हो।
-अभिनय आकाश