पितृपक्ष में इन नियमों का पालन करते हुए करें पितरों को प्रसन्न
पितृपक्ष में अन्नदान का खास महत्व होता है। श्राद्ध के समय ब्राह्मणों का खास महत्व है इसलिए इस दौरान ब्राह्मणों को जरूर भोजन कराएं और यथाशक्ति दान दें। ब्राह्मणों के भोजन के बाद घर में भी कुछ न खाएं। ब्राह्मणों को खीर या मिठाई जरूर खिलाएं।
हिन्दू धर्म में पितृपक्ष का खास महत्व होता है, ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध में की गयी गलतियों से पितृ नाराज होकर चले जाते हैं और कभी वापस नहीं आते हैं। ऐसे में हम आपको कुछ खास तरह के नियमों के बारे में बता रहे हैं जिनका पालन कर आप अपने पूर्वजों को प्रसन्न कर सकते हैं।
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पितृपक्ष में इन नियमों का पालन है जरूरी
1.श्राद्ध के दौरान भोजन बनाते समय भी खास ख्याल रखें। घी से बने पकवान, खीर, मौसमी सब्जी जैसे तोरई, लौकी, सीतफल, भिंडी कच्चे केले की सब्जी ही बनाएं। आलू, मूली, बैंगन, अरबी तथा जमीन के नीचे पैदा होने वाली सब्जियां पितरों को अर्पित नहीं की जाती हैं।
2. पितृपक्ष में श्राद्ध करते समय सभी काम गले में दाये कंधे मे जनेउ डाल कर और दक्षिण की ओर मुंह करके करें। जिन पितरों के पुत्र नहीं होते उनके भाई भतीजे, भांजे या अन्य चाचा ताउ के परिवार के पुरूष सदस्य पितृपक्ष में श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करते हैं तो उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है।
3. पितृपक्ष में ब्रह्राचर्य के व्रत का पालन जरूर करें। साथ ही पूरे पितृपक्ष में श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को पान, बाहर का खाना नहीं खाएं। श्राद्ध पक्ष शोक व्यक्त करने के लिए होता है इसलिए इस दौरान कोई शुभ कार्य नहीं करें।
4.श्राद्ध करते समय ध्यान रखें कि श्राद्ध हमेशा दोपहर में ही करें। सुबह-सुबह अथवा 12 बजे से पहले किया गया श्राद्ध पितरों तक नहीं पहुंचता है।
5.चतुर्दशी को कभी भी श्राद्ध नहीं करना चाहिए। लेकिन किसी व्यक्ति मृत्यु अगर की युद्ध में हुई हो उनके लिए चतुर्दशी का श्राद्ध बेहतर माना जाता है। किसी दूसरे व्यक्ति के घर या जमीन पर श्राद्ध कर्म नहीं करें। लेकिन जंगल, पहाड़, मंदिर या तीर्थ स्थान को किसी दूसरे की जमीन के तौर पर नहीं देखे जाता है।
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आपके व्यवहार से पितृ होंगे प्रसन्न
पितृपक्ष में अपने व्यवहार का विशेष ख्याल रखें। इस समय दरवाजे पर आए किसी भी अतिथि को न खाली हाथ न लौटाएं। उन्हें जरूर कुछ दान दे दें। ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष में पितृ अतिथि के रूप में आते हैं। इसके अलावा दिन में भोजन का कुछ हिस्सा कुत्ता, बिल्ली, कौवा और गाय को देना चाहिए क्योंकि इन जीवों को भोजन कराने से खाना सीधे पितरों के पास जाता है।
पितृपक्ष में अन्नदान का है खास महत्व
पितृपक्ष में अन्नदान का खास महत्व होता है। श्राद्ध के समय ब्राह्मणों का खास महत्व है इसलिए इस दौरान ब्राह्मणों को जरूर भोजन कराएं और यथाशक्ति दान दें। ब्राह्मणों के भोजन के बाद घर में भी कुछ न खाएं। ब्राह्मणों को खीर या मिठाई जरूर खिलाएं। इसके अलावा ब्राह्मणों को लकड़ी, ऊन या कुशन की आसनी पर ही बैठाएं।
पितृपक्ष में अपना व्यवहार रखें संयमित
परिवार में सम्बन्धों का खास महत्व होता है। इसलिए पितृपक्ष में अपना व्यवहार संयमित जरूर रखें। ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद कुछ खास तरह के सम्बन्धों जैसे दामाद, गुरू, नाती और मामा को सम्मान दें। उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराएं, उनकी प्रसन्नता से आप जीवन भर खुश रहेंगे।
पितृपक्ष में शाम को दीपक जलाने से होगा लाभ
पितृपक्ष में शाम को घर बाहर दीपक जलाकर रख दें। दीपक जलाने से न केवल घर में खुशहाली आती है बल्कि पितृ भी प्रसन्न होते हैं। साथ ही घर के पास में किसी पीपल के पेड़ के करीब दीपक जलाएं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पीपल के पेड़ में देवताओं का वास होता है और दीपक जलाने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
पितृपक्ष में खानपान में रखें सावधानी
पितृपक्ष में केवल भोजन बनाने के साथ ही परोसने में भी सावधान बरतें। पितृपक्ष के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराते समय थाली को दोनों हाथों से पकड़ें। एक हाथ से भोजन का अंश पकड़ने में राक्षसों के पास चला जाता है। ऐसे भोजन को पितृ ग्रहण नहीं करते हैं। इसके अलावा श्राद्ध के दौरान खाने में शाकाहारी तथा सात्विक भोजन ग्रहण करें। लहसुन-प्याज का इस्तेमाल नहीं करें। इसके अलावा दाल तथा सब्जियों में भी केवल मूली, मसूर की दाल, सरसों का साग, लौकी, चना, सत्तू, जीरा, काला नमक और खीरा के इस्तेमाल से भी बचें।
- प्रज्ञा पाण्डेय
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