परिवर्तिनी एकादशी व्रत से मिलता है मोक्ष, जानिए इसका महत्व

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एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें और लक्ष्मी जी और विष्णु भगवान की पूजा करें। सबसे पहले घर का मंदिर साफ कर विष्णु और लक्ष्मी जी को स्नान कराएं। उसके बाद उन्हें फूलों से सजाएं, फूलों में विशेषरूप से कमल का इस्तेमाल करें। रोली का तिलक लगा कर प्रसाद का भोग लगाएं।

विष्णु भगवान ने वामन स्वरूप धारण कर अपना पांचवां अवतार लिया और राजा बलि से सब कुछ दान में ले लिया। राजा बलि ने एक यज्ञ का आयोजन किया था उसमें विष्णु भगवान वामन रूप लेकर पहुंचें और दान में तीन पग भूमि मांगी। इस पर बलि ने हंसते हुए कहा कि इतने छोटे से हो तीन पग में क्या नाप लोगे।

भादो महीने की शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। परिवर्तिनी एकादशी को पदमा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल यह एकादशी 9 सितम्बर, सोमवार को पड़ रही है। तो आइए हम आपको परिवर्तिनी एकादशी के बारे में बताते हैं। 

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परिवर्तिनी एकादशी का मुहूर्त

एकादशी 8 सितंबर 2019 को रात 10.41 बजे से 9 सितम्बर 10 सितम्बर 12.31 तक है।

परिवर्तिनी एकादशी पर ऐसे करें पूजा 

एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें और लक्ष्मी जी और विष्णु भगवान की पूजा करें। सबसे पहले घर का मंदिर साफ कर विष्णु और लक्ष्मी जी को स्नान कराएं। उसके बाद उन्हें फूलों से सजाएं, फूलों में विशेषरूप से कमल का इस्तेमाल करें। रोली का तिलक लगा कर प्रसाद का भोग लगाएं। प्रसाद चढ़ाने के बाद आरती करें और रात में भजन-कीर्तन करें।


परिवर्तिनी एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा

प्राचीन काल में त्रेतायुग में बलि नाम का एक दैत्य रहता था। वह दैत्य भगवान विष्णु का परम उपासक था। प्रतिदिन भगवान विष्णु की पूजा किया करता था। राजा बलि जितना विष्णु भगवान का भक्त था उतना ही शूरवीर था। एक बार उसने इंद्रलोक पर अधिकार जमाने की सोची इससे सभी देवता परेशान हो गए और विष्णु जी के पास पहुंचे। सभी देवता मिलकर विष्णु भगवान के पास जाकर स्तुति करने लगे। इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि वह भक्तों की बात सुनेंगे और जरूर कोई समाधान निकालेंगे।

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विष्णु भगवान ने वामन स्वरूप धारण कर अपना पांचवां अवतार लिया और राजा बलि से सब कुछ दान में ले लिया। राजा बलि ने एक यज्ञ का आयोजन किया था उसमें विष्णु भगवान वामन रूप लेकर पहुंचें और दान में तीन पग भूमि मांगी। इस पर बलि ने हंसते हुए कहा कि इतने छोटे से हो तीन पग में क्या नाप लोगे। इस वामन भगवान ने दो पगों में धरती और आकाश को नाप लिया और कहा कि मैं तीसरा पग कहां रखू। भगवान के इस रूप को राजा बलि पहचान गए और तीसरे पग के लिए अपना सिर दे दिया। इससे विष्णु भगवान प्रसन्न हुए और उन्होंने राजा बलि को पाताल लोक वापस दे दिया। साथ ही भगवान ने वचन दिया कि चार मास यानि चतुर्मास में मेरा एक रूप क्षीर सागर में शयन करेगा और दूसरा रूप पाताल लोक में राजा बलि की रक्षा के लिए रहेगा।

परिवर्तिनी एकादशी का महत्व 

मान्यताओं के अनुसार इस परिवर्तिनी एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से हजार यज्ञ का फल मिलता है। इसको करने से हजार यज्ञ का फल मिलता है और पापों का नाश होता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग परिवर्तिनी एकादसी में विष्णु भगवान के वामन रूप की पूजा करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रीकृष्ण युधिष्ठर को इस परिवर्तिनी एकादशी का महत्व बताते हुए कहते हैं कि जिसने इस एकादशी में भगवान की कमल से पूजा की उसने ब्रह्मा, विष्णु सहित तीनों लोकों की पूजा कर ली। परिवर्तिनी एकादशी के दिन दान का खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन तांबा और चांदी की वस्तु, दही, चावल के दान से शुभ फल मिलता है।

प्रज्ञा पाण्डेय

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